The symptoms and treatment of important micro nutrients deficiency in soil
अन्य पोषक तत्वों की भांति सूक्ष्म पोषक तत्व फसल एवं उससे प्राप्त होने वाली उपज पर प्रभाव डालते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता फसल को बहुत कम मात्रा में होती है परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि इसकी आवश्यकता पौधों को नहीं है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर फसल की उपज, उत्पादन और उसकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
इसके अतिरिक्त इनकी कमी होने पर भरपूर मात्रा में नत्रजन फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों के प्रयोग करने पर भी अच्छी उपज प्राप्त नहीं की जा सकती है। मृदा परीक्षण के आधार पर देश की मृदाओं में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का प्रतिशत इस प्रकार से हैं- जस्ता 46%, बोरान 33%, लोहा 12%, मैगनीज 4%, कॉपर 3% ,एवं मोलेब्डेनम।
इनकी कमी विशेषतया अम्लीय मृदाओं में होने वाली दलहनी फसलों में देखी गई है। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर पौधों में कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं जिनकी जानकारी कृषक बंधुओं को होना अति आवश्यक है, जो कि इस प्रकार सेहैं।
1 जस्ता-मृदा में क्षारीयता, मृदा में चूना पत्थर की अधिकता, जलभराव से ग्रसित मृदा और जैव पदार्थों की कमी होना।
2 लोहा-मृदा क्षारीयता, चूना पत्थर की उपस्थिति होना और मृदा में जैव पदार्थों का कम होना।
3 कॉपर-मृदा में क्षारीयता और मृदा में जैव पदार्थ का कम होना।
4 मैगनीज-मृदा में चूना पत्थर की भरपूर मात्रा, बलुई मृदा मेंनिक्षालनहोनाऔरजैविकमृदामें जीवाश्म कम होना।
5 बोरान-मृदामें अम्लीयता, मृदा मेंचूना पत्थर की अधिक मात्रा,बलुई मृदा में निक्षालन होनातथाजैविक पदार्थों काकमहोना।
6 मोलेब्डेनम - मृदा में अम्लीयता,निक्षालितबलुई मृदा तथा निम्नजैवांश वाली मृदा।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं उपचार
1 जस्ता–
जस्ता की कमी के लक्षण
धान -धान की नर्सरीमें जस्ते की कमी के लक्षण पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे कत्थई रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं। रोपाई के 10 से 15 दिन के बाद जस्ते की कमी आने पर पौधों की तीसरी पत्ती का रंग हल्का पीला दिखाई देने लगता है
गेहूं-जस्ता की कमी होने पर पौधों की पत्तियों पर पीली धारियां बनती है।
चना-बुवाई के 3-4 सप्ताह के पश्चात पत्तियों का रंग लालभूरा दिखाई देता है।
टमाटर -पत्तियों का आकार छोटा होता है औरशिराके बीच का भाग हल्का या पीला हो जाता है।
उपचार
जस्ते की कमी को दूर करने के लिए जिंक सल्फेट (21%जस्ता)25 किलोग्राम बलुई मिट्टी में,50 किलोग्राम चिकनी मिट्टी के लिए प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए।
2 लोहा –
लोहा कीकमी के लक्षण
धान-धान की नर्सरी में लोहे की कमी के लक्षण ऊपरी पत्तियों के पीला पड़ने या सफेद होने के परप्रकट होता हैं, उर्वरक के छिड़काव से यह पीलापन दूर नहीं होता है।
सोयाबीन-लोहे की कमी से नई पत्तियों में शिराओं के बीच का हिस्सा पीला पड़ता है जबकि शिराओं केकिनारे का भाग हरा बना रहता है तथा अधिक कमी होने पर नई पत्तियां सफेद पड़ जाती है।
सेब-पौधों की नई पत्तियों में नसों के बीच का भाग पीला पड़ना और नसों का हरा बना रहना।
गन्ना-गन्ने की पेडी में लोहे की कमी के लक्षण प्राय आते हैं जिससे नई पत्तियों का रंग सफेद यापीलापन लिए होता है।
उपचार
लोहे की कमी के लक्षण धान के नर्सरी, सोयाबीन की फसल और गन्ने की पेड़ी में आ सकते हैं। इसके उपचार के लिए 10 ग्राम फेरस सल्फेट प्रति लीटर मिश्रणका छिड़काव करना चाहिए।
3 तांबा –
तांबे की कमी के लक्षण
धान-धान की फसल में नई पत्तियों का कुम्हलाना।
गेहूं-गेहूं के पौधों पर नई पत्तियों का कुम्हला कर स्प्रिंग जैसा मुड़ जाना. बालियों में दाना न बनना।
