Methods for nutrient conservation of food
भोजन बनाते समय उसकी पौष्टिकता टिकाये रखना भी एक कला है। आहार से पौष्टिक तत्वों की प्राप्ति हमें तभी होगी जब उसमे पौष्टिकता बरकरार होगी। अज्ञानता व लापरवाही के कारण हम भोजन के पौष्टिक तत्वों को नष्ट कर देते हैं। कुछ ऐसे सुझाव, जिनका पालन करके आप कम खर्च में अधिक विटामिन, खनिज तथा प्रोटीन प्राप्त कर सकती हैं, इस प्रकार है।
प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ -
सोयाबीन, फलियां व दालें प्रोटीन के अच्छे व सस्ते स्रोत हैं। अगर इन्हें पकाने और खाने से पहले अंकुरित भी कर लिया जाए तो इनमें विटामिनों की मात्रा और भी बढ़ जाती है। अंडे भी प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। अन्य मांसों की अपेक्षा गुर्दे, कलेजी तथा जीगर सस्ते लेकिन उतने ही पौष्टिक होते हैं।
अन्न जैसे गेहूँ, चावल व अन्य अन्न तब अधिक पौष्टिक होते हैं जब कुटाई करके उनका चोकर बाहरी सतह अलग न कर दी जाए।
फल सब्जियां -
इनको तोड़ने के बाद अगर इनका शीघzता शिघz प्रयोग किया जाए तो इनमें अधिक पौष्टिकता होती है। अगर आप इनका भंडारण करते हैं तो इनके विटामिन बचाये रखने के लिए इन्हें ठंडे व छायादार वाले स्थान में रखें।
सब्जियां पकाते समय कम से कम पानी का प्रयोग करें क्योंकि पकाते समय सब्जियों के विटामिन पानी में मिल जाते हैं। ऐसे पानी को फैंके नहीं बल्कि उसे शोरबा सूप बनाने के लिए प्रयोग करें या फिर इसे वैसे ही पी लें। गाजर व गोभी की बाहरी सख्त सतह में अनेक विटामिन होते हैं और उसका प्रयोग स्वास्थ्यवर्धक सूप बनाने के लिए किया जा सकता है।
दूध और दूध के बने पदार्थ -
इन्हें हमेशा ठंडी व छायादार जगह पर रखें। ये शरीर की रचना व वृद्धि करने वाले प्रोटीन तथा कैल्शियम में अत्यन्त समृद्ध होते हैं।
भोजन के पोषण सरंक्षण के पांच नियम:
पकाना :‐
खाना ढक कर पकाएँ ताकि पोषक तत्वों की क्षति न हो। इससे स्वाद भी बना रहता है। हलाने और छानने की प्रक्रिया ज्यादा लम्बे समय तक जारी न रखें क्योंकि खाने में हवा भी सम्मिलित हो जाती है जिसकी वजह से विटामिन सी नष्ट हो जाती है। खाने को तब तक पकाना चाहिए जब तक वह अच्छी तरह से पक न जाए क्योंकि तभी उसमें स्वाद आएगा और वह आसानी से पच जाएगा।
पोषक तत्वों को बचाने के लिए खाने को ज्यादा देर तक पकाना नहीं चाहिए। सब्जियां पकाने के बाद चमकदार रंग की एवं करारी होनी चाहिए। खाने को प्रेशर कुकर में पकाना चाहिए ताकि समय, उर्जा एंव पोषक तत्व बचे रहें।
सब्जियां एंव फल-
सब्जियों को पकाने से कुछ ही समय पूर्व काटें ताकि उसमें मौजूद विटामिन्स की क्षति न हो। सब्जियां काटने से पूर्व जरूर धोएं। काटने के बाद सब्जियों को अधिक समय तक न धोएं क्योंकि इससे पानी मे घुलनशील पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
सब्जियों को जहां तक सम्भव हो बिना छिले इस्तेमाल करना चाहिए या फिर छिलके की पतली परत ही निकालनी चाहिए क्योंकि छिलके मे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। खाने से ठीक पहले सब्जियों को पकाना चाहिए।
मौसम के अनुसार मिलने वाले फल एव सब्जियां इस्तेमाल करनी चाहिए। फल एवं सब्जियों को बडे भागो में काटें ताकि उनके उपर के तल का क्षेत्र कम हो जाए और वे हवा एवं पानी के सम्पर्क में कम आएं। सब्जियों को उवालते पानी में कम पकाएं ताकि उनका रंग स्वाद एवं पोषक तत्व बचा रहे। सलाद को खाने से थोडी देर पूर्व ही काटें । पहले से कटी सब्जियों का इस्तेमाल न करें।
तेल-
स्वस्थ्यवर्धक तेल का प्रयोग करें जैसे सोयाबीन एवं सरसों। ऊष्मा रोधक तेल का प्रयोग करें जैसे सरसों का तेल। ठोस वसा की जगह तेल का प्रयोग करें ताकि शरीर का कोलेस्ट्ल कम रहे। कई प्रकार के तेल या फिर अलग समय पर अलग तेल का इस्तेमाल करें ताकि सारे जरूरी फैटी एसिड प्राप्त हो सकें । अच्छे तेलों की जगह सस्ते तेलों का प्रयोग न करें जैसे कि मक्खन की जगह मार्जरीन व घी की जगह वनस्पति।
भोजन का बचा भाग-
गेहूँ के भूसे को न फेंकें क्योंकि उसमें विटामिन बी एवं रेशा होता है। वह पानी जिसमें दालें भिगाएं उसे फैंक दें क्योंकि उससे कई ऐंटी न्यूट्रियन्ट्स जैसे फाईटेट्स नष्ट हो जाते हैं। वह पानी जिसमें खाने को पकाया है उसे न फेंकें।
अम्लीय भोजन का प्रयोग –
नींबू, टमाटर, सिरका एवं दही सलाद में उपयोग करने से विटामिन सी का बचाव होता है।
Authors:
डॉ प्रीती चौधरी
खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, बागवानी और वानिकी कॉलेज,
डॉ वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नेरीए, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश 177 001 भारत
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