Mangoes and their processed products

आम प्राचीनकाल से भारत का लोकप्रिय फल है तथा भारत, पाकिस्तान व फिलिपिन्स का राष्ट्रीय फल हैं व बंग्लादेश का राष्ट्रीय पेड़ हैं तथा इसे अपनी आकर्षक रंग, मनमोहक सुगंध, मिठास तथा उत्तम स्वाद के कारण आम ’’फलों का राजा’’ कहलाता हैं। आम का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष हैं, जिसकी लम्बाई 8 - 18 मी तक हो होती है।

भारत में आम की 1000 से अधिक किस्में पायी जाती है, परन्तु व्यापारिक दृष्टि से आम की 30 प्रजातियाॅ उगाई जाती हैं। आम अपनी प्रारंम्भिक अवस्था से अंतिम अवस्था तक उपयोगी होता है। अप्रैल के महीने से लेकर जुलाई तक आम की अलग-अलग किस्में- तोतापरी, बेनिशान, हापुस, हिमसागर, दशहरी, गौरजीत, लंगड़ा, चैसा, मल्लिका, आम्रपाली, गुलाबखास व अनेको प्रकार की देशी प्रजातियाॅ उपलब्ध होती है। इस फल की जितनी किस्में हैं उतने ही विभिन्नता लिए निराले मिठास भरे स्वाद हैं।

फलों के अलावा इसके वृक्ष को पूरे भारतवर्ष में पवित्र माना जाता है। इसे प्रेम बढ़ाने वाला वृक्ष माना जाता है तथा कुछ राज्यों में आम के पत्तियों को मुख्य द्वारा पर टांगना शुभ माना जाता है। हिन्दुओं में विवाह के समय वर-बधू पर इस विश्वास के साथ आम की पत्तियों से पवित्र जल छिड़का जाता है कि परिवार की समृद्धि होगी। इसके फल, पत्ती, डाली का सम्मान के साथ पूजा पाठ आदि धार्मिक कार्यों में प्रयोग होता है। आम की लकड़ी के हवन/ यज्ञ करने से आक्सीजन लेवल बढ़ता है।

भारत के लगभग सभी भागों में आम की खेती की जाती है। देश में सभी फलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल का लगभग 42 प्रतिशत योगदान सिर्फ आम का ही है। भारत विश्व में सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है। भारत में सबसे अधिक उत्पादक प्रान्त उत्तर प्रदेश है। 

आम में नर तथा उभयलिंगी (नर और मादा एक साथ) दोनों फूल होते हैं। आम में फलत नर और उभयलिंगी के अनुपात पर निर्भर करती हैं तथा फूलों में कम संख्या में परागण होने के कारण एक प्रतिशत से भी कम फल लगते हैं। इनमें से पकने के पहले आंधी, पानी, ओला जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण फल पके खाने की स्थिति तक कम उपलब्ध हो पाते हैं। ऐसी स्थिति में कच्चे फल बाजार में मार्च महीने से ही उपलब्ध होने लगते हैं। यही एक ऐसा फल है जो कच्चे व पक्के दोनों ही रूपों में खाया जाता है व दोनों ही रूपों में इसके संरक्षित पदार्थ बनाकर बिना मौसम इनके स्वाद का आनंद लिया जा सकता है।

आम कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा आदि खनिज लवणों का एक अच्छा स्रोत है। कच्चे और पके आम में नमी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, लवण, कैल्शियम, लोहा, कैरोटिन, एस्कार्बिक एसिड, राइबोफ्लेविन, मैलिक एसिड आदि तत्व पाये जाते हैं। आम में क्युसेंटीन, एस्त्रगालिन एंव फिसेटीन जैसे कई तत्व व अत्यधिक मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। प्रति 100 ग्राम में कच्चे व पके आम के पौष्टिक तत्व निम्न हैं 

जो फल कच्ची अवस्था में असमय टूट कर गिर जाते हैं उनके स्वादिष्ट एवं उपयोगी पदार्थ बनाकर हानि से उबरा जा सकता है। कच्ची अमियाॅ का प्रयोग अचार, चटनी, खटाई आदि के बनाने में होता है। पके आम के रस से अमावट बनायी जाती है। गर्मी के दिनों में दूघ मिलाकर मैंगो शेक बनाया जाता है।

