Author: rjwhiteclubs@gmail.com

ताप-संरक्षक (थर्मो-प्रोटेक्टेंट): मूँग में उच्च तापमान सहनशीलता और उपज बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराक  सभी दालों में, मूँग का जल्दी परिपक्व,  उच्च दैनिक उत्पादकता और बहुउपयोगी होने के कारण, एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। हमारे देश के कुल दाल उत्पादन में मूँग का योगदान 11% है। मूँग एक पौष्टिक अनाज है जो पूरे भारत में अनाज आधारित आहार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मूँग का पौष्टिक मूल्य इसके उच्च और आसानी से पचने योग्य प्रोटीन में निहित है। मूँग आम तौर पर गर्म मौसम की फसल है जिसमें बुवाई से लेकर परिपक्वता तक गर्मियों में 60-65 दिनों की आवश्यकता होती है। मूँग गर्म मौसम की फसल होने के कारण अपनी अधिकांश वृद्धि अवधि...

Problem faced by the farmers of Rohru-Shimla in the production and marketing of apple crop हिमाचल प्रदेश मुख्य रूप से एक समशीतोष्ण पहाड़ी राज्य है जो वाणिज्यिक समशीतोष्ण फलों जैसे कि सेब, आड़ू, बेर, खुबानी, अखरोट, स्ट्रॉबेरी और चेरी इत्यादि के उत्पादन के लिए जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, सिरमौर और चंबा में सेब का उत्पादन होता है और इन जिलों में से शिमला और कुल्लू सेब के उत्पादन की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण जिले हैं। रोहरु शिमला जिले का एक पहाड़ी खंड है जो कि सेब के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। रोहरू देशांतर 77.45° और 77.75° E और अक्षांश 31.12° और...

Importance of livestock in the economic development of the country and livestock health challenges  वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की ओर अग्रसरित है, इसके बावूजद पशुपालन, जो कि प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि है, भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पशुपालन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी की भागीदारी रखता है और 8 करोड़ से अधिक किसानों की आजीविका का साधन है। यद्यपि पशुधन क्षेत्रक के विकास से दूध, अंडे और मांस की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में सुधार हुआ है तथापि विकसित देशों की तुलना में प्रति पशु उत्पादकता बहुत कम है। भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वे (2021-2022) के अनुसार देश में दुग्ध उत्पादन 2014-15...

Agricultural Drone is a modern and contemporary version of precision agriculture ड्रोन एक मानव रहित छोटा विमान है जिसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है या यह स्वायत्त रूप से उड़ सकता है। इसमें एक जीपीएस आधारित नेविगेशन सिस्टम। कई तरह के सेंसर और एक नियंत्रक होता है। यह बैटरी आधारित ऊर्जा पर काम करता है। नियंत्रक से इसे उड़ाया और नियंत्रित किया जाता है। इस पर अंतिम उपयोग के आधार पर कई तरह के उपकरण जैसे कि कैमरा, कीटनाशक छिड़काव यंत्र आदि भी लगे होते हैं। वर्तमान बजट में खेती में ड्रोन तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया है। यह भारत सरकार द्वारा कृषि...

Wheat bran consumption is beneficial भारत में उगाई जाने वाली फसलों में गेहूँ एक प्रमुख अनाज की फसल है। गेहूँ के दाने से प्राप्त उच्च कैलोरी के कारण  दुनिया की एक तिहाई से भी अधिक आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली प्रमुख खाद्य फसल है। गेहूँ एक पौष्टिक अनाज होने के साथ-साथ प्रोटीन, खनिज, विटामिन बी एवं आहार रेशा का भी एक समृद्ध स्रोत है। भारत में इसकी खेती लगभग 31 मिलियन हैक्टर क्षे़त्रफल पर की जाती है, जिससे गेहूँ का उत्पादन लगभग 110 मिलियन टन होता है (2021)। गेहूँ के बीज के तीन अलग-अलग भाग होते हैं जिन्हे चोकर, एंडोस्पर्म एवं जर्म के नाम से जाना जाता है। आटे के उत्पादन...

Sustainable Disease Management in Cucumber Crops खीरा (Cucumis sativus) लौकी परिवार, Cucurbitaceae में व्यापक रूप से उगाया जाने वाला पौधा है। यह अपने एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण दुनिया भर में और भारत में खेती की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण खीरा फसलों में से एक है। भारत दुनिया में खीरा का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। अप्रैल-अक्टूबर (2020-21) मे भारत ने 114 मिलियन डॉलर के मूल्य के साथ 1,23,846 मीट्रिक टन खीरा निर्यात किया है । खीरे कई प्रकार के आकार में आते हैं, लेकिन सबसे आम गोलाकार किनारों वाला एक घुमावदार सिलेंडर है जो लंबाई में 60 सेमी (24 इंच) और व्यास में 10 सेमी (3.9 इंच) तक बढ़...

Maintenance of farm machinery कृषि हमारा जीवन है। यह हमारे देश एवं राज्य की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है। राज्य में ही नही पुरे देश में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है पर आज आवश्यकता है इन संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग से कृषि उत्पादकता को शीघ्र बढ़ाने की, इसलिए कृषि यंत्रों का योगदान कृषि में पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । इन यंत्रों की आवयकता खेत की तैयारी से लेकर अनाज को बाजार पहुँचाने तक प्रत्येक कार्य में होता है। अतः इन उन्नत कृषि यत्रों के रख रखाव के बारे में जाने बिना उन्हें प्रयोग करने से किसान भाइयों की परेशानी बढ़ जाने की संभावना है। इसलिए किसी भी यंत्र को...

एकीकृत चावल और पशुधन खेती In the scenario of declining trend of availability of land for agriculture and size of land holding, one of the serious threats to our national food security is providing food security to our growing population. Diversion of agricultural land for industrialisation restricts horizontal expansion. Vertical integration of land based enterprises within the socio-economic environment of small and marginal farmer is the only option. Integrated farming systems are viewed as a sustainable alternative for enhancing livelihood security of small and marginal farmers. Objectives of Integrated Farming System: It includes reversing resource degradation, Stabilising farm income, Efficient soil management, Recycling of farm waste and nutrients, Minimisation of adverse environmental impacts, Sustainability...