जलीय कृषि में एंटीबायोटिक दवाईयों का महत्व
जलीय जीवों में बहुत प्रकार की बीमारियाँ पाई जाती है। मछलियाँ बहुत ही सवेदनशील होती है जिसके कारण मछलियों में बहुत जल्दी जीवाणुओं का संक्रमण हो जाता है जिससे मछलियाँ कमजोर हो जाती है और कई बार बहुत सी मछलियाँ मर भी जाती है । इससे किसानो की उत्पादकता में कमी आति है और जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिल पाता है ।
बीमारियों से होने वाली हानि को रोकने अथवा कम करने के लिए मछलियों में कोई बीमारी आने पर कुछ प्रतिजैविक का उपयोग किया जा सकता है और मछलियों का बहेतर उत्पादन करके अधिक लाभ कमाया जा सकता है|
प्रतिजैविक दवाऐं या एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) क्या है:
प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक दवा एक प्रकार का पदार्थ या यौगिक है जो हानिकारक जीवाणु को मार डालता है या हानिकारक जीवाणु के विकास को रोकता है| प्रतिजैविक रोगाणुरोधि यौगिको का व्याप्क समूह है जिसका उपयोग कवक और प्रोटोजोआ सहित सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जाने वाले जीवाणुओं के कारण हुए संक्रमण के इलाज के लिए होता है|
एंटीबायोटिक शब्द का प्रयोग किसी एक सूक्ष्म जिव द्वारा उत्पन्न किये गए ठोस या तरल पदार्थ के लिए किया जाता है जो उच्च तनुकरण में अन्य सूक्ष्मजीवों के विकास के विरोधी होते है|
ग्राम ॠणात्मक जीवाणु और धनात्मक जीवाणु क्या हैं:
अधिकांस जीवाणु जो मछलियों को संक्रमित करते हैं| उन्हें दो भागो में बाटा गया है जो की ग्राम ॠणात्मक जीवाणु और धनात्मक जीवाणु के नाम से जाने जाते हैं इन्हें ये नाम इनके प्रतिक्रिया के आधार पर दिया गया है इस प्रतिक्रिया को ग्राम स्टैनिग के नाम से जाना जाता है|
यह प्रतिक्रिया जीवाणु में पाए जाने वाले सेल वाल पर आधारित है जिसमे ग्राम धनात्मक जीवाणुओं के सेल वाल में peptidoglycan की मोटी परत पाई जाती है एवं ॠणात्मक जीवाणु के यह परत पतली पाई जाती है जिसके कारण ग्राम स्टैनिग में उपयोग लाये जाने वाले रासायनिक पदार्थो का अवशोषण अलग अलग होता है जिसके कारण यह अलग अलग रंग प्रकट करती है
इस प्रतिक्रिया में ॠणात्मक जीवाणु गुलाबी रंग एवं धनात्मक जीवाणु नीला रंग प्रकट करते है| दोनों ही प्रकार के जीवाणु अलग अलग होते है इस कारण से प्रतिजैविक, ॠणात्मक तथा धनात्मक जीवाणु में अलग अलग बदलाव व कार्य करती है|
धनात्मक एवं ॠणात्मक जीवाणु
धनात्मक जीवाणु (Gram Negative Bacteria ) |
ॠणात्मक जीवाणु (Gram Positive Bacteria) |
Streptococcus sp. |
Aeromonashydrophila |
Mycobacterium sp. |
Aeromonassalmonisida |
Closstrodinumsp.
