पटसन की सबसे अच्छी सड़न धीमी गति से बहने वाले मृदु जल में होती है, जो कि विभिन्न पटसन उत्पादक राज्यों में मुश्किल से ही उपलब्ध है । पारंपरिक सड़न विधि के तौर पर ठहरे जल में लगभग 90% से अधिक पटसन उत्पादक भार सामग्री के रूप में मिट्टी और केला के पौधों का प्रयोग पटसन के बंडलों को डुबाने हेतु करते हैं ।
एक ही प्राकृतिक सड़न टैंक के ठहरे हुए जल में पटसन को बार-बार सड़ाने से निम्न गुणवत्ता वाली रेशा की प्राप्ति होती है, जब तक कि प्रत्येक सड़न के बाद इसे पुन: साफ जल से भर नहीं दिया जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए ठहरे हुए जल में पाउडर (टैल्क) आधारित क्रिजैफ़ सोना का प्रयोग न केवल सड़न अवधि को समान्य सड़न की तुलना में 6 से 7 दिन कम करता है, बल्कि इससे रेशा गुणवत्ता में भी कम-से-कम दो ग्रेड का सुधार होता है ।
क्रिजैफ सोना पाउडर एक टैल्क-आधारित माइक्रोबियल सम्मिश्रण है, जिसमें पेक्टिनोलिटिक बैक्टीरिया बैसिलस प्यूमिलस के तीन अलग-अलग उपभेद शामिल हैं जो भा.कृ.अनु.प.– केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान (क्रिजैफ) , बैरकपुर द्वारा विकसित की गई है । यह पटसन सड़न में सहायता करता है और परिणामस्वरूप अच्छी गुणवत्ता वाले रेशे की प्राप्ति होती है ।
लाभ:
- पहली बार एक बीघा वाले क्षेत्रफल के पटसन सड़न हेतु ठहरे जल में 4 कि.ग्रा. क्रिजैफ सोना की आवश्यकता होती है । उसी जगह पर दूसरी बार सड़न के लिए क्रिजैफ सोना की आवश्यक मात्रा पहली सड़न की तुलना में आधी हो जाती है ।
- सड़न अवधि में करीब 6 से 7 दिनों की बचत होती है ।
- रेशा उत्पादकता में 8-10% की वृद्धि (शीघ्र सड़न के कारण) होती है ।
- पारंपरिक विधि की तुलना में रेशा की गुणवत्ता में कम-से-कम 2 ग्रेड का सुधार होता है ।
- क्रिजैफ सोना उपयोगकर्ता के अनुकूल है और इसका पौधा, जलीय जन्तु और मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है ।
आईये देखते हैं क्रिजैफ सोना की सफलता गाथा अपने कृषक बंधुओं से :
सफलता की कहानी -1
किसान का नाम : गौतम बोगी
गाँव : वासुदेवपुर
प्रखण्ड : बैरकपुर-I
जिला : उत्तर 24 परगना
मैं काफी समय से करीब 2 है. (15 बीघा) में पटसन की खेती करता हूँ । हमारे इलाके में भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ द्वारा आयोजित क्रिजैफ सोना के प्रक्षेत्र प्रदर्शन से मुझे वर्ष 2021-22 में इसकी जानकारी हुई । मैं इसके अच्छे परिणामों से प्रभावित हूँ । मैंने वर्ष 2022 के अगस्त माह में इस तकनीक को तब अपनाया, जब पटसन सड़न के लिए जल उपलब्धता की कमी थी । मैं इसके प्रयोग से जल की कम मात्रा में ही अपने पटसन को सही समय से सड़ा सका।
मेरे अन्य कृषक बंधुओं की तुलना में क्रिजैफ सोना से प्राप्त रेशा उच्च गुणवत्ता वाली थी । मैंने अपना पटसन रेशा 7200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा, जो कि अन्य कृषक की तुलना में लगभग 450 रुपये प्रति क्विंटल अधिक था। मैंने यह भी देखा है कि क्रिजैफ सोना के प्रयोग से रेशा की अधिक प्राप्ति (रिकवरी) होती है।
मैं अपने सभी किसान बंधुओं को इस तकनीक को अपनाने की सलाह एवं अनुशंसा करूंगा, क्योंकि यह (क्रिजैफ सोना) एक ऐसा प्रभावी उत्पाद है, जो पटसन उत्पादकों को दुहरा लाभ देता है – त्वरित सड़न व उत्कृष्ट रेशा जो अधिक मूल्य अर्जित करने में मददगार है।
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चार माह पुरानी पटसन फसल के साथ श्री गौतम बोगी |
सफलता की कहानी -2
किसान का नाम : फटिक विश्वास
गाँव : रतनपुर
प्रखण्ड : आमडांगा
जिला : उत्तर 24 परगना