आम से अनेक प्रकार के पकवान, मुरब्बा, जेली आदि बनती हैं। कच्चे फलों की चटनी, सुखाकर अमचुर, आम का खट्टा, मीठा पना आदि पदार्थ बनाया जाता है। कच्चे आम को भूनकर पना बनाते हैं जो नमकीन मीठा होता है सभी बड़े-छोटे इसे चाव से पीते हैं। कच्चे आम की फांकों को नमक की सहायता से संरक्षित करके न केवल देश में प्रयोग किया जाता है वरन् विदेशों तक निर्यात किया जाता है।

कच्चे आम को कई प्रकार के अचार बनाकर संरक्षित किया जाता है। लेकिन इसके लिए कुछ खास बातों का अवश्य ध्यान देना चाहिए-

यदि उत्पादों को सालभर संरक्षित करना हो तो फलों का चयन कौन सा उत्पाद बनाना है इस पर निर्भर है। इनके लिए परिपक्व फलों को जब वे हरे और कड़े रहते हैं तभी हाथ से या बांस में बंधी लगाकर जाल लगाकर तोड़ लेना चाहिए। आंधी, तूफान आदि से गिरे फलों का संरक्षित उत्पादन बनाने में प्रयोग न करें।

जब फल अपने से पककर वृक्ष से गिरने लगे तो समझना चाहिए कि सब परिपक्व हो गए हैं। तोड़ते समय ध्यान रहे कि फल चोटिले न हों।

कच्चे आम के कुछ संरक्षित उत्पाद बनाने की विधियाॅ निम्नवत् हं -

आम की खट्टी-मीठी चटनीः

सामग्रीः आम - 1 कि.ग्रा, तेल - 1 बड़ा चम्मच, चीनी - 1 कि.ग्रा., नमक – इच्छानुसार, काली मिर्च - 20 ग्राम, बड़ी इलायची
20 ग्राम, जीरा - 20 ग्राम, लाल मिर्च – इच्छानुसार, दाल चीनी - 5 ग्राम

विधिः आम को धोकर कद्दूकस कर लें। कढ़ाई गरम कर तेल डाले व कद्दूकस किया आम डालें, नमक भी डाल दें तथा धीमी आंच पर पकाए। आम जब गल जाय तो चीनी डाल दें। इसके बाद जब पानी सूख जाय तो सभी मसालों को पीसकर डाल दें। पूरा मिश्रण जैम की तरह गाढ़ा हो जाय तो आंच पर से उतार लें व 2 चाय के चम्मच सिरका या एसिटिक एसिड डालकर चैंड़े मुंह की बोतल में बंद करके रख दें। ज्यादा सावधानी बरतने के लिए उस पर मोम पिघलाकर डाल दें। अब रोटी या पराठे या भोजन के साथ इस चटनी का आनंद लिया जा सकता है।

आम का खटृमिठवा -

सामग्रीः आम - 1 कि.ग्रा, चीनी / गुड़ - 750 ग्रा., नमक / काला नमक - 10 ग्रा., भूना जीरा - 5 ग्रा., खड़ी धनिया - 10 ग्रा.
मंगरैल - 5 ग्रा., जीरा - 10 ग्रा., सौफ़ - 5 ग्रा., मिर्चा पाउडर - 30 ग्रा.

विधिः आम को धोकर छीलकर मनचाहे आकार में काट लें। कढ़ाई गरम कर तेल डाले व थोड़ा खड़ी धनिया, जीरा व हींग से बघार कर आम के टुकड़ों व नमक डालकर धीमी आंच पर पका लें तथा जब आम गल जाय तो चीनी / गुड़ व 1 ग्लास पानी डाल दें व धनिया, जीरा व मंगरैल हल्का भूनकर दरदरा पीस कर डालकर पकाएॅ पूरा मिश्रण जैम की तरह गाढ़ा हो जाय तो आंच पर जब गाढ़ा हो जाय तो आॅच से उतार लें व ज़ार में रख देंव प्रतिदिन के भोजन के साथ खाएं।

आम का छुंदा - मीठाः

सामग्रीः आम - 1 कि.ग्रा., चीनी - 750 ग्रा., नमक - 10 ग्रा., जीरा - 5 ग्रा., सौफ़ - 5 ग्रा., मिर्चा पाउडर - 30 ग्रा.