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Flavobacteriumcolumare |
Vibrio sp. |
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Pseudomonas sp. |
जलीय जीवों में संक्रमण करने वाले हानिकारक जीवाणु एवं लक्षण -
बीमारियाँ /जीवाणु नाम |
लक्षण |
एंटीबायोटिक दवाइयां एवं मात्र |
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दवाईयाँ |
मात्रा |
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Red pest Bacterium cyprinicida |
मछली के शरीर में लाल रंग के दबे का दिखाई देना |
Methylene blue और Malachite greenOxytetracycline
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5% |
Columnaris Chondroccuscolumaris, Cytophygacolumaris |
शरीर में पिला तथा सीमेंट रंग के चकते का पाया जाना, त्वचा में फोड़े का मिलना, पंखो का घिसा हुआ दिखना, गलफड़ा तंतु का नष्ट हो जाता है |
1ppm copper sulphate Tetracyclin(orally) Deeptreatment malachite green |
3 g / 100 pounds of fish / day for 10 days (1:15000 v/v) for 10-30 seconds |
Mouth fungus Filamentous bacteria, flexi bacteriam |
मुख के चारो ओर कवक का पाया जाना |
Chloramphenicol furanace for long term bath |
10 ppmfor 2-5 days 0.3 ppm |
Tuberculosis Mycobacterium sp. |
इसमे त्वचा और गलफड़े पर सीमेंट-भूरा रंग का गाठ पाया जाता है |
Kanamycin |
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Dropsy Pseudomonas punctata |
शरीर में छालों का दिखाई पड़ना, असामान्य त्रिकोण से मछलियों का कूदना एवं तैरना |
potassium permanganate Streptomycin and oxytetracyclin |
5 ppmfor 2 minutes |
Tail rot and fin rot A.salmonosida |
पंखो का झड़ना एवं मछली सुस्त हो जाता है |
Oxytetracycline Nitrofurazone with Kanamycin, Neomycin, |
Feed medicated food if fish eat
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Fish vibriosis Vibrio sp A. salmonosida |
त्वचा एवं मांसपेशियों में खुनी घावों का दिखना, आँखों एवं गलफड़े में रक्त स्त्राव होना , आंत में फुलाव का पाया जाना |
Sulfamethazine tetramycin |
2 g / 100 poundsoffish / day 3 – 4 g / 100 pounds of fish / day for 10 days |
Furuneulosis A. salmonicida |
त्वचा में छाला का दिखाई देना, त्वचा से रक्त स्त्राव का होना, गर्दा का गल जाना |
sulphonamides or nitrofuransat chloromycetin and tetramycin |
22 g / 100 kg of fish / day 5-7.5g / 100 kg of fish / day |
मछलियों में दवा देने के मार्ग
तरीका |
पथ्य |
खाने के द्वारा |
तरल पदार्थ के साथ |
टेबलेट्स के रूप में |
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कैप्सूल के रूप में |
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इंजेक्शन के द्वारा |
त्वचा के अंदर |
नसों के अंदर |
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बाथ |
पानी में घोल कर |
झींगामें उपयोग में लेन के लिए प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाऐं:–
कुछ एंटीबायोटिक झींगा में हानिकारक प्रभाव प्रकट कर रही थी जिसके कारन कोस्टल एक्वाकल्चर ऑथरिटी(costal aquaculture authority ) के द्वारा कुछ एंटीबायोटिको को झींगा में इस्तेमाल करने के लिए रोक लगा दिया गया है जो निम्न है :-
क्र. | प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवा |
१ | Chloramphenicol |
२ | Nitrofurans including : furaltadone, furazolidoneFurylfuramide,Nifuratel, Nifuroxime, Nifurprazine, Nitrofurantoin, Nitrofurazone |
३ | Neomycin |
४ | Nalidixic acid |
५ | Sulphamethoxazole |
६ | Aristolochiaspp and preparations thereof |
७ | Chloroform |
८ | Chlorpromazine |
९ | Colchicine |
१० | Dapsone |
११ | Dimetridazole |
१२ | Metronidazole |
१३ | Ronidazole |
१४ | Ipronidazole |
१५ | Other nitroimidazoles |
१६ | Clenbuterol |
१७ | Diethylstilbestrol (DES) |
१८ | Sulfonamide drugs (except approved Sulfadimethoxine,Sulfabromomethazine and Sulfaethoxypyridazine) |
१९ | Fluroquinolones |
२० | Glycopeptides |
Authors:
दिपिका1, मंगेश म. भोसले1, *अजय कुमार2
1 डॉ. जे. जयललिता मात्स्यिकी विश्वविद्यालय
2केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई
*Email: