Weed management in major cereals and pulses crops of Kharif season
खरीफ मौसम कीे प्रमुख धान्य एवं दलहनी फसलों में बाजरा, मक्का, ज्वार, अरहर, मूंग, उडद एवं ग्वार की खेती की जाती है। किसान, उन्नत किस्म के बीज, उपयुक्त उर्वरक, नियमित सिंचाई तथा पादप सुरक्षा के विभिन्न उपाय एवं उत्पादन की वैैज्ञानिक विधियॉ अपनाकर भ्ाी कृषि से भरपूर उत्पादन प्राप्त करने में अब भी पूर्णतया सफल नहीं हो पा रहे हैं।
इसका एकमात्र कारण है कि वे उन्नतशील साधनों को अपनाने के साथ-साथ खरपतवारों के नियंत्रण पर पूर्ण ध्यान नहीं देते। यदि किसान को अपनी फसल से भरपूर उपज प्राप्त करनी है तो इन फसलों के शत्रु खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के महत्व को समझकर उनको समय पर नष्ट करना होगा।
खरपतवारों की उपस्थिति फसल की उपज को 35-37 प्रतिशत तक कम कर देते हैं। खरीफ मौसम में खरपतवारों का नियंत्रण निराई-गुड़ाई एवं रसायनों के प्रयोग द्वारा आसानी से किया जा सकता है।
1. निराई गुड़ाई
खरीफ मौसम की प्रमुख धान्य एवं दलहनी फसलों की अच्छी बढवार के लिए खरपतवारों को निकालनें के लिए निराई-गुड़ाई करें, इससें खरपतवार तो नष्ट होतें ही है, साथ ही मिटटी में हवा का संचार होता है और उपरी पपडी के टूटनें से नमी का संचार बढता है। वर्षां के अभाव में निराई-गुड़ाई वरदान से कम नही होती।
यह खरपतवारों पर नियंत्रण पाने की सरल, प्रभावपूर्ण तथा उत्तम विधि है। प्रमुख धान्य एवं दलहनी फसलों की आरंभिक अवस्था, बुवाई के 15-45 दिन के मध्य, का समय खरपतवारों से प्रतियोगिता की दृष्टि से क्रांतिक समय है। परिणामस्वरूप, आंरभिक अवस्था में ही फसलों को खरपतवार से मुक्त करना फसल के लिये अधिक लाभदायक होता है।
बुवाई के 20 दिनों के बाद ही खुरपी से पहली निंदाई करके खेत को खरपतवार रहित करना आवश्यक होता है, जिससे खरपतवारों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। हाथ से खरपतवार निकालने की विधि तभी अपनायी जानी चाहिए जब क्षेत्रफल थोड़ा हो तथा श्रमिक आसानी से कम मूल्य पर उपलब्ध हो।
2. खरपतवारनाशी रसायनों के प्रयोग से खरपतवार नियंत्रण
खरीफ की प्रमुख धान्य एवं दलहनी फसलों में खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग करके भी खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है। जहां समय एवं श्रमिक कम तथा पारिश्रमिक ज्यादा हो वहां इस विधि को अपनाने से प्रति हैक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की बचत होती है। रसायनों का प्रयोग अपनाने से श्रम शक्ति भी कम लगती है तथा मुख्य फसल को भी हानि नहीं पहुंचती।
खरीफ की प्रमुख धान्य एवं दलहनी फसलों में उगने वाले खरपतवारों को नष्ट करने हेतु निराई गुड़ाई एवं खरपतवारनाशी रसायनों का उचित मात्रा व सही समय पर उपयोग हर फसल में अलग होता है।
बाजरा फसल में खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के तीसरे चौथे सप्ताह तक खेत में निराई करके खरपतवार अवश्य निकाल देवें। आवश्यकतानुसार दूसरी निराई गुड़ाई प्रथम निराई गुड़ाई के 15 दिन पश्चात करें। गुड़ाई करते समय ध्यान रखें कि पौधों की जडे क़ट न जायें।
जहां प्रारम्भ में निराई गुड़ाई करना सम्भव न हो वहां बाजरे की शुध्द फसल में खरपतवार नष्ट करने के लिये बुवाई के तुरन्त बाद प्रति हैक्टेयर आधा किलो एट्राजिन सक्रिय तत्व का 500-600 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें। छिड़काव के बाद भी निराई करके खरपतवार अवश्य निकालें।
रूखडी के नियन्त्रण के लिये ढाई किलो 2, 4-डी सोडियम लवण 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर का छिड़काव बुवाई के 3-4 सप्ताह के बाद करे तथा इसी रसायन को सवा किलो प्रति हैक्टेयर की दर से 8-10 सप्ताह के अन्तराल पर दोहराये। बुवाई के समय 20 किलो नत्रजन (अमोनियम सल्फेट के रूप में) प्रति हैक्टेयर देने पर रूखडी का प्रकोप कम करने एवं बाजरे की उपज बढ़ाने में लाभकारी है।
मक्का फसल में खरपतवार नियंत्रण
मक्का फसल में वर्षा के मौसम की फसल होने के कारण खरपतवारों की समस्या अधिक होती है। खरपतवारों के कारण उत्पादन में 40-60 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। अधिक पैदावार के लिए मक्का के खेत को 45 दिन की अवधि तक खरतपवारों से मुक्त रखना चाहिए। इसके लिए कम से कम दो-तीन बार निराई-गुडाई, की जानी चाहिए।
मक्का फसल में खरपतवार नष्ट करने के लिये बुवाई के तुरन्त बाद प्रति हैक्टेयर आधा-एक किलो एट्राजिन सक्रिय तत्व का 600-800 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।