विधिः आम को घोकर, छीलकर कद्दूकस कर लें, आम के एक किलो गूदे में 750 ग्रा. चीनी व 2 चम्मच नमक डालकर शीशे के बर्तन में रखकर 4 - 5 दिन धूप में रख्ेंा, चीनी अच्छी तरह पक जायेगी तब उसमे 1 चम्मच भुने सौंफ़ का पाउडर, 1 चम्मच भूना जीरा पाउडर व 2 बड़े चम्मच मिर्चा पाउडर मिला कर दो दिन और धूप दिखा दें।
इसे आग पर भी पका कर बनाया जा सकता है। कद्दूकस किया हुआ आम नमक व चीनी एक साथ कढ़ाई में धीमी आॅच पर चढ़ा दें। पकते पकते जब आम के लच्छे पारदर्शी हो जाए तब उसमें जीरा, सौफ व मिर्चा पाउडर डाल कर दो मिनट और पका कर उतार लें व चैड़े मुॅह की शीशी मंे भरकर पूरी, पराठे के साथ मज़ा लें। इसको आप कच्चे आम का जैम भी कह सकते है। 

आम की नमकीन चटनीः

सामग्रीः कद्दूकस किया गया आम - 1 कि.ग्रा. या आम का गुदा, जीरा - 20 ग्राम, नमक - 20-30 ग्राम, गरम मसाला - 25
ग्राम, लाल मिर्च - 10 ग्राम, अदरक (बारीक) - 30 ग्राम, प्याज (छोटे टुकड़े) - 50 ग्राम, लहसुन (छोटे टुकड़े) - 25 ग्राम
एसिटिक एसिड/सिरका - 2 चाय का चम्मच

विधिः आम का गूदा या कद्दूकस किया आम, अदरक, लहसुन, प्याज के साथ कढ़ाई में धीमी आंच पर पकाए, उसके बाद नमक डाल दें। जब गाढ़ा होने लगे तो पिसे मसालें डाल दें। जब कढ़ाई छोड़ने लगे तब आग से उतार कर एसिटिक एसिड या सिरका डालकर अच्छी तरह मिलाकर चैड़े मुंह के जार में भर दें। ठंडा होने पर ढक्कन बंद करें। जाड़े के दिनों में धनियां व पुदीना पीसकर इसमें चीनी में मिलाकर खिला सकते हैं।

आम का नमकीन व मीठा पनाः

सामग्रीः आम का गूदा - 1 कि.ग्रा. गुड़ - 1.2 कि.ग्रा., काला नमक - 40 ग्रा, भुना जीरा - 15 ग्रा, काली मिर्च - 10 ग्रा
छोटी इलायची पाउडर - 1 चम्मच, सोडियम बेन्जोएट - 7 ग्रा/ लीटर, पुदीना - 1/2 कि.ग्रा., धनिया हरी -250 ग्रा.

विधिः आम को धोकर बहुत कम पानी डालकर उबाल लें या आग में भुनकर छीलकर गूदा निकाल लें व जाली से छान लें ताकि गूदा एक समान हो जाय व रेशा अलग हो जाय। अब 1 कि0ग्रा0 चीनी में 1 लीटर पानी डालकर पकायें व साइट्रिक अम्ल डालकर छान लें व ठंडा होने दें। पुदीने व धनिया हरी की पत्ती अलग कर भली प्रकार से धोकर पीस लें व जाली से छान कर उपरोक्त सूखी सामग्रियों को भी भुनकर महीन पीसकर गूदे में मिला दें। जब चाशनी ठंडी हो जाय तो गूदा अच्छी तरह से मिला दें व अंत में सोडियम बेनजोएट अलग से कटोरी में मिला कर गूदे के मिश्रण में मिला कर स्वच्छ बोतलों में ऊपर तक भर दें व ढक्कन लगा दें। यह गर्मीयों के लिए बहुत ही फायदेमंद पेय हैं। गर्मीयों में लू लगने से बचाता हैं व हर उम्र के लोग पसंद करते हैं।

