Mango Malformation disease and its treatment
आम का गुच्छाा या गुम्मा , आम के वृक्षों पर होने वाला एक रोग है | प्रायः इस रोग के कारकों में फुजेरियम सबग्लुट्टीनेन्स नामक फफूंद का उल्लेख होता है | किन्तु अनेक विशेषज्ञों का मत है कि इस रोग का कारण पौधे में होने वाले हार्मोनों का असंतुलन हैं | एक अन्य मतानुसार इस रोग का कारण कुछ पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है |
गुम्मा रोग से ग्रसित आम के पेड़ में पत्तियों एवं फूलों में असामान्य वृद्धि एवं फल विकास अवरुद्ध हो जाता है | इस रोग के कारण आम के उत्पादन मे असाधारण कमी होती है। ऐसा पाया गया है कि आम की भारतीय प्रजातियाँ इस रोग से अधिक ग्रसित होती हैं |
आम का गुच्छा रोग के लक्षण :
नई पत्तियों एवं फूलों की असामान्य वृद्धि, टहनियों पर एक ही स्थान पर अनगिनत छोटी – छोटी पत्तियां निकल आना, बौर के फूलों का असामान्य आकार होना, फूल का गिर जाना, फल निर्माण अवरुद्ध हो जाना, आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण है।|
गुम्मा रोग दो प्रकार का होता है
1. आम के पत्तियों का गुम्मा (Leaf malformation) :
आम की टहनी पर एक पट्टी के स्थान पर अनगिनत छोटी- छोटी पत्तियों का गुच्छा बन जाना, तने की गाठों के बीच का अंतराल अत्यधिक कम हो जाना, पत्तियों का कड़ा हो जाना | बाद में यह गुच्छा नीचे की ओर झुक जाता है, जो बन्ची टॉप जैसा दिखता है |
आम के पत्तियों का गुम्मा
2. आम के फूलो का गुम्मा (Floral Malformation):
इस रोग से ग्रसित बौर की डाली अधिक मोटी एवं अधिक शाखायुक्त हो जाती है जिस पर 2 से 3 गुना अधिक अप्रजायी एवं असामान्य पुष्प बन जाते हैं जो कि फल में परिवर्तित नहीं हो पाते हैं | अथवा यदि इन पुष्पों से फल बनता भी है तो शीघ्र ही सूख कर धरती पर गिर जाते हैं |
आम के फूलो का गुम्मा
आम के गुच्छा या गुममा रोग का समेकित प्रबंधन:
इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह है कि इसमें पूरा बौर नपुंसक फूलों का एक ठोस गुच्छा बन जाता है।
- आम के पौधे को गुम्मा रोग से बचाने के लिए रोगग्रस्त पुष्पों की मंजरियोंको 30-40 सेमी नीचे से कटाई कर दें एवं धरती में खोद कर दबा दें।
- उपचार हेतु प्रारंभिक अवस्था में जनवरी फरवरी माह में ग्रसित पुष्पों/बौर को तोड़ दें एवम अधिक प्रकोप होने पर एन.ए.ए. 200 पी. पी. एम्. वृद्धि होरमोन की 900 मिली प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर दें।
- कलियाँ आने की अवस्था में जनवरी के महीने में पेड़ के बौर तोड़ देना भी लाभदायकरहता है क्योंकि इससे न केवल आम की उपज बढ़ जाती है अपितु इस बीमारी के आगे फैलने की संभावना भी कम हो जाती है ।
- 4 मिलीलीटर प्लानोफिक्स प्रति 9 लीटर पानी में घोलकर फरवरी – मार्च के महीने में छिड़काव करें |
लेखक:
डॉ टी.ए.उस्मानी, डॉ प्रदीप कुमार एवं राजीव कुमार
जैविक भवन, क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, सेक्टर-ई. रिंग रोड, जानकीपुरम,लखनऊ (उ.प्र.)
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