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Cultivation Technique of Paddy straw Mushroom भारत जैसे देश में जहॉ की अधिकांश आबादी शाकाहारी है खुम्‍बी का महत्‍व पोषण की दृष्‍टी से बहुत अधिक है । यहां मशरूम का प्रयोग सब्‍जी के रूप में किया जाता है। भारत में खुम्‍बी उत्‍पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं। भारत में व्‍यवसायिक रूप से तीन प्रकार की खुम्‍बी उगाई जाती है। बटन (Button) खुम्‍बी, ढींगरी (Oyster) खुम्‍बी तथा धानपुआल या पैडीस्‍ट्रा (Paddystraw) खुम्‍बी। तीनो प्रकार की खुम्‍बी को किसी भी हवादार कमरे या सेड में आसानी से उगाया जा सकता है। पैडीस्‍ट्रा खुम्‍बी की खेती मुख्‍यत: समुद्री किनारे वाले क्षेत्रों में की जाती...

  Mushroom cultivation is increasingly becoming popular because it not only meets the dietry requirements but also adds to the income, especially of growers with insufficient land. It is considered to be a very rewarding and fascinating hobby for the retired persons as well as house-wives who can grow mushrooms in small boxes or other containers while attending to household chores. Today, mushroom cultivation faces less difficulties provided the grower will follow simple rules of growing.  It is really amazing that a small quantity of spawn when planted in suitable growing medium can, within almost six weeks, grow into a highly profitable crop inside a room, where no other crop would grow.  Moreover, mushrooms...

Cultivation technique of Oyster mushroom  भारत में मशरूम का प्रयोग सब्‍जी के रूप में किया जाता है। खुम्‍बी की कई प्रजातियां भारत मे उगाई जाती है। फ्ल्‍यूरोटस की प्रजातियों को सामान्‍यतया: ढींगरी खुम्‍बी कहते हैं। अन्‍य खुम्बियों की तुलना में सरलता से उगाई जाने वाली ढींगरी खुम्‍बी खाने में स्‍वादिष्‍ट, सुगन्ध्ति, मुलायम तथा पोषक तत्‍वों से भरपूर होती है। इसमे वसा तथा शर्करा कम होने के कारण यह मोटापे, मधुमेह तथा रक्‍तचाप से पीडित व्‍यक्तियों के लिए आर्दश आहार है। भारत में खुम्‍बी उत्‍पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशस्‍म उगाते हैं।व्‍यवसायिक रूप से तीन प्रकार की खुम्‍बी...

Production technique of Compost for Button Mushroom Cultivation  बटन पशरूम की खेती एक विशेष विधि से तैयार की गई कम्‍पोस्‍ट खाद पर की जाती है। इस कम्‍पोस्‍ट को साधारण अथवा निर्जीवीकरण विधियों से बनाया जाता है।  साधारण विधि से कम्‍पोस्‍ट बनाने की तकनीक (Simple method of making compost) साधारण विधि से कम्‍पोस्‍ट बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगता है  100 सेंमी लम्‍बी, 50 सेंमी चौडी तथा 15 सेंमी ऊची 15 पेटियों के लिए इस विधि से कम्‍पेस्‍ट बनाने के लिए सामग्री: धान या गेहूं का 10-12 सेंमी लम्‍बाई में कटा हुआ भूसा - 250 किलोग्राम धान या गेहूं की भूसी - 20-25 किलोग्राम अमोनियम सल्‍फेट या कैल्शियम अमोनियम नाईट्रेट - 4 किलोग्राम यूरिया - 3 किलोग्राम जिप्‍सम - 20 किलोग्राम मैलाथियॉन - 10 मिलि...

Three types of mushrooms are grown commercially. Button mushroom, Oyster mushroom and Paddy straw mushroom. Among these, button mushroom is the most popular. All three types of mushrooms can be grown easily in any ventilated room or bed. बटन मशरूम कैसे उगाऐं   भारत जैसे देश में जहॉ की अधिकांश आबादी शाकाहारी है खुम्‍बी का महत्‍व पोषण की दृष्‍टी से बहुत अधिक हो गया है । यहां मशरूम का प्रयोग सब्‍जी के रूप में किया जाता है। भारत में खुम्‍बी उत्‍पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं। मौसमी खेती मुख्‍यत: हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कशमीर, उत्‍तर प्रदेश की पहाडीयों, उत्‍तर-पश्चिमी पहाडी...

Oyster mushroom cultivation ढिंगरी मशरूम समशीतोष्ण कालीन छत्रक है, जिसे वर्ष पर्यन्त उगाया जा सकता हैं। इसकी उपज के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड आवश्यक होता है। प्रदेश में इसका उत्पादन 150 मैट्रिक टन होता है। पोषक तत्व : 100 ग्राम ताजा ढिंगरी मशरूम में निम्न पोषक तत्व पाये जाते हैं ।कार्बोहाइड्रेट - 52 प्रतिशतप्रोटीन - 25 प्रतिशतवसा - 02 प्रतिशतरेशे - 13 प्रतिशतराख - 06 प्रतिशतनमी - 902 प्रतिशत ढिंगरी मशरूम का कैलोरीज मान 34-35 किलो कैलोरीज है। ढिंगरी मशरूम प्रजातियाँ : ढिंगरी मशरूम की कई प्रजातियाँ प्रचलित हैं, जिनमें मुख्य प्रजातियों के नाम, प्रतीक एवं उगाने के समय आवश्यक तापमान निम्न प्रकार है-  प्रजाति का नाम  प्रतीक  तपमान प्लूरोटस सिट्रीनोपिलेटस  P.C. 22-35 डि सें प्लूरोटस साजरकाजू P.503  22-30 डि सें प्लूरोटस फ्लोरिडा  P.F.  18-28 डि...

भारत में बोई जाने वाली द्वि उपयोगी जौं की प्रजातियॉ Variety Year Production Condition Area of Adaptation Developed at RD 2715 2008 Irrigated Central zone ARS, Durgapura BHS 380 2010 Rainfed Northern Hills IARI, RS, Shimla RD 2035 1994* Irrigated NWPZ ARS, Durgapura RD 2552 1999* Irrigated NWPZ ARS, Durgapura ...

चारा फसलों की उन्‍नत किस्‍में पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को चाहिए कि वे ऐसी बहुवर्षीय हरे चारे की फसले उगाऐं  जिनसे पशुओं को दलहनी एवं गैरदलहनी चारा वर्ष भर उलब्ध हो सकें।  रबी एवं खरीफ के लिए पौष्टिक हरा चारा उगाने की योजना कृषकों को अवश्य बनानी चाहिए।  खरीफ एवं रबी के कुछ पौष्टिक हरे चारे की उन्‍नत किस्‍में इस प्रकार है।  चारा फसल किस्‍में बीज की दर मक्‍का J-1006, किसान, अफ्रीकन टाल एवं विजय, टाइप-41, मक्का गंगा-2, गंगा-7, 50- 60 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज शुद्ध फसल की बुआई के लिए।  फलीदार चारे जैसे लोबिया के साथ 2:1 के साथ मिलाकर बोना चाहिए। रिजका Anand-2, Anand-3, LLC3, T-9, RL-88,RL-48   बरसीम UPB-110, Bundel barsim 2, वरदान जे.वी.-1 तथा वी.एल.-1, वी.एल.-10, जे.एच.वी.-146 25-30...