आम की फांके एवं अमचुरः

आम को छीलकर फांके काटकर पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट के 0.1 प्रतिशत तथा 5 प्रतिशत नमक मिलाकर एल्यूमिनियम की ट्रे या पालीथीन की शीट पर रखकर 18 से 24 घंटे में सूखाएं जब भली प्रकार सूख जाय तो पालीथीन के थैले में सीलकर संरक्षित कर दें। अमचुर बनाने के लिए फांको को पीसकर बंद डिब्बे में दबा कर रख दें व जब आवश्यकता हो इस्तेमाल करें।

आम का अचारः

अचार के रामकेड़ा प्रजाति अच्छी मानी जाती है।
सामग्रीः आम की फांके - 1 कि.ग्रा., नमक - 160 ग्राम, सरसों - 100 ग्राम, सौंफ - 50 ग्राम, अजवाइन - 10 ग्राम, मेथी - 5 ग्राम, कलौंजी - 10 ग्राम, हींेग - 1 ग्राम, हल्दी - 15 ग्राम, लाल मिर्च - 45 ग्राम, सरसों का तेल - 250 मि.ली.

विधिः परिपक्व आम को धोकर सुखा लें व फांके काट कर 3 - 4 घंटे धूप में फैला दें। उसका पानी सूख जाय, तब सौंफ, मेथी, अजवाइन व मंगरैल को हल्का भून कर सारे मसालों को पीसकर, उसमें मिलाएं और थोड़ा तेल मिलाकर बर्तन में भरकर साफ कपड़ं से मुॅह बाॅध कर दो दिन धूप दिखाए। उसके बाद उसमें जितना तेल डालना हो उस तेल में हींग डालकर गरम करके जब ठंड़ा हो जाए तब अचार के ऊपर से डाल दें। दो दिन और धूप दिखा दें। आपका मन चाहा आम का हरा भरा ताजा अचार तैयार है।

आम व कटहल का अचारः

1 किलो कटहल छिला कटा हुआ व आधा किलो आम। बाकी मसाले आम के अचार वाले हों। कटहल को छोटे टुकड़ो में काट कर उसे खल में थोड़ा कूट लें (इससे कटहल जल्दी गलता है) आम धोकर छील कर उसके पतले पतले कतले काट कर आम कटहल नमक हल्दी मिला कर दो दिन धूप में किसी बर्तन में रखें। जब कटहल मुलायम हो जाय व उसका पानी सूख जाय तब आम के अचार की तरह सारे मसाले मिला कर, जार में भर कर 2 दिन धूप दिखा दें।

हींग का अचारः

सामग्रीः कच्चा आम - 1 कि.ग्रा., नमक - 150 ग्राम, काली मिर्च - 25 ग्राम, लाल मिर्च - 50 ग्राम, हींग - 2-3 ग्राम
तेल - 4 बड़ा चम्मच
विधिः आम को धोकर, छीलकर कद्दूकस कर लें या छिलनी से पतला-पतला छील लें। उपरोक्त
अनुपात के आधार पर नमक, हल्दी, मिर्चा व हींग व तेल मिलाकर 3-4 दिन तक धूप दिखाएं व
चैड़े मुंह की शीशी में भर दें व 3-4 दिनों तक धूप दिखाते रहें।
पूरी, पराठे, मठरी आदि के साथ इसका आनंद ले सकते हैं। यदि आपको खट्टा-मीठा अचार बनाना है तो इसी में स्वादानुसार चीनी भी डाल सकते हैं।

