6 Major diseases of Aloevera or Gwarpatha and Their Prevention

ग्वारपाठा या घृतकुमारीग्वारपाठा या घृतकुमारी (Aloevera) कांटेदार पत्तियों वाला पौधा हैं, जिसमें रोग निवारण के गुण कूट-कूट कर भरे पड़े हैं। यह भारत के गर्म प्रांतों में पाया जाने वाला एक बारहमासी पौधा हैं  और लिलिएसी परिवार से संबंधितहैं। आयुर्वेद में इसे घृतकुमारी की 'उपाधि' मिली हुई हैं तथा महाराजा का स्थान दिया गया हैं।

ग्वारपाठा की 200 जातियां होती हैं, परंतु 5 ही मानव शरीर के लिए उपयोगी हैं। यह खून की कमी को दूर करता हैं तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं। पत्तियों का रस माइकोबैक्टीरियम क्षयरोग के विकास को रोकता हैं। यह एंटीइन्फ्लामेंटरी, एंटीसेप्टिक, एंटी अलसर ,एंटी टूमओर और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं।

अर्द्ध ठोस जेल कॉस्मेटिक, क्रीम, लोशन और शैम्पू में प्रयोग किया जाताहैं। यह विकिरण प्रेरित घावों के उपचार में भी कारगर हैं। ग्वारपाठा का पौधा विभिन प्रकार के रोगों दवारा ग्रसित होता हैं। हर एक मौसम में रोग इन पर पनपते हैं तथा इनको प्रभावित करते हैं। इस पौधे के मुख्य रोग एवं निवारण निचे दिये गए हैं।

1. गोलाकार धब्बे        

लक्षण

यह एलोवेरा का एक गंभीर रोग हैं। गोलाकार धब्बे पौधे के पत्तो पर प्रमुख होते हैं। यह बीमारी पहली बार हचिोजिमा और चिचिजिना, टोक्यो के समुद्री टापुओं पर पाई गए थी। धब्बो के ऊपर हेमटोनेक्टेरिआ हेमटोकोका के कोनिडिया आसानी से देखे जा सकते हैं।

कारण जीव: हेमटोनेक्टेरिआ हेमटोकोका

नियंत्रण

संक्रमित पौधों को नष्ट करना, प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करना और मैन्कोजेब (0.25 %), थिओफिनेट मिथाईल (0.1%), या कार्बेन्डाजिम (0.1 %) के छिड़काव दवारा इसका नियंत्रण किया जा सकता हैं।

2. पत्ती धब्बा और सिरा झुलसा रोग

लक्षण

यह रोग बरसात के मौसम में आम हैं। पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के गोल धब्बे बन जाते हैं जिनके चारों तरफ निचली सतह पर पीले घेरे होते हैं। उग्र प्रकोप से तने तथा पुष्प शाखाओं पर भी धब्बे बन जाते हैं। इस रोग से पत्तो का ३०-४० फीसदी क्षेत्र धब्बो के द्वारा संकर्मित होता हैं। यह रोग पतियों के मुड़ने और झड़ने का कारण बनते हैं तत्पश्चात सूखने के कारण के पौधे से गिर जाते हैं।

कारण जीव: अलटरनेरिआ अलटरनाटा

नियंत्रण

पौधा के मलबे को नष्ट करें और रोग को कम करने के लिए कैप्टान (0.2%), मैन्कोजेब (0.25%) या हेक्साकेप (0.2%) के साथ नियमित रूप से छिड़काव करें।

3. मलानी रोंग या विल्ट

लक्षण

यह फुज़ेरियम नामक कवक से फैलता हैं। यह पौधो में पानी व खाद्य पदार्थ के संचार को रोक देता हैं। जिससे पंत्तियां पीली पडकर सूख जातीहैं  और पौधा सूख जाता हैं। इसमें जड़े सड़कर गहरे रंग की हो जाती हैं तथा छाल हटाने पर जड से लेकर तने की ऊचाई तक काले रंग की धारियां पाई जाती हैं।

कारण जीव: फुज़ेरियम सोलेनाई

नियंत्रण          

एकान्तिरित खेती, मृदा सौरीकरण, ग्रसित पौधों को उखाड़ कर खत्म करना या बिनोमिल (०.१%), कार्बेन्डाजिम (0.1%) और कैप्टान (0.2%) के घोल से पौधों को उपचारित करना मिट्टी से उपजित बीमारी को कम करने में मदद कर सकते हैं।

4. ऐन्थ्रेक्नोज़ पत्ती धब्बा रोग

लक्षण

इस रोग से पौधे में पानीनुमा, हलके भूरे और थोड़ा धसे हुए धब्बे बनते हैं। यह धब्बे सामान्यतः २-३ से०मी० व्यास के होते हैं। पत्तो के सिरो इससे जले हुई दिखाए देते हैं।

कारण जीव: कोलेटोट्रिईकम डेमाटीसियम

नियंत्रण

कॉपर और कैप्टॉन कवकनाशी का प्रयोग 12-14 दिनों के अंतराल पर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए करें।

5. जीवाणु गीली सड़न

लक्षण

शुरआती लक्षण पत्तो पर बरसात के दिनों में पानीनुमा धब्बो के रूप दिखाई देते हैं। पौधे में सड़न निचे से उप्पर की और तेजी से बढ़ती हैं। इससे पौधा २-३ दिन में मर जाता हैं।

कारण जीव: पेक्टोबैक्टेरियम क्रीईसंथेमी

नियंत्रण

रोपण क्षेत्र को सुखा रखें। उप्परी सिंचाई के बिना नियंत्रित सिंचाई काफी प्रभावी होती हैं। इससे जीवाणु कण आसानी से फैल नहीं पाते हैं। छिड़काव के रूप में एंटीबायोटिक, स्ट्रिप्टोसाइक्लीन (300 मि०ग्राम० एक लीटर पानी) का प्रयोग संक्रमण को कम करता हैं।

6. मुसब्बर रतुआ रोग

लक्षण

इस रोग द्वारा मुसब्बर की पत्तियों पर रतुआ से उत्पन काले और भूरे रंग के फफोले दिखाई देते हैं|

कारण जीव: फकोस्पोरा पेचयर्हिज़ी

नियंत्रण

जुलाई सितंबर के दौरान डाइथेन जेड-78 (0.2%), या वेटएबल सल्फर (0.4%) के तीन छिडकाव करें। इस रोग की रोकथाम के लिए मैन्कोजेब २.५ किग्रा. अथवा घुलनशील गंधक ३ किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।


Authors:

सुनीता चन्देल और विजय कुमार

पादप रोगविज्ञान विभाग,

डॉ वाई ऐस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,

नौणी, सोलन, हिमाचल प्रदेश 173230

ईमेल: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

 

New articles

Now online

We have 233 guests and no members online