ज्वार फसल में खरपतवार नियंत्रण
सामान्यतया दो-तीन निराई-गुडाई करने से खरपतवाराें पर नियंत्रण पाया जा सकता है। पहली निराई-गुडाई फसल बोने के 15 से 20 दिन के अन्दर करनी चाहिए। अगर खरपतवार अधिक हो तो बुवाई के 35 से 40 दिन के अंदर दूसरी निर्राई-गुडाई करें।ज्वार फसल में खरपतवार नष्ट करने के लिये बुवाई के तुरन्त बाद प्रति हैक्टेयर 0.75 से 1 किलो एट्राजिन मात्रा का 600-800 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।
अरहर फसल में खरपतवार नियंत्रण
अरहर में बुवाई के 45-50 दिन तक खरपतवारों की रोकथाम करना आवश्यक होता है। इसके बाद फसल की बढवार जोर पकड़ लेती है और खरपतवार कोई विशेष हानि नहीं पहुँचापाते। खरपतवारनाषियाें के प्रयोग से भी खरतपवाराें के प्रकोप को कम कर सकते हैं।
इस फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए फ्लुक्लोरेलिन (45 ई.सी.) एक लीटर सक्रिय तत्व (2.2 लीटर दवा) की मात्रा प्रति हैक्टेयर बुवाई से पहले छिडकाव करें। अथवा पेन्डामिथेलीन (30 ई.सी) की 1 लीटर सक्रिय तत्व (3.3 लीटर दवा) को बुवाई के बाद और अंकुरण से पहले 600-800 लीटर पानी में घोल कर छिडक़ाव करे और छिडक़ाव के बाद रसायन को मिटट्ी की ऊपर की परत में अच्छी तरह मिला दें।
मूंग फसल में खरपतवार नियंत्रण
फसल बोने के 35-40 दिन के भीतर खरपतवाराें की सघनता के अनुसार एक या दो निराई-गुडाई पर्याप्त होती है। अथवा फ्लूक्लोरेलिन नामक दवाई को 1 लीटर प्रति है. की दर से 400 लीटर पानी में घोल कर बवाुई से पहले छिडक़ाव करके तुरन्त भुमि की उपरी सतह में मिलाएें या पेन्डीमेथालीन 1 कि.गा्र./है. रसायन को 500 ली. पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन बाद छिडक़ाव करे,
उड़द फसल में खरपतवार नियंत्रण
उड़द की फसल में खरपतवारों की समय पर रोकथाम करना अतिआवश्यक है। इनकी रोकथाम के लिए बुवाई के 25 से 30 दिन के बाद सिंचाई के बाद से निराई व निकाई करके नियंत्रित किया जा सकता है। आवश्यकता पडनें पर खरपतवारनाशी रसायनाें का उपयोग कर सकतें है।
खरपतवारनाशी पेन्डीमेथालीन 1 कि.गा्र./हेक्टेयर का 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के बाद एवं अंकुरण से पूर्व करना चाहिए।
ग्वार फसल में खरपतवार नियंत्रण
पहली निराई गुड़ाई पौधों के अच्छी तरह जम जाने के बाद एक माह में ही कर देनी चाहिये। गुड़ाई करते समय ध्यान रहे कि पौधों की जडें नष्ट न होने पायें।खरपतवार नियंत्रण खुरपी और खरपतवारनाषी रसायनों एवं हैण्ड हो आदि से किया जाता है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए फ्लूक्लोरेलिन (45 ई.सी.) दवा की एक लीटर सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर (2.2 लीटर दवा) की दर से 600-800 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के पूर्व छिडकाव कर भूमि में भली भांति मिला देना चाहिये अथवा पेन्डामिथेलीन (30 ई.सी) की 1 लीटर सक्रिय तत्व (3.3 लीटर दवा) को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के तुरन्त बाद (बुवाई के एक से तीन दिन के अंदर) परन्तु अंकुरण से पूर्व छिड़काव करना चाहिये।
रासायनिक खरपतवार प्रबंधन के समय कुछ ध्यान रखने योग्य बातें:
क्या करें-
- रसायनों का प्रयोग अनुमोदित मात्रा के अनुसार ही करें।
- रसायनों की बोतल/डिब्बों में दिये गये निर्देशों के अनुसार ही रसायन का प्रयोग करें।
- खरपतवारनाशी के पैकेट पर वैधता अवधि (Expiry date) जॉच लें।
- खरपतवार के प्रकार व संख्या को ध्यान में रखकर खरपतवारनाशी का चयन करें ।
- रासायनिक खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय खेत में नमी का होना आवश्यक है।
- खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय फलेट फेन नोजल का प्रयोग करें ।
- खरपतवारनाशी चक्र का अनुसरण करें ताकि खरपतवारों की प्रतिरोधी क्षमता विकसित ना हो।
क्या ना करें-
- खरपतवार उगने के बाद के खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय रेत, यूरिया या मिट्टी के साथ ना मिलाये।
- तेज हवा चलते समय खरपतवारनाशी का छिड़काव न करें।
- खरपतवारनाशीयों का प्रयोग पूर्ण जानकारी के बिना नही करें।
Authors:
*बजरंग लाल ओला एवं**डॉ. बी. एस. राठौड़
*सस्य विज्ञान विशेषज्ञ एवं ** वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष,
कृषि विज्ञान केन्द्र, (भा.कृ. अ. प.-सरसों अनुसधान निदेशालय) गूंता, बानसूर, अलवर (राज.)
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