पके आम के उत्पादः

पके आम को बच्चे, जवान तथा बूढ़े सभी चाव से खाते हैं। मौसम में तो आम पर्याप्त मिलता है व सस्ता भी रहता है तो ऐसी ही समय में बिना मौसम स्वाद लेने के लिए कुछ संरक्षित उत्पाद बनाने की विधियां दी जा रही है जो निम्न है-
आम का गूदाः पके आम के गूदे को स्वच्छता से निकाल कर मलमल के कपड़े से छान लें व इसमें 5 ग्राम साइट्रिक एसिड तथा 2 ग्राम पोटेशियम मेटाबाई सल्फाइट प्रति किलो में डालकर मिलाकर बोतल में भरकर संरक्षित कर दें। अब इस संरक्षित गूदे या पल्प से आवश्यकतानुसार जब चाहें तब जैम, स्क्वैश या अन्य पदार्थ बनाया जा सकता है।
आम का जैमः इसके लिए बहुत अधिक पके आमों का चयन नहीं करना चाहिए। आम को धोकर, छीलकर गूदा निकाल लें व 1 कि0ग्रा0 गूदे में 750 ग्राम चीनी व 5-6 ग्राम साइट्रिक अम्ल डालकर तेज आंच पर रखकर पकाए व लकड़ी के चम्मच से चलाए। जब मिश्रण गाढ़ा हो जाय तथा तापक्रम 1050 डिग्री सेल्सियस हो जाय। या थोड़ा सा जैम प्लेट में डालें यदि चारों तरफ से पानी जैसा न निकले तो तब उतार ले। गर्म-गर्म चैड़े मुंह की बोतलों में भर दें। ठंडा होने पर पैराफिन मोम पिघलाकर बोतल बंदी कर दें। ब्रेड, पराठा व रोटी आदि के साथ आजमाए।

आम का स्क्वैशः

सामग्रीः आम का गूदा - 1 कि.ग्रा., चीनी - 2 किलो, पानी - 1 लीटर, साइट्रिक अम्ल - 40 ग्राम, पोटेशियम मेटा बाई - सल्फाइट - 2.8 ग्राम, पीला रंग – इच्छानुसार

विधिः इसके लिए आजकल बाजार में उपलब्ध बेनिशान प्रजाति है इसका स्वाद खट्टा-मीठा व सुवासयुक्त होता है। 1 कि0ग्रा0 चीनी में 1 लीटर पानी डालकर उबालें व 40 ग्राम साइट्रिक अम्ल डालकर छानें व ठंडा करें। आम के गूदे को मलमल के कपड़े से छाने व ठंडी चाशनी में मिला दें, अब अलग से थोड़े रस में पोटैशियम मेटा बाई सल्फाइट व रंग डालकर अच्छी तरह से मिलाकर पूरे रस में मिला दें। साफ बोतलों में भरकर तुरंत ढक्कन लगा दें। इससे आर. टी. एस. भी बनाया जा सकता है।

अमावट:

इसके लिए देशी प्रजाति का आम उपयुक्त होता है। आम को धोकर रस निकाल लें व मलमल के कपड़े से छान लें। अब 0.2 से 0.5 प्रतिशत तक साइट्रिक अम्ल तथा 0.1 प्रतिशत पोटैशियम मेटा बाई सल्फाइट डालकर एल्मुनियिम की ट्रे में पालीथीन के ऊपर डालकर सुखा लें। उलट कर खूब अच्छी प्रकार से सुखाकर टुकड़ों में काटकर बटर पेपर / पालीथीन में पैक कर दें।

आम का बीज:

आम की गुठली के अंदर बीज होता है जिसका स्वाद कसैला होता है। जिसमें 8 प्रतिशत प्रोटीन, वसा, स्टार्च, शर्करा, टेनिन, राब आदि पाया जाता है। आम का बीज पाचक का कार्य करता है व पेट के लिए बड़ा ही फायदेमन्द होता है।
बीज को काटकर इच्छानुसार काला नमक, सादा नमक, भुना जीरा, पिसी आजवाइन, पुदीना आदि पीसकर मिलाए व धूप में कड़ा होने तक सुखाएं। खाना खाने के बाद 1-2 टुकड़े लेने से मुंह साफ व खाना पचाने में सहायक होता है। बीज को सुखाकर पाउडर बना लें तथा 1ः4 के अनुपात में गेंहूं के आटे में मिलाकर रोटी बनाई जा सकती है। इस रोटी को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है।


Authors:

अर्चना सिंह*, वर्तिका सिंह** व अभिनव कुमार मौर्य**

*विषय वस्तु विशेषज्ञ, गृह विज्ञान, कृषि विज्ञान केन्द्र, मनकापुर, गोण्डा,  

**शोध छात्रा व छात्र, उद्यान विभाग, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या

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