Pepsi micro-irrigation system: An option for farmers
पेप्सी सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, टपक सिंचाई प्रणाली का एक कम लागत वाला विकल्प है। इसे आर्थिक रूप से डिज़ाइन किए गए प्लास्टिक पाइपों और कम-डिस्चार्ज वाले एमिटर के नेटवर्क के माध्यम से धीरे-धीरे और नियमित रूप से पौधों के जड़ क्षेत्र में सीधे पानी पहुंचाने में उपयोग किया जाता है। इसे बनाने के लिए कम घनत्व वाली पॉलिथीन (65 से 130 माइक्रोन) ट्यूबों का उपयोग किया जाता है।
इसमें पानी का बहाव प्लास्टिक पाइपों के माध्यम से होता है और टपक सिंचाई की तुलना में पौधे के नीचे के ज्यादा सतही क्षेत्र को गीला कर पाता है। इसका निर्माण भारत के मैकाल क्षेत्र में कपास फसल के सिंचाई के लिए किया गया था जोकि आज इस क्षेत्र के किसानों की एक लोकप्रिय पसंद बन गई है। यह पारंपरिक टपक सिंचाई के आधे से भी कम लागत पर ज्यादा मुनाफा दे सकता है।
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली की उत्पत्ति
1990 के दशक में, अंतर्राष्ट्रीय विकास उद्यमों (आईडीई) के द्वारा मध्य प्रदेश के मैकाल क्षेत्र में कपास की खेती को बढ़ावा देने हेतु उस क्षेत्र के किसानों को ड्रिप सिंचाई के लिए माइक्रो-ट्यूब का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। विभिन्न कारणों से, इसकी असफलता के बाबजूद बायोरे माइक्रो-ट्यूब किट को बढ़ावा देना जारी रखा, जोकि उस क्षेत्र के ज्यादातर किसानों के लिए बहुत महंगे थे और इसका शुरुआती निवेश बहुत ही ज्यादा (6875 रुपये प्रति एकड़) था।
उसी समय प्रौद्योगिकी और लागत के बीच के अंतर को कम करने के लिए जमीनी स्तर पर कई शोध चल रहे थे। साथ ही साथ ड्रिप सिंचाई के लिए साइकिल के ट्यूब का प्रयोग जैसे शोध मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में किसानों द्वारा किए गए थे। लेकिन यह शोध एक सीमित क्षेत्र तक ही सीमित थे और उनमें से अधिकांश शोध वांछित परिणाम देने में सक्षम नहीं थे।
1998-99 के दौरान, इस क्षेत्र में पेप्सी नामक एक नया शोध सामने आया। यह स्पष्ट नहीं है कि पेप्सी सिंचाई प्रणाली पहली बार कैसे और कहां शुरू हुआ, लेकिन लंबे समय से पूरे क्षेत्र में कम लागत वाली जल बचत तकनीक की बहुत मजबूत गुप्त मांग मौजूद थी। छोटे कैंडी निर्माता "आइस कैंडी" को भरने के लिए डिस्पोजेबल हल्के घनत्व वाले प्लास्टिक का उपयोग करते थे, जिन्हें स्थानीय बाजारों में "पेप्सी" के नाम से बेचा जाता था।
प्लास्टिक कैंडी प्राकृतिक रूप से पारदर्शी होता है और इसकी लम्बाई 20 सेमी है। कैंडी निर्माता इन प्लास्टिक को रोल में खरीदते हैं और फिर आइस कैंडी बनाने के लिए रोल को छोटी लंबाई में विभाजित करते हैं। प्लास्टिक रोल की लागत 75 रुपये प्रति किलो है।
प्लास्टिक रोल का उपयोग ड्रिप ट्यूब के निर्माण के लिए किया जा रहा है और इसे सीधे पौधों के जड़ क्षेत्र में रखा जाता है। संपूर्ण सिस्टम स्थानीय स्तर पर असेंबल किया जाता है और इसे तैयार करने के लिए बहुत अधिक कौशल की आवश्यकता नहीं होती है। किसानों ने प्री-मानसून सीजन के दौरान कपास की फसल के सिंचाई के लिए पेप्सी प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया।
बाज़ार में, पेप्सी का एक पुनर्नवीनीकरण-प्लास्टिक संस्करण, जिसे ब्लैक पेप्सी के नाम से जाना जाता है। किसानों के द्वारा इस पारदर्शी उत्पाद को पहले उत्पाद से अलग किया, जिसे सफेद पेप्सी के नाम से जाना जाता था। ब्लैक पेप्सी सस्ता और शैवाल के हमले की समस्या को भी दूर करता है, जो सफेद पेप्सी के साथ एक बड़ी समस्या थी।
चूँकि कम लागत पर पानी बचाने की प्रबल अव्यक्त आवश्यकता थी, नए आविष्कार की खबर किसानों के बीच जंगल की आग की तरह फैल गई। पेप्सी का प्रसार मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पश्चिम निमाड़ जिले और महाराष्ट्र के जलगांव जिले की सीमा पर कपास उत्पादक क्षेत्र में देखा जाता है।
प्रारंभिक वर्षों में, पेप्सी का उपयोग मुख्य रूप से केवल कपास में किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग मिर्च, गन्ना और सब्जियों जैसी अन्य फसलों में भी किया जाने लगा। 2001 में, आईडीई इंडिया ने शोध की सफलता को पहचाना और पेप्सी का अपना संस्करण पेश किया, जिसे "सहज ड्रिप" के नाम से जाने जाना लगा, और इसका उपयोग बड़े पैमाने पर सब्जी उगाने के लिए किया जाने लगा।
लागत के आधार पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में उन्नति
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली की बनावट
इस प्रणाली में एक मुख्य पाइप होती है जो जमीन को लगभग दो बराबर हिस्सों में विभाजित करती है और जिन पौधों को सिंचाई की आवश्यकता होती है उनकी पंक्तियों के साथ पेप्सी ड्रिप ट्यूब की व्यवस्था की जाती है, जो एक छोर पर मुख्य पाइप से जुड़ी होती है और दूसरे छोर पर बंद होती है (चित्र 1)।
पानी के स्रोत से पंप करके मुख्य नलिकाओं में डाला जाता है और वहां से पेप्सी ट्यूबों में डाला जाता है। प्रत्येक पौधे के जड़ क्षेत्र में ट्यूबों में छेद करने के लिए बबूल के कांटे या सुई का उपयोग किया जाता है और पेप्सी सूक्ष्म प्रणाली उपयोग के लिए तैयार होती है।
चित्र 1: पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली के उत्पाद का विवरण
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली के उत्पाद जैसे पेप्सी ड्रिप फिटिंग इत्यादि का विवरण तालिका (1) में दिया गया है।
तालिका 1: उत्पाद का विवरण
उत्पाद | आकार |
व्यास |
16-20 mm |
लंबाई |
1000 mm |
मोटाई |
1 mm |
कीमत |
850 रुपये /रोल |
शोध का परिणाम
वर्मा और साथी (2004) के द्वारा पेप्सी सिंचाई का पारंपरिक ड्रिप/माइक्रो-ट्यूब सिंचाई का तुलनात्मक अध्धयन किया गया। शोध में पाया गया की पेप्सी सिंचाई, पारंपरिक ड्रिप/माइक्रो-ट्यूब सिंचाई की तुलना में ज्यादा पानी की बचत, कम निवेश इत्यादि होता है, जिसे तालिका (2) में दिखाया गया है।
तालिका 2: पेप्सी सिंचाई का परिणाम
घटक | बचत (%) |
ऊर्जा की बचत | 6.67 |
उपज | 36.50 |
श्रम की बचत | 13.33 |
पानी की बचत | 98.33 |
निवेश | 76.67 |
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली के फायदे
बाढ़ सिंचाई प्रणाली और ड्रिप सिंचाई प्रणाली/माइक्रो-ट्यूब सिंचाई की तुलना में पेप्सी सिंचाई प्रणाली के कई फायदे हैं:
- कम प्रारंभिक पूंजी निवेश की आवश्यकता
- कम पानी लगाने की दर
- तकनीकी परिष्कार का निम्न स्तर
- माइक्रो-ट्यूब और ड्रिप सिस्टम की तुलना में, कम पानी की बचत, खरपतवार में कमी और बिजली की बचत
- भंडारण के दौरान चूहों और कृंतकों द्वारा कम क्षति क्योंकि इस प्रणाली का उपयोग ज्यादातर केवल एक मौसम के लिए किया जाता है।
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली के नुकसान
- प्लास्टिक स्ट्रॉ के छिद्रों का अवरुद्ध होना क्योंकि अवरोध रेत और अन्य छोटे कणों के कारण नहीं होता है, जैसा कि सूक्ष्म ट्यूबों और ड्रिप के मामले में होता है, बल्कि कार्बनिक पदार्थ, जीवाणु कीचड़, शैवाल और/या रासायनिक अवक्षेपों के कारण होता है।
- अंतिम भाग पर कम दबाव और शीर्ष पर उच्च दबाव की समस्या, इसलिए सिर पर उच्च दबाव, छेद बड़े हो जाते हैं और अधिक पानी का बहाव हो जाता है।
- पूरे सीज़न सब्जी की फसल के सिंचाई के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
- हवा की समस्या
- जल का असमान वितरण
- कम जीवनकाल (1-2 वर्ष)
पेप्सी सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली की लागत
इस प्रणाली की लागत मुख्य पाइप के लिए लगभग 1000 रुपये और ट्यूबों की आवर्ती लागत 600-650 रुपये है। साथ ही साथ फ़िल्टर की लागत 1000 रुपये तक है।
निष्कर्ष
पेप्सी प्रणाली ड्रिप सिंचाई प्रणाली का कम लागत वाला विकल्प है। पेप्सी सिंचाई प्रणाली के लिए प्रारंभिक निवेश माइक्रो-ट्यूब से 41% कम और ड्रिप सिस्टम से 76.67% कम है, इसलिए पेप्सी सिस्टम कम लागत पर किसानों के लिए सबसे उपर्युक्त सिंचाई तकनीक है। पेप्सी सिंचाई के माध्यम से ऊर्जा की बचत (6.67%), श्रम की बचत (13.33%), पानी की बचत (98.33%) और उपज में वृद्धि (36.50%) पाया गया।
Author:
पवन जीत, आरती कुमारी, प्रेम कुमार सुंदरम, आशुतोष उपाध्याय और अनुप दास
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना-800014
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