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बछड़ेे में दस्त: जन्म के पहले तीन महीनों के दौरान गौवंस की विनाशकारी बीमारी Diseases of the neonatal calf and related mortality is major cause of economic losses in animal husbandry. Among these, diarrhoea is one the most common diseases reported in calves up to 3 months old. Calf diarrhoea (scouring) is a multi-causative disease that can result in serious financial and animal welfare implications during early period of life. Calf diarrhoea is attributed to both infectious (viral, bacterial, protozoa) and non-infectious factors. The environment and management practices, mineral imbalances also influence disease severity or the outcome of calf diarrhoea. The multifactorial complexities of calf diarrhoea makes the disease difficult to control effectively in...

Production technology of Coriander धनिया अम्बेलीफेरी या एपिएसी कुल का पौधा है। इसके वंश को कोरिएन्डम एवं प्रजाति सटाइवम है। इसका गुणसूत्र संख्या 2n = 22 होता है। धनिया के पौधे चिकनी सतह वाले 20-90 सेमी0 ऊॅंचाई के होते हैं। इसके नीचे की पत्तियाँ साधारणतया 2.5-10 सेमी0 लम्बी एवं 2.75 सेमी0 चौड़ी होती है। ऊपर की पत्तियाँ छोटे-छोटे भागों में विभक्त होकर पतले पर्ण फलकों में बदल जाती है। इसके पुष्प छोटे आकार के छत्रक में आते हैं। पत्ती वाली सब्जियों में धनिया का प्रमुख स्थान है। इसकी मुलायम पत्तियाँ को चटनी एवं सॉस आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसकी हरी पत्तियों को सब्जी एवं अन्य व्यजंनों को सुगन्धित करने के...

Modern agricultural techniques for higher production and income. भारत में खाद्य समृद्धि के बाबजूद, जनसंख्या वद्धि के कारण देश मे खाद्यान्‍न की कमी लगातार बनी हुई है इसलिए कृषि से जुड़े लोगो का अधिक उपज और समृद्ध खेती की तरफ रुझान आवश्‍सक है ।समृद्ध खेती भूमि की अवस्था, उपलब्ध उपकरण और खेत में पिछले वर्ष लगी फसल पर निर्भर करती है। खेती को लाभदायक बनाने के लिए दो ही उपाय हैं - पहला उत्पादन को बढ़ाएँ और दूसरा लागत को कम करें। कृषि की लागत नियत्रिंत करने के लिए कृषि के मुख्य आदान जैसे - बीज, उर्वरक, पोध संरक्षण रसायन और सिंचाई तंत्र का संतुलित एवं आधुनिक विधियो द्वारा प्रयोग करना चाहिए। कृषि की...

Use of plastic mulch in agriculture कई वर्षो से विभिन्न नई विकसित तकनीको, कृषि क्रियाओं, एवं संसाधनों का उपयोग कर रहा है। देश के कई क्षेत्रों में विषम जलवायु, जल स्त्रोतो की कमी तथा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे- पाला, ओला आदि के बावजूद खेती का महत्व बढ़ रहा है। किसान पिछले कई सालो से मृदा में नमी संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय जैसे- सुखी पत्ती, फसलों के अवशेष, सुखी राख आदि को प्रयोग में ला रहा है। खरपतवार की वृध्दि को रोकने एवं मृदा तापमान को संयम बनाये रखने में यह विभिन्न तरह के पलवार (मल्च) मृदा में सूक्ष्म जलवायु का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पलवार (मल्चींग) संयुक्त रूप से पौधों...

Commercial cultivation of Gerbera in polyhouse जरबैरा, जरबैरा जेम्सोनाई (gerbera), जिसे ऐस्टेरेसी कुल के अन्तर्गत श्रेणीबध्द किया गया है, दक्षिणी अफ्रिकी मूल का पौधा है। इसलिए जरबैरा को ''अफ्रिकन डेजी'' के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुवर्षीय कर्तित पुष्प वाला पौधा है एवं कर्तित पुष्पों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। जरबैरा की खेती बिना पालीहाऊस के भी की जा सकती है परन्तु खुले स्थान में जरबैरा लगाने पर पौधो की अच्छी वृध्दि नहीं हो पाती जिसके परिणामस्वरूप फूलों की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती और बाजार में अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता। अत: अच्छी गुणवत्ता के फूल लेने के लिए जरबैरा को पालीहाऊस/ ग्रीनहाऊस मे ही उगाएं। पालीहाऊस एक विशिष्ट आकार...

Tomato crop and it's seed production technologies टमाटर हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख नकदी सब्जी फसल है । टमाटर की खेती पर्वतीय क्षेत्रों में गी्रष्म-बर्षा ऋतु में होने के कारण टमाटर का उत्पादन पूर्ण रूप से मैदानी क्षेत्रों के लिए बेमौसमी होता है जिससे पर्वतीय किसानों को अधिक लाभ मिलता है । परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी उत्पादकता अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम है । गुणवता युक्त बीजों की समय पर तथा दुर्गम स्थानों पर अनुपलब्धता, उत्पादन एवं उत्पादकता कम होने का एक प्रमुख कारण है । ऐसी स्थिति में किसान यदि स्वयं ही टमाटर की खेती व बीज का उत्पादन करें तो गुणवत्ता वाले बीज की कमी को काफी...

Mushroom cultivation - an additional source of income  भारत में मशरूम उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है परंतु लगभग 10-12 वर्षो के दौरान मशरूम उत्पादन में लगातार वृध्दि दर्ज की गई है। बस्तर क्षेत्र में धान का अधिक रकबा होने के कारण पर्याप्त मात्रा में धान का पैरा प्रतिवर्ष निकलता है, जिसका मात्र 2-3 फीसदी हिस्सा जानवरों के खाने के काम में लाया जाता है, शेष खलियानों, घरों, बाडियों आदि में व्यर्थ रह जाता है जि‍सका उपयोग मशरूम की खेती में कि‍या जा सकता है। बस्तर का अधिकांश भाग असिंचित एवं एक फसली होने के कारण दिसम्बर माह के पश्चात् यहां रोजगार की समस्या उत्पन्न हो जाती है ऐसे मे मशरूम...

Precautions in using agricultural chemicals आधुनिक एवं वैज्ञानिक खेती के युग में अधिक पैदावार लेने के लिए फसल सुरक्षा अति आवश्‍यक है। कीटनाशी (Insecticide), फफूंदनाशी (Fungicides) एवं अन्य कृषि रसायन जो फसल सुरक्षा में प्रयोग होते हैं, प्राय: बहुत जहरीले व हानिकारक होते हैं। इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी रखना भी उतना ही आवष्यक हैं, जितना कि इनसे फसल सुरक्षा व अधिक पैदावार एवं अच्छी गुणवत्ताा वाली फसल लेकर अधिक लाभ उठाना। फसलों की पैदावार में कमी होने के कई कारणो में से कीट व बिमारियाँ मुख्य भूमिका निभाते है। अधिक उत्पादन लेने हेतु बुआई से पूर्व बीजोपचार तथा बुवाई के उपरान्त कीट नियन्त्रण एवं समय-समय पर बीमारियों से बचाव हेतु विभिन्न...