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Mangoes and their processed products आम प्राचीनकाल से भारत का लोकप्रिय फल है तथा भारत, पाकिस्तान व फिलिपिन्स का राष्ट्रीय फल हैं व बंग्लादेश का राष्ट्रीय पेड़ हैं तथा इसे अपनी आकर्षक रंग, मनमोहक सुगंध, मिठास तथा उत्तम स्वाद के कारण आम ’’फलों का राजा’’ कहलाता हैं। आम का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष हैं, जिसकी लम्बाई 8 - 18 मी तक हो होती है। भारत में आम की 1000 से अधिक किस्में पायी जाती है, परन्तु व्यापारिक दृष्टि से आम की 30 प्रजातियाॅ उगाई जाती हैं। आम अपनी प्रारंम्भिक अवस्था से अंतिम अवस्था तक उपयोगी होता है। अप्रैल के महीने से लेकर जुलाई तक आम की अलग-अलग किस्में- तोतापरी, बेनिशान, हापुस, हिमसागर, दशहरी,...

Making of rainwater harvesting system भूजल के जबर्दस्त दोहन से लगातार पानी का स्तर नीचे जा रहा है। शहरीकरण के कारण प्राकृतिक रिचार्ज क्षेत्रों मे भारी गिरावट हो रही है जिसके कारण भूजल का स्तर बहुत नीचे हो गया है अथवा कई जगहो पर तो उसे निकालना ही असंभव हो गया है।  इससे पेयजल की किल्लत हो रही है। वर्षा के अनियमित पैट्रन, कभी अति वर्षा और कभी सूखा जैैैसी घटनाओं के कारण बारिश का पानी यूँ ही बहकर बर्बाद हो जाता है। वर्षा जल को बचाकर संचय करने से साल भर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्तमान परिस्थिति मे वर्षा जल संचयन अत्यंत उपयोगी हो सकता है। इससे पेड़-पौधों की संख्या में...

ग्रीनहाउस में सीजन टमाटर की खेती आज बुनियादी खेती में दिलचस्पी नहीं रखते हैं, लेकिन ग्रीनहाउस जैसी नवीनतम कृषि तकनीकों की ओर उन्हें आकर्षित करना संभव है। इन दिनों उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की मांग बढ़ रही है और इन मांगों को पूरा करने के लिए हमारे सब्जी उत्पादकों के लिए ऐसी संरक्षित सब्जी उत्पादन तकनीक को अपनाना आवश्यक है। ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे भारी वर्षा, गर्मी, कीटों, वायरस रोगों आदि से सुरक्षित रखते हुए सब्जियों का उत्पादन करना संभव है। इस लेख में, हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे मौसम में टमाटर की खेती करना है। ग्रीनहाउस का प्रकार, लागत और सिंचाई प्रणाली स्वाभाविक रूप से हवा में...

सोमाक्लोनल वेरिएशन: फसल सुधार के लिए एक तकनीक Plant tissue culture procedures give a substitute strategy for vegetative propagation of horticultural crops. Clonal propagation through tissue culture (popularly known as micro propagation) can be acknowledged generally quickly inside a little space. The consistency of individual plants inside a clone population is a significant bit of choice of clonal cultivars in business creation. However, genetic variations do happen in undifferentiated cells, detached protoplasts, calli, tissues and morphological qualities of in vitro raised plants. In 1981, Larkin and Scowcroft begat an overall term ''somaclonal variation'' for plant variations got from any type of cell or tissue cultures. Somac1onal variation has been used in an enormous...

सहजन एक जादुई पौधा सहजन या ड्रम्स्टिक ( moringa olieifera ) maringacea कुल के पौधे के बारे हम सभी जानते हैं की इसे सीजना,सुरजना, शोभाजन, इंडियन हार्सरैडिश आदि नामों से जानते हैं लेकिन इनके औषधीय गुणों के बारे मे बहुत कम ही लोग जानते हैं इसके जड़, पते, छाल और फलियों आदि भाग किसी न किसी रूप मे उपयोग लेते हैं इनके सभी भागों मे औषधीय गुण बहुत अधिक मात्रा मे होते हैं इसके पते एवं फलिया शरीर को ऊर्जा देने के साथ साथ शरीर मे विटामिन,खनिज एवं पोषक तत्व प्रदान करते हैं और शरीर मे उपस्थित हानिकारक या विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं सहजन भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान की मूल वानस्पतिक पौधा हैं...

