Reaper binder: suitable machine for wheat harvesting
रबी की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से गेंहॅू एक है । वर्ष 2016-17 में देश में कुल 31 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेंहॅू बोया गया तथा 98 मिलियन टन गेंहॅू का उत्पादन हुआ और गेंहॅू की औसत उपज 3161 कुन्तल/हेक्टेयर रही । गेंहॅू की फसल तैयार होते-होते मौसम बदल जाता है और तेज हवाओं एवं बारिश की शंका बनी रहती है । ऐसे में किसान की चिंता होती है कि पकी फसल को काटकर जल्द से जल्द घर में लाया जाए ।
गेंहॅू को काटकर काटते समय ही मढ़ाई करके लाने के लिए कम्बाइंड हारबेस्टर का उपयोग बढ़ता जा रहा है । इस समय कम्बाइंड हारबेस्टर का प्रयोग रबी फसल की कटाई में खूब हो रहा है । थ्रेसिंग से निकले भूसे को खेत में छोड़ देती है । जिसकी मात्रा करीब 4 से 5 टन / हेक्टेयर होती है । साथ ही कम्बाइंड हारबेस्टर करीब 30 सेमी ऊपर से फसल को काटता है और कटाई के बाद फसल का ठॅूठ खेत में खड़ा रह जाता है ।
इससे बड़ा नुकसान होता हैं । एक तो फसल से मिलने वाले अवशेष अर्थात भूसे का नुकसान होता है जो जानवरों के खाने में प्रयोग होता है जो किमती भी है और जिसकी बहुत कमी रहती है और दुसरा, खेत खाली करने के लिए किसान ठूॅठ में आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण सहित अन्य कई नुकसान होते हैं ।
इस स्थिति में ऐसी मशीन उपयुक्त होगी जो फसल को काटकर खेत में पूला बनाकर डाल दें और उससे मढ़ाई करके फसल के दाने को निकाला जा सके । रीपर बाइंडर (चित्र-1) एक ऐसी ही उपयुक्त मशीन है जो फसल को काटकर पूला बनाकर खेत में छोड़ देती है ।
चित्र-1 : रीपर बाइंडर
कटाई के बाद इन पूलों को उठाकर थ्रेसर से मढ़ाई की जाती है । रीपर बाइंडर की सहायता से समतल खेत में जमीन से 5 सेमी ऊपर से फसल काटी जा सकती है जिससे भूसे का नुकसान बच जाता है ।
इसके कटरबार की चौड़ाई 1.2 मीटर होती है और आगे बढ़ने की गति 1.1 से 2.2 मीटर/सेकेंड तक होती है । इसकी कार्य क्षमता 0.4 हेक्टेयर /घंटे होती है तथा इसका 5.6 किलोवाट का डीजल इंजन एक घंटे में करीब 1.2 लीटर डीजल खपत करता है ।
इस मशीन के ऊपर एक सीट लगी होती है । चालक की सीट के नीचें एक न्यूमेटिक पहिया लगा होता है जिसकी सहायता से मशीन को मोड़ कर नियत स्थान पर लाते हैं । इस मशीन को एक चालक के द्वारा चलाया जाता है । प्रति पूला बॉधी गई फसल का वजन करीब 4.5 से 6 किलोग्राम तक होता है ।
रीपर बाइंडर से फसल काटने काफी कम हो जाती है । कटाई की ऋतु में श्रमिकों की कमी होने से प्रति एकड़ कटाई का व्यय कम से कम रु. 3000 आता है । अर्थात इस मशीन के प्रयोग से कम से कम प्रति एकड़ रु. 1750 की बचत होती है और कटाई का काम शीघ्र सम्पन्न हो जाता है ।
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मशीनीकरण की स्थिति को देखते हुए आसपास के क्षेत्रों में इस तरह की मशीनों को अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन द्वारा बढ़ावा दिया जाता है ।
Authors:
चन्द्रशेखर सहाय, मनोज चौधरी एवं रीतु
भा.कृ.अनु.प.- भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झॉसी-284003 (उ.प्र.)
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