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An important initiative to make farmers self–reliant in sugarcane seed production technology ईख की खेती में अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त प्रभेद का चयन महत्वपूर्ण होता है। परंतु प्रभेद अच्छा हो लेकिन उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं हो तो प्रभेद की महत्ता ख़त्म हो जाती है। ईख में चूँकि शुद्ध बीज का प्रयोग व्यवसायिक स्तर पर नहीं होता है इसलिए उसे ईख का बीज न कहकर बीज का ईख कहा जाता है। व्यावसायिक ईख फसल में उपज और चीनी की मात्रा पर अधिक ध्यान दिया जाता है। जबकि ईख बीज में आँखों की स्वस्थता, पौधों में नमी और रिड्यूसिंग सुगर की अधिकता एवं अंकुरण क्षमता पर ध्यान दिया जाता है। साधारणतया अधिकांश जगहों...

मध्यप्रदेश के लिए आलू की अधिक उपज देने वाली नई किस्में मध्य प्रदेश भारत में आलू का पांचवा प्रमुख उत्पादक राज्य है। इस राज्य ने विगत 7-8 वर्षों के दौरान आलू उत्पादन में लम्बी छंलाग लगाई है। इस अवधि के दौरान मध्यप्रदेश में आलू के क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हुई है। आलू के अन्तर्गत कुल कृषिगत क्षेत्रफल में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। यह क्षेत्रफल वर्ष 2010-11 में 62 हजार है0 था जो कि वर्ष 2018-19 में बढकर 145 हजार है0 हो गया। इसी अवधि में उत्पादन में भी चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है जो कि 743 हजार मिलियन टन से बढकर 3315 हजार टन एवं...

Identification and management of major pests of BT Cotton कपास भारतवर्ष की एक  प्रमुख फसल है। औद्योगिक एवं निर्यात की दृष्टि से कपास भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है। भारत में कपास का उत्पादन 36. 5 मिलियन गांठ एवं क्षैत्रफल 13.3 मिलियन हैक्टेयर से 2019-20 मे हुई है। बी. टी. कपास से भारत में उत्पादन लक्ष्य व  वास्तविक उत्पादन के अंतर को काफी हद तक कम किया है। कपास उत्पादन में  प्रमुख राज्य क्रमशः गुजरात, महाराष्ट्र ,तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब , मध्य प्रदेश , और राजस्थान है। प्रदेश में कपास के रकबा में धीरे-धीरे बढोत्तरी हो रही है। लेकिन बी.टी. कपास के  बावजूद , आज  भी कपास के...

Top Rot Disease of Sugarcane and its control बिहार प्रदेश में चीनी उद्योग कृषि पर ही निर्भर है एवं गन्ना ही चीनी मिलों के लिए कच्चा माल है तथा प्रदेश के लिए प्रमुख नगदी फसल है। जैसा कि हम सब जानते है कि गन्ना एक दिर्घ अवधि वाला फसल है जो खेतों में खड़ी रह कर विभिन्न ऋतुओं से गुजरता है एवं अनेक प्रकार के किट व्याधियों के जीवन चक्र से ग्रसित हो कर गुजरता है, जिसके परिणाम स्वरूप गन्ने की फसल को काफी हद तक हानी पहुँचता है। गन्ना की खेती तना गेंड़ीयों से होती है और लगभग साल भर खेत में खडी रहती है। तना गेड़ियों से उपजाई जाने वाली...

Problems, Solutions and Prospects of Sugar Industry in Bihar State गन्ना बिहार की एक महत्वपूर्ण नगदी औद्योगिक फसल है  । राज्य में 28 चीनी मिलें हैं जिसमें 11 कार्यरत है और 17 (सतरह) बंद हो चुके है। चीनी मिल मुख्यतः उत्तरी बिहार के पश्चिमी एवं पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, सितामढ़ी तथा समस्तीपुर जिलों में स्थित है।  इनके अलावा बिहार के भागलपुर तथा साहेबगंज क्षेत्र में 11 गुड़ के मिलें है तथा विभिन्न भागों में खाँडसारी का भी उत्पादन होता है। राज्य बँटवारे के बाद गन्ना आधारित अद्योग ही सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। गन्ना उत्पादन पर ही चीनी उद्योग के साथ-साथ गुड़, खंडसारी, कागज, इथेनॅाल, पशु आहार एवं विद्युत-ऊर्जा, कार्बनिक खाद जैसे...