फलदार वृक्ष- पेड़ों के तने की छाल फटना,गोंद का जमा होना, नींबू वर्गीय फसलों में मध्यमेंगोंदका जमा होना तथा पेड़ों की नई शाखाओं का टूटना।
अमरूद -फलोंपर भूरे कत्थई धब्बे पड़ना।
सेब - नई पत्तियों केशीर्ष का मृत होना, पत्तियों के किनारे जलना और ऊपर की ओर मुड़ना।
उपचार
तांबे की कमी को दूर करने हेतु मृदा परीक्षण के आधार पर 4-5किलोग्राम कॉपर सल्फेट( 25% कॉपर) प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जा सकता है। खड़ी फसल मेंकॉपर की कमी का निदान2.5ग्राम कॉपर सल्फेट और 1.25 ग्रामचूना प्रतिलीटर के मिश्रण का का छिड़काव करके भी दूर किया जा सकता है।
4 मैग्नीशियम
मैग्नीशियमकी कमी के लक्षण
गेहूं-पौधों की पुरानी पत्तियों पर छोटेधूसर सफेद धब्बे पड़ते हैं जो बाद में जुड़करधारीका आकार ले लेते हैं।
गन्ना - गन्ने के पौधों की पत्तियों मे शिराओं के बीच पीलापन दिखाई देता है।
सेब-सेब के पौधों की पुरानी पत्तियों में शिराओं के बीच का भाग पीला पड़ना और पीलेपनका किनारे से मुख्यशिरा की ओर बढ़ना।
उपचार
मैगनीज की कमी के लक्षण बलुई भूमि में उगाई जाने वाली गेहूं या मक्का की फसल में देख सकते हैं इसके उपचार के लिए 30 किलोमैगनीज सल्फेट प्रति हेक्टेयर का प्रयोगबुवाई से पूर्व मिट्टी में करें। खड़ी फसल मैं लक्षण दिखाई देने पर 5 ग्राममैगनीजसल्फेटऔर 2:30 ग्राम चूना प्रति लीटर के मिश्रित धोल का छिड़काव करना चाहिए।
5 बोरान
बोरान की कमी के लक्षण-
बोरॉन की कमी के लक्षण अधिकतर सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली, फूलगोभी,चुकंदर, कटहल, आम, नींबू, लीची, अंगूरऔरसेब आदि मेंदिखाई देते हैं।
धान– धान के पौधे की नई पत्तियों पर सफेद लंबे-लंबे दिखाई देते हैं।
मक्का- मक्के की पौधों में नई पत्तियों पर सफेद लंबे धब्बे एक सीध में में बनते हैंजो बाद में जुड़कर लंबी धारी बना लेते हैंतथा भुट्टे में दाने नहीं बनतेहैं।
गन्ना-नई पत्तियों में शिराओं के बीच अर्धपारदर्शी धब्बे बनते हैं और नई पत्तियां सूखने लगती है।
आलू-पौधे के शीर्ष की बढ़वारमारी जाती है पौधा झाड़ी की तरह हो जाता है पत्तियांमोटी और ऊपर की ओर मुड़ी हुई हो जाती है,आलू कंद फटने लगते हैं और आकार छोटा हो जाता है।
बरसीम-पौधा छोटा बना रहता है, नई पत्तियों पर किनारे का भाग पीला लाल पड़ जाता है, फूल नहीं आता है पर आसानी से झड़ जाता है।
फूल गोभी-फूल छोटा और देर से बनता है तने के मध्य का भाग खोखला और भूरापड़ जाता है।
लीची-पत्तियां छोटी होती हैं, कच्चे फल गिरते हैं और फटते हैंतथा फलों की मिठास घट जाती है।
अमरूद-अमरूद के कच्चे फल लंबाई में फट जाते हैं।
सेब- कच्चे फल गिरते हैं और फलों के अंदर का भाग भूरा पड़ जाता है।
उपचार
बोरान की कमी यदि मृदा में हो तो धान की फसल लगाने से पहले 10 किलोग्राम बोरेक्स प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें। यदि खड़ी फसल में बोरान की कमी के लक्षण दिखे तो 2 ग्रामबोरेक्स प्रति लीटर घोल का छिड़काव करना चाहिए।
बोरेक्स को पहले गुनगुने पानी में घोलना चाहिए, आलू के बीजों को 30 ग्राम बोरेक्स प्रति लीटर में आधा घंटा भिगोने के बाद छाया में सुखाकर लगाना चाहिए।
6 मोलिब्डेनम
मोलिब्डेनमकी कमी के लक्षण
फूल गोभी- पत्तियों के आधार के पास पीलापन दिखाई देता है और धीरे-धीरे मध्य क्षेत्र के दोनों ओर का भाग मृत हो जाता हैऔर केवल पत्ती केशीर्षपर ही हरा भाग रहता है।
सोयाबीन- पत्तियों मेंशिराओं के बीच पीलापन आता है, जड़ों में ग्रंथियां अनेकवछोटी बनती है तथा उनका रंग हल्का पीला पन लिए होता है।
दलहनी फसलें-इनमें जड़ों में प्रभावी ग्रंथियां नहीं बनती और बढ़वार समुचित नहीं होतीहै।
उपचार
मोलिब्डेनम की कमी यदि मृदा में हो और पौधों पर इसके लक्षण दिखाई दें तो उसकी कमी को दूर करने के लिए खड़ी फसल में अमोनियममोलिब्डेट 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए।
Authors:
डॉ आनन्द पाठक, डॉ अखिल गुप्ता एवंइं अपूर्व तिवारी
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर उत्तराखंड
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