Soil health card: Today’s requirement of farmers
कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियां भारत में कुल सकल घरेलु उत्पाद में 30 फीसदी का योगदान करती है। कृषि सीधे तौर पर मिट्टी से जुडी है। किसानों की उन्नति मिट्टी पर निर्भर करती है, मिट्टी स्वस्थ तो किसान स्वस्थ। इसी सोच के आधार पर भारत सरकार ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में किसानों के लाभ हेतु राष्ट्रव्यापी "मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना" का शुभारंभ किया।
इस योजना में, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाता है,जिसमें उनके खेत की मिट्टी की पूरी जानकारी लिखी होती है जैसे उसमे कितनी -कितनी मात्रा किन -किन पोषक तत्वों की है और कौन- कौनसा उर्वरक किसानों को अपने खेतो में उपयोग करना होगा। यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है। सरकार ने इस योजना के तहत पुरे भारत के 14 करोड़ से भी ज्यादा किसानों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हर किसान को उसकी मृदा का स्वास्थ्य कार्ड प्रति 3 वर्ष में दिया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा के स्वास्थ्य से सम्बंधित सूचकों और उनसे जुडी शर्तों को प्रदर्शित करता है। ये सूचक स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के सम्बन्ध में किसानों के व्यावहारिक अनुभवों और ज्ञान पर आधारित होते है। इसमें फसल के अनुसार, उर्वरकों के प्रयोग तथा मात्रा का संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है, ताकि भविष्य में किसान को मृदा की गुणवत्ता सम्बन्धी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े और फसल उत्पादन में भी कमी नहीं हो ।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लाभ
मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिलने पर किसानों को कई प्रकार के लाभ है:
- इस योजना की मदद से किसानों को अपने खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल पायेगी। इससे वो मन चाहे अनाज / फसल उत्पादन कर सकते है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड हर 3 वर्ष में दिया जाता है, जिससे किसान को अपने खेत की मिट्टी के बदलाव के बारे में भी बीच-बीच में पता चलता रहेगा।
- इस योजना के तहत किसानों को अच्छी फसल उगने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें और देश दोनों का फायदा होगा।
- इससे किसानों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और देश उन्नति की और बढ़ेगा।
मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच की प्रक्रिया
- सबसे पहले किसान के खेत की मिट्टी का नमूना लिया जाता है।
- उसके बाद उस मिट्टी के नमूने को परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
- वहां विशेषज्ञ मिट्टी की जांच करते है तथा मिट्टी के बारे में सभी जानकारियां प्राप्त करते है।
- उसके बाद रिपोर्ट तैयार करते है की कोनसी मिट्टी में क्या ज्यादा और क्या काम है।
- उसके बाद इस रिपोर्ट को एक-एक करके किसान के नाम के साथ अपलोड किया जाता है जिससे की किसान अपनी मिट्टी की रिपोर्ट जल्द से जल्द देख सके और उसके मोबाइल पर इसकी जानकारी दी जाती है।
- बाद में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रिंट करके दिया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की सफलता
फरवरी 2015 में योजना की शुरुआत के बाद प्रथम चरण में 84 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन जुलाई 2015 तक केवल 34 लाख किसानों को ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया गया।देश के सभी राज्यों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने में आंध्र प्रदेश सबसे आगे है, तमिलनाडु और पंजाब दो अन्य राज्य है जिनमे खरीफ में सबसे अधिक संख्या में मृदा परीक्षण के लिए मृदा नमूने एकत्रित किये। यध्यपि, तमिलनाडु में अभी तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित नहीं किये गए। उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलगाना और ओडिसा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण एवं आवंटन में अन्य अग्रणी राज्य है।हरियाणा, केरल, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश,सिक्किम,गोवा तथा पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों के किसानों को 2015-16 के लक्ष्य के हिसाब से काम मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये गए।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए वेब पोर्टल का शुभारंभ
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को अधिक समृद्ध बनाने के लिए भारत सरकार ने कृषि विभाग के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वेब पोर्टल सुरु किया। यह पोर्टल एक वेब आधारित एप्लीकेशन है जिसमें निम्नलिखित प्रमुख प्रारूप मौजूद है।
- मिट्टी के नमूने का पंजीकरण
- मृदा परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा जांच के परिणाम की प्रविष्टि
- एसटीसीआर और जीऍफ़आर के आधार पर उर्वरकों के सुझाव
- उर्वरकों के सुझाव और सूक्ष्म पोषक तत्वों के सुझावों सहित मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना
- प्रगति की निगरानी के लिए एमआईएस प्रारूप
इस वेब पोर्टल का युआरएल www.soilhealth.dac.gov.in है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा विकसित मृदा परीक्षण -फसल प्रणाली प्रत्युत्तर (एसटीसीआर) फॉर्मूले अथवा राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सामान्य उर्वरक सुझावों के आधार पर स्वत: मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना है।
इसके अल्वा दो अन्य पोर्टल फ़र्टिलाइज़र क़्वालिटी कन्ट्रोल सिस्टम तथा पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम का इस्तेमाल उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा आधिकारिक तौर पर किया जाता है।
Authors
महेन्द्र प्रसाद एवं मनोज चौधरी
फसल उत्पादन विभाग, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसन्धान संस्थान, झाँसी 284003
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