आलू फसल में पोषक तत्वों की उपयोगिता एवं महत्व एक ही खेत में सघन फसल चक्र अपनाने एवं उर्वरकों की संतुलित एवं समुचित मात्रा में प्रयोग न करने तथा केवल नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटाश युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मिट्टी से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों की कमी प्रायः देखने में आती है। लगातार अच्छी उपज लेने के लिए आवश्यक है कि फसल को सभी पोषक तत्व समुचित मात्रा में मिलते रहें। सामान्यताः सभी पोषक तत्वों की कमी से पौधों में कुछ न कुछ कमी के लक्षण प्रकट हो जाते हैं तथा इन तत्वों की कमी से प्रायः पौधों की बढ़वार घट जाती है और रंग बदल जाता है यदि हम...

Technical knowhow of protected farming for hilly areas पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के तौर तरीके अन्य भागों से थोड़ा अलग है। जिसका मुख्य कारण वातावरण के साथ-साथ अन्य कारकों का अलग होना है जैसे की समतल भूमि का आभाव, खड़ी चढ़ाईया, सिचाई के पानी की कमी इत्यादि जो काश्तकारी को और विषम बना देती हैं ऐसे हालातों में अनाजों या अन्य फसलो की अपेक्षा सब्जियों का उत्पादन अधिक लाभप्रद है। क्योकि इनसे हमें कम भूमि से अधिक शुद्ध लाभ मिलता है। इसी को ध्यान में रखतें हुए संरचित खेती का विकास किया गया हैं जिससे तापमान, आद्रता, सूर्य का प्रकाश एवं हवा के आगमन में फसलों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करके...

Light Trap: An efficient IPM tool for farmers of Sipahijala, Tripura   समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) किसानों के लिए एक प्रभावी नीति है | यह एक स्थायी संयंत्र संरक्षण रणनीति है जो पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और किसान हितैषी है । उधाराण के तौर पर त्रिपुरा में सिपाहीजला में जहाँ किसान कई फसलों की खेती कर रहे हैं परन्तू इन फसलों पर कीटो के हमले के कारणवश किसानों को उपज में भारी नुकसान उठाना पड रहा है | इन प्रमुख कीटों की दीर्घकालिक रोकथाम या हानि को सांस्कृतिक, जैविक, भौतिक, यांत्रिक उपकरणों, रासायनिक कीटनाशकों के संयोजन के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है| कीटों और कीटनाशकों के...

Soil erosion and its management in the current environment   मानव सम्यता का अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। उनमें मिट्टी, प्रकृति की एक अनुपम भेंट है। प्रकृति इसका संरक्षण वनस्पतियों के माध्यम से करती हैं। प्रकृति ने मिट्टी के संरक्षण के लिए जो कवच प्रदान किया है, उसे मानव हस्तक्षेप से क्षति पहुंच रही है। फलस्वरूप, मृदा क्षरण तेजी से होने लगाहै। भूमि कटाव की समस्या न केवल भारत में, बल्कि विश्वव्यापी है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर में, 17 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक, भूमि, जल, वायु और स्थानविशिष्ट कारणों से प्रभावित हो रहा है। देश में 58 प्रतिशत भूमि की खेती...

स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु घर में लगाएं सेहत की बगिया  साग-सब्जियों का हमारे दैनिक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ये विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन व एण्टी-आक्सीडेंट के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। इसलिए आप अपने घर के आंगन में, घर की छत पर, बालकनी या आपके पास कोई खाली पड़ी जमीन है तो आप आसानी से पोषण बगीचा (किचन गार्डन) बना सकते हैं। इससे आपको रासायनिक दवाओ से मुक्त शुद्ध ताज़ी सब्जियां एवं फल प्राप्त होगी । आहार विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार संतुलित भोजन के लिये एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियां एवं 85 ग्राम फल का सेवन करना चाहिए, जिसमें लगभग 125 ग्राम हरी पत्तेदार सब्जियां, 100...