Flowering and blooming time of guava in India
अमरूद के पेड़ प्राकृतिक परिस्थितियों के अंतर्गत उत्तरी भारत में साल में दो बार लेकिन पश्चिमी और दक्षिणी भारत में साल भर में तीन बार अर्थात साल भर फूलों और फलों का उत्पादन करते हैं परिणामस्वरूप यह विराम अवधि (rest period) में चला जाता है और अंततः साल के अलग-अलग समय पर छोटे फसल देने लगते हैं,
फूल और फल देने की यह पद्धति व्यावसायिक खेती के लिए वांछनीय नहीं है । अच्छी तरह से परिभाषित अवधि हैं:
फूलों के प्रकार |
फूल देने का समय |
कटाई का समय |
फलों की गुणवत्ता |
अम्बे बहार |
फरवरी-मार्च (वसंत ऋतु) |
जुलाई-सितम्बर (वर्षा ऋतु) |
फीका, पानी जैसा, स्वाद और रखने की गुणवत्ता खराब |
मृग बहार |
जून-जुलाई (मानसून ऋतु) |
नवम्बर-जनवरी (शरद ऋतु) |
उत्कृष्ट* |
हस्त बहार** |
अक्टूबर |
फरवरी-अप्रैल |
बढ़िया, लेकिन उपज कम, अच्छी कीमत मिलती है |
*अमरूद के पेड़ केवल मृग बहार फूलों का उत्पादन करने के लिए बनाये गए हैं ।
**यह प्रकार सामान्य नहीं है । यह प्रवृत करना आसान है । यह ज्यादातर एक मौका फसल है । यह पश्चिमी और दक्षिणी भारत में देखा जाता है ।
मृग बहार के लिए अमरूद में फूल, फल लगने को नियन्त्रित करने की विधि:
भारत भर में, मृग बहार अम्बे बहार और हस्त बहार से अधिक पसंद किए जाते हैं । इसलिए, फूलों का नियंत्रण आवश्यक हो जाता है ताकि मृग बहार अत्यधिक फूलों का उत्पादन कर सके और सर्दियों में फल उपलब्ध सके ।
इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित कार्य-विधि अपनाया जाता है:
क) अमरूद में सिंचाई पानी को प्रतिबंधित करने के लिए उपाय:
अमरूद के पेड़ो को फरवरी से मई के मध्य तक सिंचाई नहीं दी जानी चाहिए। इस प्रकार पेड़ गर्मी के मौसम (अप्रैल-मई) के दौरान अपने पत्ते गिरा कर आराम करने के लिए चले जाते हैं। इस दौरान, वृक्ष अपनी शाखाओं में खाद्य सामग्री संरक्षण कर सकते हैं।
जून के महीने में पेड़ों (खेत) की अच्छी तरह से जुताई करने और खाद देने के बाद सिंचाई की जाती है। 25-25 दिनों के बाद पेड़ में विपुल मात्रा में फूल निकलते हैं । सर्दियों के दौरान फल परिपक्व हो जाते हैं ।
ख) अमरूद जड़ों को अनावृत करने के लिए:
जड़ों को सूर्य-प्रकाश देने के लिए लिए धड़ (45-60 सेमी त्रिज्या) के आसपास ऊपरी मिट्टी को सावधानी से निकाल दिया जाता है। इस क्रिया से मिट्टी की नमी की आपूर्ति में कमी हो जाती है परिणामस्वरूप पत्तियाँ गिरने लगती है और पेड़ आराम करने के लिए चला जाता है।
3-4 सप्ताह के बाद, उजागर जड़ों को मिट्टी के द्वारा फिर से ढक दिया जाता है। इसके बाद खाद और पानी दिया जाता है।
ग) फूल खिलने से रोकने के लिए:
यह वृद्धि नियामकों के उपयोग से प्रभावी हो सकता है जैसे कि 50 ppm (मिलियन प्रति भागों) की दर से नेफ़थलीन एसीटामाइड (Naphthalene Acetamide) (NAD) का उपयोग किया जा सकता है। यह छोटे पैमाने पर हाथ से भी किया जा सकता है।
जब अम्बे बहार के फूलों को खिलने से रोक दिया जाता है तो पेड़ मृग बहार में अधिक फूलों और फलों के उत्पादन के लिए अधिक सक्षम हो जाता है।
घ) पेड़ों को झुकाना:
जिस पेड़ कि शाखाएँ सीधी होती हैं बहुत कम फल देने वाली होती है ऐसे पेड़ कि शाखाओं को झुका कर जमीन पर गड़े खूंटे से बांधा जा सकता है । इस प्रकार निष्क्रिय कलियाँ भी सक्रिय हो जाती हैं और फूल और फल देने लग जाती हैं।
ङ) वृद्धि नियामकों का उपयोग:
सर्दियों की फसल मानसून फसल की तुलना में गुणवत्ता में काफी बेहतर होते हैं। किसान अक्सर एक उच्च कीमत पाने के लिए फूलों को गिरा कर मानसून फसल को कम कर देते हैं। यह फूलों के वसंत फ्लश पर Maleic hydrazide जैसे वृद्धि नियामकों के उपयोग द्वारा किया जाता है। वृद्धि नियामकों जैसे NAA, NAD और 2,4 D का उपयोग फूलों के कम होने और फसल के मौसम की जोड़-तोड़ करने में भी प्रभावी होना पाया गया है।
भारत के विभिन्न हिस्से में फूल देने की मुख्य अवधि :
पूर्वी भारत |
क)अप्रैल-मई |
पश्चिमी भारत |
क)फरबरी-मार्च |
उत्तरी भारत |
क)अप्रैल-मई |
दक्षिणी भारत |
क)अप्रैल-मई |
Authors:
धर्मजीत के, एवं के. उषा
फल और बागवानी प्रौद्योगिकी प्रभाग,
भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई देहली, ११००१२
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