Harmful effects of current agricultural systems हरित क्रांति ने भारतवर्ष में खाद्यान्न के उत्पादन एवं आपूर्ति तथा खाद्यान्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिणामस्वरूप पारम्परिक कृषि पद्धतियां का स्थान कृषि की आधुनिक तकनीकों जैसे कि रासायनिक खादों, कृषि रसायनों (कीटनाशी) तथा फार्म मशीनरी ने ले लिया है तथा इस प्रकार का क्रांतिकारी परिवर्तन सिर्फ भारतीय परिदृश्य में ही नहीं अपितु समस्त विश्व की कृषि में देखा जा सकता है। बहुआयामी विकास एवं आधुनिकीकरण के पश्चात भी वर्तमान कृषि विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है। वाह्य कृषि निवेशों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा, जल एव अनुवांशकीय स्रोतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तथा मृदा अपरदन, मृदा में पोषक...

Agricultural Production will increase with the use of modern equipment आधुनिक कृषि एवं मशीनों के द्वारा समय की बचत के अलावा श्रम, ईंधन एवं खर्च के साथ- साथ प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण भी होता हैं तथा बेहतर उपज भी प्राप्त की जा सकती हैं। इससे जहा एक और खाद्यान्न की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति की जा सकती हैं, वही दूसरी और किसानों को भी अपनी उपज का पर्याप्त लाभ मिलेगा। खेती में आधुनिक कृषि एवं मशीनों का इस्तेमाल समय की जरूरत हैं।  किसानों को अगर पैदावार एवं आय बढ़ानी हैं तो आधुनिक कृषि एवं मशीनों का उपयोग करना ही होगा।  खेती और उससे जुड़े कार्यों में श्रमिकों की कमी एक बड़ी...

वर्मीकंपोस्ट, देशी खाद का श्रेष्ठ विकल्प केंचुओं द्वारा कृषि अवशिष्ट को पचाकर उत्तम किस्म का कंपोस्ट बनाया जाता है| केंचुए के अपशिष्ट यानि मल, उनके कोकून, सूक्ष्म जीवाणु, पोषक तत्व और विघटित जैविक पदार्थों का मिश्रण वर्मी कंपोस्ट कहलाता है| प्रकृति ने केंचुओं को अद्भुत क्षमता प्रदान की है|  वे स्वयं के भार से अधिक मल-मूत्र का त्यागकर उत्कृष्ट कोटि का कंपोस्ट बना सकते हैं| वर्मीकंपोस्ट में 1.2 - 2.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.6 - 1.8 प्रतिशत  फॉस्फोरस तथा 1.0 - 1.5 प्रतिशत पोटाश की मात्रा पाई जाती है| इस कंपोस्ट में एक्टीनोमाइसीट्स की मात्रा गोबर की खाद की तुलना में 8 गुना अधिक पाई जाती है| इसके अतिरिक्त वर्मीकंपोस्ट में सूक्ष्म पोषक तत्व संतुलित मात्रा में...

स्प्राउट ब्रोकोली: छत्तीसगढ़ सब्जी उत्पादन में रिवोल्यूशनरी उद्यम Sprout broccoli belongs to cruciferae family. Its botanical name is B. oleracea L. var. italica . Due to its cauliflower like appearance, sprouting broccoli or broccoli in the local parlance is known as ‘Hari Gobhi’, meaning green cauliflower. Broccoli with purple and white heads is grown in Italy. Broccoli is an Italian word, derived from the Latin branchium, meaning anarm or branch.  Broccoli has two distinct forms. One makes a dense, white curd like that of cauliflower and is called ‘heading broccoli’. The other makes a somewhat branching cluster of green flower buds atop a thick, green flower stalk. Small axillary heads/ sprouts arise from the stem at...

Integrated Pests management of kinnow नीबू वर्गीय फल वाली फसलें बहुवर्षीय एवं वृक्ष नुमा होती हैं। भारत में फल उत्पादन की दृष्टि से नीबू वर्गीय फल तीसरे स्थान पर है। इस वर्ग में लगभग 162 जातियाँ आती हैं। इस वर्ग में मेन्ड्रिन नारंगी (किन्‍नों, नागपुर, खासी दार्जिलिंग) को एक बड़े क्षेत्रफल में उगाया जाता है। किन्नू के लिए कम आर्द्रता, गर्मी और अपेक्षाकृत सुहानी सर्दी अनुकूल होती है। उत्तर-भारत में जहाँ पर तापमान गिर कर 1-66° से 4-40° सेल्सियस तक पहुँच जाता है वहाँ किन्नू के फल अच्छे रंग, स्वाद और अत्यधिक रसदार होते हैं। भारत में किन्‍नो का क्षेत्र लगभग 56910 हेक्टेयर है जिससे लगभग 1222-66 मेट्रिक टन वार्षिक उत्पादन होता है।...