Author: rjwhiteclubs@gmail.com

Importance of information technology in agriculture भारत विश्व मंच पर तेजी से बढ़ता हुआ ‘‘अर्थव्यवस्था‘‘ है। अर्थव्यवस्था की गति को बरकरार रखना चुनौतीपुर्ण है, क्योंकि भारत की जनसंख्या 1.27 अरब को पार कर गई है जो भविष्य के लिए चिंताजनक है और ज्यादा दवाब खाद्यान उत्पादन पर बढ़ गया है। कृषि योग्य भुमि अब सीमित होती जा रही है, मौसम के प्रतिकुल प्रभाव एवं उन्नत तकनीक के अभाव से किसानों को कृषि क्षेत्र से लाभ कम होता जा रहा है। इसका सबसे मुख्य कारण किसानों द्वारा परम्परागत खेती पर निर्भर रहना है। अतः किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती कर तथा सूचना प्रौधोगिकी का प्रयोग कर, अपने सीमित क्षेत्र से ज्यादा मात्रा...

आसानी से और जल्दी से जानकारी प्राप्त करने के लिए किसानों के लिए मोबाइल सॉफ्टवेयर Farmers often struggle for basic information like weather updates, crop prices and expert advice, ending up often relying on hearsays.  A new mobile app “Kisan Suvidha” launched at march 21, 2016 by Prime Minister Narendra Modi will prove helpful for farmers in this regard but they must own a smartphone. The app is likely to have many takers as India is second largest smartphone market in the world with 87 million mobile Internet users in rural areas. Keeping its targets audience in mind, the app is designed with user-friendly interface consisting of important parameters to provide info...

फसलों मे कीट नि‍यंत्रण के लि‍ए जैवि‍क कीटनाशकों का प्रयोग Pesticides having biological origin i.e., viruses, bacteria, pheromones, plant or animal compounds are known as biopesticides. They are natural in origin derived from animals, plants, bacteria, and certain non-synthetic minerals. Bio-pesticides are highly specific affecting only the targeted pest or closely related pests. They are safer for living beings. Biopesticides are one of the promising alternatives to manage environmental pollution and subsequently has gained interest in view of the growing demands for organic food. Biopesticides can successfully be used for specific crops and niche areas as a component of IPM. Biopesticide in India  In India, so far only 12 types of biopesticides have been registered under the...

Water conservation and management techniques in fruits cultivation  खेती में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता धीरे - धीरे कम होती जा रही है, इसलिए यह अत्यावश्यक हो गया है की सिंचाई के लिए जल का उपयोग बहुत ही सोच समझकर एवं बुधिमतापुर्वक किया जाए । अभी भी किसान सिंचाई की पुरानी विधियां ही उपयोग में ला रहे है जिनकी सिंचाई जल प्रयोग की दक्षता बहुत कम होती है । इसलिए हमें सिंचाई की नयी तकनीको को अपनाना चाहिए जिसमें जल प्रयोग की दक्षता ज्यादा हो तथा हम जल संरक्षण की तारफ कदम बढा  सकें। जल संरक्षण के साथ साथ हमें उसके प्रबंधन पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि जल प्रकाश- संश्लेशन...

3 Major Diseases of Cumin and their management विभिन्न बीजीय मसाला फसलों में जीरा अल्पसमय में पकने वाली प्रमुख नकदी फसल हैं। जीरे के दानों में पाये जाने वाले वाष्पषील तेल के कारण ही इनमें जायकेदार सुगध होती है। इसी सुगन्ध के कारण जीरे का मसालों के रूप में उपयोग किया जाता है। जीरे में यह विषिष्ट सुगंध क्यूमिनॉल या क्यूमिन एल्डीहाइड के कारण होती है। इसका उपयोग मसाले के अलावा औषधि के रूप में भी होता हैं, जीरे में मुत्रवर्धक, वायुनाषक, व अग्निदीपक गुण पाये जाते हैं। इन गुणों के कारण कई देषों में आयुर्वेदिक दवाओं में जीरे का उपयोग बढ़ता जा रहा है। भारत में जीरे की ख्ैंती अधिक नमी वाले...

 Scientific method of growing Chickpeas or Gram चना भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख दलहनी फसल है जो अर्ध्द शुष्ख उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है। चने की फसल शाकाहारी लोगो के लि‍ए प्रोटीन का उत्‍तम श्रोत है भारत में चने की खेती 7.54 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे 7.62 कु./हे. के औसत मान से 5.75 मिलियन टन उपज प्राप्त होती है। भारत में चने की खेती मुख्य रूप से बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा राजस्थान में की जाती है। भारत में सबसे अधिक चने का क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य मध्यप्रदेश है। छत्तीसगढ़ राज्य के मैदानी जिलो में चने की खेती असिंचित अवस्था में की जाती है। चने की खेती...

The use of plant regulators in gardening   बागवानी में हार्मोन्स (पादप नियंत्रकों) का बहुत महत्व है ! फल वृक्षों में कई बार विकास की वृद्धि दर रुकने, फल एवं फूल झड़ने एवं वृद्धि कम होने की समस्या आ जाती है ! ऐसी स्थिति में कृत्रिम हार्मोन्स का उपयोग लाभकारी सिद्ध होता है ! पादप नियंत्रक पौषक तत्व न होकर कार्बनिक रसायन होते हैं जिनकी थोड़ी सी मात्रा ही पौधों की क्रियात्मक वृद्धि के लिए जिम्मेदार होती है ! हार्मोन्स का उपयोग जड़ों को विकसित करने, कलिकाओं की निष्क्रियता खत्म करने, वृद्धि जनकवृद्धि अवरोधक, पुष्पांकन का नियमितिकरण एवं नियंत्रण, बीजरहित फल प्राप्त करने, फूलों एवं फलों को झड़ने से रोकने, नर-मादा अनुपात नियंत्रण...

Safe storage of seeds भारत  एक कृषि प्रधान देश हैं जिसकी अधिकांश जनसंख्यां गांवों में रहती है और कृषि पर निर्भर है। एक किसान औसत 70 प्रतिशत अनाज भोजन, बीज, एवं बिक्री के लिये भण्डारित करते है और भण्डारण के दौरान, अनाज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में कमी आती है । इस गुणवत्ता को फसल कटाई के बाद बीजों को कम नमी और कम तापमान पर रखने से काफी समय तक रोका जा सकता है । लेकिन बीजों के भण्डारण के स्थान पर जहाँ अधिक नमी हो तो, बीज में कई प्रकार के कीट व कवकों का बीज पर आक्रमण हो जाता है I इससे बीजों की गुणवता को बहुत ज्यादा...