मै एक सीमान्त श्रेणी का कृषक हूँ । मै खुद के लिए 0.78 है. (6 बीघा) के अलावा बटाई खेती के आधार पर करीब 0.39 है. (3 बीघा) में पटसन कि खेती का कार्य करता हूँ । हमारे गाँव में पटसन सड़न के समय केवल जल जमाव के कारण ठहरा हुआ जल ही उपलब्ध होता है । हमारे पटसन के अधिकतर खेत निचले इलाकों में हैं । पर्याप्त बारिश होने पर जुलाई महीने के मध्य तक खेत में जल जमा हो जाता है । मेरे गाँव के अधिकांश किसान खेत में जमे हुए जल में ही पटसन की फसल काट कर सड़ाते थे । इससे हमें गहरे श्यामला रंग या काले रंग का रेशा मिलता था और जिसके लिए हमें अच्छी कीमत नहीं मिलती थी । हमारे गाँव में आयोजित पटसन प्रशिक्षण में मुझे भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ द्वारा क्रिजैफ सोना के प्रयोग और परिणामों के बारे में पता चला । मैंने वर्ष 2022 में इस तकनीक को अपनाया और जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम मिले । इसके प्रयोग से मैं सड़न अवधि को करीब 6-7 दिनों तक कम कर सका और साथ ही साथ मुझे सुनहरा रेशा भी प्राप्त हुआ जिसकी मुझे अच्छी कीमत मिली । मैं पटसन रेशा बेच कर प्रति क्विंटल 350 से 500 रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर सका । मेरा मानना है कि क्रिजैफ सोना के प्रयोग से पटसन रेशा उत्पादन को और भी अधिक लाभदायक बनाया जा सकता है ।
रेशा निष्कर्षण पश्चात श्री फटिक विश्वास पटसन रेशा ले जाते हुए |
सफलता की कहानी -3
किसान का नाम : श्यामल सरकार
गाँव : बेराबेरिया
प्रखण्ड : आमडांगा
जिला : उत्तर 24 परगना
मेरे पास कुल 2 है. (15 बीघा) जमीन है, जिसमें मैं पटसन का उत्पादन करता हूँ । जब मैंने स्वयं ही पहली बार अपनी आँखों से क्रिजैफ सोना से प्राप्त रेशा की गुणवत्ता देखी, तब ही मैंने इस तकनीक को अपनाने का निश्चय कर लिया । कई बार पटसन की खेती में अधिकतम मेहनत के बावजूद तथा उचित सड़न विधि के अभाव में हमें निम्न गुणवत्ता वाले रेशा के कारण हमें वांछित लाभ नहीं मिल पाता है । उन पटसन उत्पादकों के लिए क्रिजैफ सोना का प्रयोग एक वरदान है जिनके पास सड़न हेतु केवल ठहरे हुये जल ही उपलब्ध है । मैंने इस तकनीक को अपनाया है और पहले ही वर्ष में मुझे इसके अद्भुत परिणाम देखने को मिला है । मुझे बिक्री के समय सुनहरे पटसन रेशा की बंपर कीमत मिली जो कि करीब 8000 रुपया प्रति क्विंटल थी, जबकि हमारे गाँव के अन्य किसान लगभग 7400 से 7600 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक की दर पर पटसन रेशा को बेच नहीं पाये । पटसन रेशा की बढ़ी हुई कीमत के अलावा, मैंने यह भी देखा कि क्रिजैफ सोना से रेशा प्राप्ति (रिकवरी) समान्य सड़न की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक थी । इसके प्रयोग के कारण रेशा निष्कर्षण में भी आसानी हुई । इस विधि में रेशा निष्कर्षण के लिए एक बीघा क्षेत्रफल के पटसन उपज हेतु केवल 9 मानव श्रम की आवश्यकता हुई, जोकि पारंपरिक सड़न द्वारा रेशा निष्कर्षण की तुलना में एक मानव श्रम कम है । कुल मिलाकर, क्रिजैफ सोना को अपनाने के कारण मुझे पटसन की खेती से 3500 रुपये प्रति बीघे का अतिरिक्त लाभ प्राप्त हुआ । मैं अपने सभी साथी किसानों को सुझाव देता हूं कि वे पटसन सड़न हेतु क्रिजैफ सोना का प्रयोग करें ताकि पटसन की खेती से अधिक आय अर्जित की जा सके।
परम्परागत विधि से सड़े पटसन रेशा की पृष्ठभूमि में क्रिजैफ सोना सड़ित पटसन रेशा के साथ श्री श्यामल सरकार |
Authors
Shamna A.1 and S. Kumar2
Senior Scientist, 2. Principal Scientist,
ICAR CRIJAF, Nilganj, Barrackpore, Kolkata-700 121
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