Backyard poultry farming

घर के पिछवाड़े मे छोटे स्तर पर मुर्गियों को घरेलू श्रम और स्थानीय उपलब्ध दाना-पानी का उपयोग करते हुए बिना किसी विशेष आर्थिक व्यय के पालन पोषण को बैकयार्ड कुक्कुट पालन कहते है। कुक्कुट पालन आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को आर्थिक स्वावलंबन दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

बैकयार्ड कुक्कुट पालन

प्रायः दोहरे उपयोग वाली मुर्गियों का उपयोग बैकयार्ड कुक्कुट पालन के लिए किया जाता है।  इसमे मुर्गियाँ घर की चारदीवारी के अंदर स्वतः विचरण करते हुए आपना खाना पीना खुद खोजती हैं। बैकयार्ड कुक्कुट को पालने के लिए किसी विशेष घर की आवाश्यकता नहीं होती है । मुर्गीयों को प्रायः बांस की टोकरी अथवा कार्ड बोर्ड के बक्से मे रात को शिकारियो से बचाने के लिए रखा जाता है।

ये अधिकतर रसोई अवशिष्ट, टूटे हुए अनाज के दाने, कीड़े मकोड़ों आदि को खाकर जिंदा रहती हैं। इन्हे सिर्फ कुछ मात्रा मे अलग से घटा हुआ  दाना-पानी देने की आवश्यकता होती है। इन्हे अंडा देने के दिनों मे अच्छी शेल की क्वालिटी के लिए शैल ग्रिट अथवा मार्बल के छोटे छोटे टुकड़े प्रतिदिन 5-7 ग्राम/ पक्षी देना चाहिए। 

बैकयार्ड कुक्कुट पालन के लाभ

  1. इसके लिए बहुत कम जमीन, श्रम एवं पूंजी की आवश्यकता होती है।
  2. यह गाँव के लोगों को फसल की बर्बादी या अन्य आपात स्थितियों मे अतिरिक्त आय प्रदान कर जीने की सुरक्षा देता है।
  3. यह बच्चों एवं औरतों मे प्रोटीन कुपोषण से मुक्ति दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  4. यह अवशिष्ट पदार्थों जैसे रसोई अवशिष्ट कीड़े मकोड़ो को उच्च प्रोटीन वाले अंडे एवं मांस मे बदलकर खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरण सुरक्षा मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  5. मुर्गी के विष्टा से भूमि उपजाऊ होती है।
  6. यह ग्रामीण परिवेश मे पिछड़े लोगों को स्वरोजगार प्रदान करता है।

बैकयार्ड कुक्कुट की विशेषताएँ

  1. इनका प्लुमेज अर्थात पंख आकर्षक रंगीन होना चाहिए।
  2. इनमे प्रतिकूल परिस्थितियों मे भी बढ्ने की क्षमता होनी चाहिए।
  3. मुर्गियों मे ब्रूडीनेस नहीं होनी चाहिए।
  4. इनके अंडे तथा मांस का स्वाद, सुगंध, रंग एवं पोषक तत्व देशी मुर्गी के समान होना चाहिए।
  5. इनके मांस मे वसा की मात्र कम होनी चाहिए।
  6. इसमे बीमारी प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।
  7. इंका वजन आठ सप्ताह मे कम से कम 1.25 किलोग्राम तथा फीड कन्वर्सन 2.2 होना चाहिए।
  8. मृत्यु दर आठ सप्ताह की उम्र तक 2 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
  9. अंडे की हैचेबिलिटी 80 प्रतिशत के आस पास होनी चाहिए।

 बैकयार्ड मुर्गीपालन के लि‍ए उपर्यक्‍त मुर्गीयों की कि‍स्‍में।

क्रम संख्या

नस्ल

प्रकार

विकसित करने वाला संस्थान

1

वनराजा

अंडा एवं मांस

कुक्कुट शोध निदेशालय , हैदराबाद

2

कैरी देवेन्द्रा

अंडा एवं मांस

सी ए आर आई, इज़्ज़तनगर

3

कैरी गोल्ड

अंडा एवं मांस

सी ए आर आई, इज़्ज़तनगर

4

गिरिराजा

अंडा एवं मांस

K V A F S U, बंगलुरु 

5

निशबारी

अंडा एवं मांस

सी ए आर आई, पोर्टब्लेयर

6

ग्रामप्रिया

अंडा

कुक्कुट शोध निदेशालय , हैदराबाद

7

कैरी निर्भीक

अंडा

सी ए आर आई, इज़्ज़तनगर

8

कैरी श्यामा

अंडा

सी ए आर आई, इज़्ज़तनगर

9.

कलिंगा ब्राउन

अंडा

सी पी डी ओ, भूनेश्वर

10

ग्रामलक्ष्मी

अंडा

के ए यू, मनुथि


बैकयार्ड कुक्कुट मे टिकाकरण

बैकयार्ड कुक्कुट मे निम्नलिखित बीमारियों का टिकाकरण करवाना चाहिए

क्रम संख्या

बीमारी का नाम

उम्र (दिन मे )

डोज़        

रूट

1

मरेक्स

1

0.20 मि. ली.

खाल मे

2

रानीखेत (लासोटा)

7

एक बूंद

आँख मे

3

गम्बोरो

14-18

-

पीने के पानी मे

4

रानीखेत (लासोटा)

28

एक बूंद

आँख मे

5

रानीखेत(आर टु बी )

70

0.50 मि. ली.

आँख मे

 


लेखक:

शंकर दयाल,1 प्रदीप कुमार रे2 एवं रजनी कुमारी2 

1वरीय वैज्ञानिक,2 वैज्ञानिक

पूर्वी क्षेत्र के लिए भा. कृ. अनु. प. का अनुसंधान परिसर, पटना -800014, बिहार

Email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.