Goat farming a profitable business
भारत में बकरी पालन छोटे किसानों द्वारा लोकप्रियता के साथ अपनाया जा रहा है। अन्य पशुओं की अपेक्षा यह अधिक लाभदायक है क्योंकि इसमें कम लागत, सामान्य आवास तथा कम संसाधन की आवश्यकता होती है। ग्रामीण व भूमिहीन किसानों के लिए बकरी पालन आजीविका का एक अच्छा साधन है। बकरी पालन से परिवार की रोजी रोटी आसानी से चल सकती है।
देश में बकरी पालन मुख्य रूप से दूध, मांस व रेशों के उत्पादन के लिए किया जाता है। बकरियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तथा उच्च तथा निम्न तापक्रम को सहने की भी अच्छी क्षमता होती है।
बकरी को गरीब की गाय के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि बकरी पालन में आवास, आहार और प्रबधंन पर कम खर्च करना पड़ता है एवं कम खर्च में अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।
बकरियां 10 से 12 माह पर गर्भधारण करने वाली हो जाती है और 16 से 18 महीने की आयु में पहला बच्चा दे देती है। इस प्रकार कम समय में ही झुण्ड का आकर बढ़ने लगता है।
1. बकरी का दूध :-
दूध एक सम्पूर्ण आहार है एवं मानव शरीर के पोषण के लिए दूध का योगदान बहुत अधिक है। बकरी का दूध केल्शियम, प्रोटीन और विटामिन-डी का अच्छा व सस्ता स्त्रोत है। कुछ ऐसे रोग जिनमें खून में प्लेटलेट्स की संंख्या कम हो जाती है, उन बीमारियों में बकरी का दूध बहुत ही अच्छा माना जाता है। इम्यून सिस्टम व डेंगू के मरीजों के लिए यह काफी प्रभावी है। इसमें खनिज पदार्थ जैसे आयरन, फॉस्फोरस, मेग्नीशियम इत्यादि पाए जाते हैं।
बकरी के दूध में सिलिनीयम भी पाया जाता है जो कि खून का थक्का बनने की क्रिया में सहायता करता है। यह एक एन्टी-ऑक्सीडेन्ट की तरह कार्य करता है एवं प्लाज़्मा कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बनाने में सहायता करता है। बकरी के दूध के प्रोटीन की मात्रा मानव दूध के प्रोटीन से मिलती जुलती है, इसीलिए नवजात शिशुओं के लिये इसे मानव दूध का विकल्प माना जाता है।
बकरी के दूध में विटामिन्स की मात्रा गाय के दूध से अच्छी होती है तथा यह गाय के दूध की तुलना में आसानी से पचता है। गाय के दूध से एलर्जी हो सकती है इसलिए जिन बच्चों में एलर्जी की समस्या हो उनमे बकरी का दूध अच्छा विकल्प है।
इसके अलावा बकरी के दूध में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं क्योंकि बकरी जंगल या बीड़ में चरने के दौरान विभिन्न औषधीय पेड़-पौधों की पत्तियां आदि खाती है इसलिए बकरी का दूध अधिक गुणकारी माना जाता है।
2.बकरी का मांस:-
बकरी के मांस में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने के कारण काफी पसंद किया जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। अन्य पशुओं की तरह बकरियों के मांस के साथ कोई धार्मिक मान्यता नहीं होने के कारण भी बकरी पालन व्यवसाय बहुत अधिक प्रचलन में है।
3.अन्य लघु उद्योग:-
बकरी पालन से हर व्यक्ति को कम लागत में दूध व मांस मिल सकता है। बकरी का चमड़ा भी काफी महत्वपूर्ण है। बकरी के चमड़े का उपयोग ढोलक, तबला, पर्स, जैकेट, बेल्ट, ढपली तथा अन्य सजावटी समान बनाने इत्यादि में होता है।
4.बकरी की ऊन(रेशों):-
बकरियों की विभिन्न प्रजातियों में ऊन के बाल पाये जाते हैं। इनसे कालीन , चटाई व दरी बनाई जाती है तथा विभिन्न प्रकार के नमदे,ऊनी वस्त्र भी बनाये जाते हैं।
5.खाद:-
बकरी से एक साल में लगभग दो किवंटल खाद प्राप्त होती हैं। बकरी से मिलने वाली खाद को काफी उर्वरक माना गया है और इसका उपयोग भूमि को उपजाऊ बनाने में किया जाता है।
Authors:
डॉ. विनय कुमार एवं डॉ.अशोक कुमार
पशु विज्ञान केंद्र, रतनगढ़ (चूरु)
राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर
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