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फसल सुधार में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है, भारत की लगभग 65-70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, लेकिन इस बदलते परिवेश में जहाँ बढ़ती आबादी के कारण कृषि जोत सिकुडती जा रही है, वहीं बदलती हुई जलवायुवीय परिस्थितियों ने कृषि स्थति को और भयावाह बना दिया है। कहीं पानी की कमी के कारण बुवाई पर रोक है, तो कहीं अधिक पैदावार की वजह से उपज की पर्याप्त कीमत नहीं मिल पा रही है। हरित क्रांति ने उपज तो बढ़ा दी है, लेकिन बदलते वक्त में खेती के सामने अलग चुनौतियां भी पैदा कर दी हैं। ऐसी खोज जरूरी है, जो...

गेहूँ एवं जौ की फसलों में लगने वाले महत्वपूर्ण रोग एवं उनकी रोकथाम   कृषि फसलों में लगने वालें रोग अनेक पादप रोगजनकों (जैसे कवक, जीवाणु, विषाणु, सूत्रकृमि, फाइटोप्लाज्मा इत्यादि) एवं वातावरण कारकों के द्वारा उत्पन्न होते हैं। रोगजनकों से होने वाले रोग अनुकूल परिस्थितियों में फसल को भारी क्षति पहुंचा सकते है। अतः इन रोगों का शुरूआत में ही नियंत्रण करना अति आवश्यक है। गेहूँ एवं जौ प्रमुख रबी फसलों में से एक हैं जो हमारे देश भारतवर्ष में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में महती योगदान देती हैं। इन फसलों के महत्वपूर्ण रोग एवं उनका प्रबंधन इस प्रकार है -    गेहूं में लगने वाले प्रमुख रोग: 1. पीली गेरूई (धारीदार रतुआ):...

पंगेसियस मछली को तालाबों और पिंजरों में पालने की सही विधि पंगेसियस एक अत्यधिक प्रवासी नदी की प्रजाति है, और यह समग्र रूप से कृषि क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाली मीठे पानी की मछली प्रजातियों में से एक है। यह मछली वियतनाम की मेकांग नदी की मूल निवासी है और पूरे महाद्वीप में एक जलीय कृषि प्रजाति के रूप में पेश की गई है। हाल ही में, कैटफ़िश ने विश्व जलीय कृषि में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है। पंगेसियस की खेती दुनिया भर में तेजी से विकसित होने वाले जलीय कृषि प्रकारों में से एक माना जाता है। वैश्विक वार्षिक कैटफ़िश उत्पादन (FAO, 2014) में पंगेसियस का लगभग...

Ocean Farming: Smart and Sustainable agriculture on water bodies कृषि एवं संबंधित उद्योग वैश्विक स्तर पर मौलिक और वास्तविक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम इस अपरिहार्य परिवर्तन को समझें और कृषि में संरचनात्मक बदलाव की वैश्विक गति को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। कृषि में इस तरह के परिवर्तन के कारणों पर तीन बिन्दुओं के तहत चर्चा की जा सकती है। सबसे पहले, विश्व में मानव आबादी की निरंतर वृद्धि वास्तव में हमें 2050 (संयुक्त राष्ट्र, 2019) तक 10 बिलियन जनसंख्या तक ले जायेगी और कोविड-19 जैसी महामारी ने पहले ही वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बहोत बडा व्यवधान पैदा किया...

Nodular skin, Lumpy skin disease in cattle लम्पी स्किन डिजीज (LSD) या गांठदार त्वचा रोग राजस्थान के कई जिलों में फैला हुआ है। यह एक तेजी से फैलने वाली विषाणु जनित बीमारी है। यह बीमारी पशुपालको के आर्थिक नुकसान का प्रमुख कारण है। यह रोग  गाय और भैंसो में मुख्य रूप से देखा गया है। इस रोग में पशु के पूरे शरीर पर गांठे बन जाती है इस लिए इसको गांठदार त्वचा रोग भी कहते है | यह रोग भेड़ व बकरी माता जैसे विषाणु के कारण होता है। यह रोग परजीवी जैसे कीड़े ,मच्छर एवं मक्खियों के काटने से फैलता है। यह रोग संक्रमित पशु के चारे, दाने व घाव से भी...

Sustainable farming techniques सतत कृषि समाज की वर्तमान खाद्य और कपड़ा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थायी तरीके से खेती कर रही है, वर्तमान या भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना। सतत कृषि के महत्वपूर्ण बिंदु उत्पादन प्रणालियाँ और नीतियां और संस्थाएँ जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा का आधार हैं, वे तेजी से अपर्याप्त हैं। विश्व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सतत कृषि को स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र का पोषण करना चाहिए और भूमि, जल और प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन का समर्थन करना चाहिए। टिकाऊ होने के लिए, लाभप्रदता, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करते हुए, कृषि को अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए...

Medicinal properties of lemongrass लेमन ग्रास का नाम सुनते ही आपके दिमाग में जरूर हरी-हरी घास की तस्वीर आई होगी। लेमन ग्रास एक प्रकार की चमत्कारी घास है। लेमन ग्रास खासकर दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है। यह घास जैसा ही दिखता है, बस इसकी लंबाई आम घास से ज्यादा होती है। वहीं, इसकी महक नींबू जैसी होती है और इसका ज्यादातर उपयोग चाय में अदरक की तरह किया जाता है। लेख में लेमन ग्रास ग्रास से होने वाले उपचारों के बारे में बता रहे हैं। लेमन ग्रास के औषधीय गुण लेमन ग्रास में कई औषधीय गुण होते हैं, जिस वजह से कई आयुर्वेदिक उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर...

Causes of mysterious dwarfism in paddy and its adverse effect on production धान, खरीफ मौसम में उगाए जाने वाले मुख्य खाद्यान्नों में से एक है, जिसकी बुवाई जून-जुलाई में होती है और अक्टूबर में कटाई होती है। डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में धान का रकबा 13.27 प्रतिशत कम है, जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में धान की बुवाई जुलाई के अंत तक पूरी हो गई थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 29 जुलाई, 2022 तक लगभग 23.15 मिलियन हेक्टेयर (mha) धान बोया गया था, जो इसी अवधि के दौरान 2021 में बोए गये धान के रकबे की तुलना में...