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Bee disease and their prevention एपिस मैलिफेरा मधुमक्खी 1964 में भारतवर्ष में लाई गई थी। पिछले 30 सालों में इसमें बीमारी का कोई भी प्रकोप नहीं देखा गया। परन्तु पिछले 3-4 सालों से मधुमक्खी वंशों में दो ब्रुड बीमारी (सैक ब्रुड एवं यूरोपियन फाउल ब्रुड) का प्रकोप कई प्रान्तों में दिखाई देने लगा है मधुमक्‍खीयों के रोग: 1 सैक़ ब्रुड  : यह बीमारी मधुमक्खियों के शिशुओं में कोष्ठ बन्द होने से पहले आती है। इसमें लारवे (सूण्डी) के बाहर की चमड़ी मोटी हो जाती है और अन्दर के अंग पानी की तरह हो जाते हैं। यह एक विषाणु रोग है। इसका कोई नियन्त्रण नहीं है परन्तु यह रोग शक्तिशाली मधुमक्खी वंशों में कम पाया...

Various diseases and management of some important vegetables of Kullu Valley कुल्लू घाटी के सब्जी उत्पादक सब्जियों के रोगों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, कटराईं का दौरा कर रहे हैं । पिछले दो वर्षों के रिकॉर्ड के अनुसार उन लोगों से टमाटर और शिमला मिर्च में मुलायम उखटा रोग और तुषार रोग तथा गोभी और फूलगोभी में काले सड़ांध के प्रबंधन के नमूने लिए और उनसे संबंधित समस्याओं से निजात पाने के लिए परामर्श दिए । घाटी में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण सब्जियों के विभिन्न रोगों, उनकी पहचान, निगरानी और नियंत्रण के उपायों के लिए महत्वपूर्ण चरण के महत्व को ध्यान में रखते हुए...

Vermicompost: useful manure for crop cultivation हमारे देष का एक बड़ा भाग कृषि उत्पादन पर निर्भर करता है। भारतवर्ष में 60 के दषक में हरित क्रांति के प्रारंभ होने के साथ ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृध्दि हुई है। लेकिन अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरको का अधिक एव अनियमित प्रयोग किया जाता रहा है। रासायनिक उर्वरक व कीटनाषको के अत्याधिक प्रयोग से भूमि के भौतिक व रासायनिक गुणों पर विपरीत प्रााव पडता है तथा पर्यावरण संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है। मृदा को स्वस्थ बनाए रखने, उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मृदा उर्वरता...

बहुस्तरीय फसल प्रणाली: एक आशाजनक तकनीक Other names of multi storied cropping are multi-layer cropping and multi-tire cropping. It is one kind of intercropping. Growing plants of different height in the same field at the same time is termed as multi storied cropping. It is mostly practiced in orchards and plantation crops for maximum use of solar energy even under high planting density. It is the practice of different crops of varying heights, rooting pattern and duration to cultivate together. The objective of this system of cropping is to utilize the vertical space more effectively. In this system, the tallest components have foliage of strong light and high evaporative demand and shorter components with...

Diseases, pests and their control during springtime of Guava crop. अमरूद अपनी व्यापक उपलब्धता, भीनी सुगन्ध एवं उच्च पोषक गुणों के कारण यह ‘‘गरीबों का सेब’’ कहलाया जाता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से सामान्य मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है अमरूद के फलों में विटामिन ‘सी’ (200-300 मिली. ग्राम प्रति 100 ग्राम फल) की प्रचुर मात्रा होती है। जो की सफ़ेद रक्त कणों को तेजी से संक्रमण से लड़ने में मदद करता है| इस तरह हमारी प्रतिरोधक  क्षमता में कई गुना  वृद्धि हो जाती है| इसमें फाइबर का भी प्रचुर भंडार है| यह कोलेस्ट्रोल से मदद करता है साथ ही दिल  के रोगों से बचाव करता है| विटामिन ए कीटाणु...

6 Major insect pests of Cole crops and their management 1. डाइमण्डबैक मौथ डाइमण्ड बैक मौथकोल फसलों की सफल खेती में होने वाले पतझड़ के लिए जिम्मेदार एक सर्वदेशीय प्रमुख सुंडी है। युवा सुंडी देखने में क्रीमी - हरे रंग की होती है तथा पत्‍तों के हरे ऊतकों को खा जाती है। इससे  पत्तों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। बाद में व्‍यस्‍क होकर सुंडी पत्तियों में छेद ही बना देती है और परिणामस्वरूप फसल में पतझड़ का कारण बनाता है जिससे विशाल नुकसान होता है । प्रबंधन सरसों को 20:1 के अनुपात में अंतर्फसल के रूप में उगायें । जिससे डीवीएम सरसों के पत्तों पर अण्डे दे सके। लर्वा को मारने के लिए सरसों की पंक्ति पर...

रेशमकीट के 5 प्रमुख रोग व परभक्षी तथा उनका नि‍यंंत्रण। Silkworm is reared for the production of cocoons, which is the raw material for silk production. It provides gainful employment and helps in the improvement of the socio-economics life of the peoples in the rural areas. During rearing, the silkworm are affected by various types of pathogenic agents viz. protozoa, virus, fungi and bacteria. It has been reported that about 30-400 % of total crop loss is due to the occurrence of four major diseases namely Pebrine (protozoan disease), Flecherie (bacterial disease), Grasserie (viral disease) and Muscardine (fungal disease). Other than diseases Uzi fly is considered as serious endo-larval parasitoid of the silkworm and yield...

Weed management in pulse crops दलहनी फसलों की पैदावार में कमी होने के प्रमुख कारकों में खरपतवारों की समस्या बहुत जटिल है। दलहनी फसलों की शुरूआती धीमी बढ़वार एवं कम ऊँचाई के कारण खरपतवार फसलों के ऊपर हावी हो जाते हैं तथा उपज को प्रभावित करते हैं। दलहनी फसलों में खरपतवारों की समय पर रोकथाम से न केवल पैदावार बढ़ाई जा सकती है अपितु उसमें गुणवत्ता को भी बढ़ाया जा सकता है। दलहनी फसलों के प्रमुख खरपतवार निम्नलिखित है तालिका-1 दलहनी फसलों के प्रमुख खरपतवार खरपतवारों की श्रेणी खरपतवार रबी खरीफ सकरी पत्ती वाले      गेंहूँ का मामा, (फेलोरिस्प माइनर), जंगली जई (ऐवेना फेच्वा), दूब घास (साइनोडोंन डेक्टीलोन)    संवा (इकानोक्लोआ कालोना)  दूब घास (साइनोडान डेक्टीलान)कोदों (इल्यूसिन इण्डिका)बनरा (सिटैरिया ग्लाऊका) चैड़ी पत्ती वाले कृष्णनील (एनागोलिस आरवेनसिस), बथुआ (चिनोपोडियम एल्बम),...