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Watermelon and Muskrmelon cultivation for more income in less time     तरबूज (वैज्ञानिक नाम - सिटीलुस लैनाटस ) और खरबूजा (वैज्ञानिक नाम - कुकुमिस मेलो ), जायद मौसम की प्रमुख फसल हैं। इसकी खेती मैदानों से लेकर नदियों के पेटे में सफलतापूर्वक की जा सकती हैं। ये कम समय, कम खाद और कम पानी में उगाई जा सकने वाली फसलें हैं। उगने में सरल, बाजार तक ले जाने में आसानी और अच्छे बाजार भाव से इसकी लोकप्रियता बढती जा रही हैं इसके कच्चे फलो का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता हैं।  इनके पके हुऐ फल अत्यंंत लोकप्रि‍य,  मीठे, शीतल, मृदुल वि‍‍‍‍‍‍रेचक एवं प्यास को शांत करने वाले होते हैं।  तरबूज एक महत्वपूर्ण ककड़ी सब्जी...

Use of Mobile in Agriculture and Agriculture related Mobile Apps मोबाइल संचार प्रौद्योगिकी की गतिशील वृद्धि, विकासशील देशों में आर्थिक विकास, सामाजिक सशक्तीकरण और जमीनी स्तर पर नवाचार के लिए अवसर पैदा कर रही है। यह लाखों ग्रामीण निवासियों को सूचना, बाजार और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके कृषि और ग्रामीण विकास (ए.आर.डी.) करता हे। 2015 में, भारत में 720 मिलियन मोबाइल फोन उपयोगकर्ता थे, जिनमें से 320 मिलियन ग्रामीण मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं हे। इस अनुमान में इंटरनेट सुविधा के साथ 50 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता भी शामिल हे । बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा एक अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण भारत का यह (ग्रामीण मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं) हिस्सा 2020 तक 48 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।  हम...

Plastic Mulch (Palwar), an Advanced Gardening process  भारत में कई वषों से नई विकसित तकनीकों, संसाधनों, उन्नत तरीकों से बागवानी की जा रही है। भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु एवं मृदा पायी जाती है। विषम जलवायु, प्राकृतिक आपदाओं जैसे- सूखा, ओला एवं पाला आदि से फसलों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बागवानी में मृदा नमी संरक्षण, खरपतवार नि‍यंत्रण तथा मृदा तापमान को संतुलि‍त बनाऐ रखना एक बडी चुनौती है। किसान विभिन्न उपायों जैसे- सूखी पत्तिायाँ, नारियल का बुरादा, सूखी राख, फसल अवशेष, सूखी घास, गन्ने की सूखी पत्तिायाँ, कागज आदि को अपनाकर मृदा में नमी संरक्षण करता है। पलवार का उपयोग खरपतवार वृध्दि को रोकने एवं मृदा तापमान को संतुलित बनाये रखने में...

Techniques for producing nutritional and beneficial fruits of lemon नीबू में ए, बी और सी विटामिनों की भरपूर मात्रा होती है। इसमें -पोटेशियम, लोहा, सोडियम, मैगनेशियम, तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन तत्त्व तो हैं ही, प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैं।विटामिन सी से भरपूर नीबू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ एंटी आक्सीडेंट का काम भी करता है और कोलेस्ट्राल भी कम करता है।  नीबू में मौजूद विटामिन सी और पोटेशियम घुलनशील होते हैं, जिसके कारण ज्यादा मात्रा में इसका सेवन भी नुकसानदायक नहीं होता। रक्ताल्पता से पीडि़त मरीजों को भी नीबू के रस के सेवन से फायदा होता है। यही नहीं, नीबू का सेवन करने वाले लोग जुकाम से...

Maintenance of Soil Health through Agronomical activities for healthy crops शस्य क्रियाओं द्वारा मृदा स्वास्थ्य का रख-रखाव ही निश्चित कृषि विकास की ओर सही कदम है। स्वस्थ मृदा ही स्वस्थ पौधों को जन्म देने की क्षमता रखती है। जिस प्रकार स्वस्थ मॉ स्वस्थ बच्चों को जन्म देती है ठीक उसी प्रकार स्वस्थ मृदा पर उगी हुई फसल अच्छी पैदावार देगी और हम धरती से अधिक उत्पादन लेकर देश संबल बनाने में सहयोगी हो सकेंगे। हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है कि हम मृदा को स्वस्थ रखें जिससे यह पीढ़ी दर पीढ़ी उत्पादन देती रहें। मृदा स्वास्थ्य के लिये जिम्मेदार शस्य क्रियाएं निम्न प्रकार हैः- 1) गर्मी की गहरी जुताई। 2) कार्बनिक खादों का उपयोग। 3)...

Cultivation of guava    अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चैथा स्थान है। इसकी बहुउपयोगिता एवं पौष्टिकता को ध्यान मे रखते हुये लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए तथा बी भी पाये जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनायी जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है। अमरूद के लिए जलवायु अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त...

Gram or chick pea crop cultivation चना रबी ऋतु में उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। चना भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मानक की दृष्टी से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। चने में 21 प्रतिशत प्रोटीन ए 61.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 4.5 प्रतिशत वसा होती है। इसमें कैल्शियम आयरन व नियासीन की अच्छी मात्रा होती है। चने का...

Rhododendron Arborium: A medicinal plant of Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा हुआ एक सुंदर प्रदेश है । यहाँ की जलवायु परिस्थितियों में विविधता है क्योंकि औसत समुद्र तल से ४५० मीटर की  ऊचाई से लेकर ६५०० मीटर की ऊचाई तक अथवा  पश्चिम से पूर्व व दक्षिण से उत्तर तक यहाँ  भिन्नता है। ऊचाई  और जलवायु की विवधताओं के कारण यह राज्य  विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जानवरों के रहने के लिए अनुकूल है । हिमाचल प्रदेश औषधीय एवं अन्य उपयोगी पौधों का एक समृद्ध भंडार है । इन पौधों में से अधिकांश पोधे पारंपरिक दवाओं, लोक उपयोग और आधुनिक उद्योगों में इस्तिमाल किए जाते है । हिमाचल प्रदेश में पाए...