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Soil Health Management through Waste Management भारत में बड़ी संख्या में फसलें उगाई जाती हैं जिसके चलते प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलियन टन फसल अवशेष रीसाइक्लिंग के लिए उपलब्ध होते हैं। इन फसलों के आर्थिक भागों का उपयोग करने के बाद, कुछ फसलों को छोड़कर, अक्सर अवशेषों को जलाकर निपटाया जाता है जिससे इनका ज्यादातर भाग बर्बाद हो जाता है एवं वातावरण प्रदूषित होता है। यह फसल अवशेष पौधों के पोषक तत्वों (क्रमशः 0.5, 0.6 और 1.5 मिलियन टन के लगभग नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) का एक बड़ा भंडार हैं। घरों तथा खेतों में जो कूड़ा करकट पैदा होता है उसे अगर ऐसे ही इधर-उधर पड़ा रहने दें तो वह एक गंदगी का...

Importance of soil testing and method of collecting soil samples भारत में मिट्टी परीक्षण सेवा 1956 मे 24 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुई थी।  मृदा की जाँच एक रसायनिक प्रक्रिया है जिससे मिट्टी मे उपस्थित पौधों के पोषक तत्वों का निर्धारण व प्रबंधन किया जाता है।मृदा जांच से फसल बोने से पूर्व ही पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा ज्ञात की जाती है। जिससे आवश्यक उर्वरकों की पूर्ति फसल की आवश्यक्ता के अनुसार किया जा सके। मृदा जाँच के उददेश्य:– मृदा में पोषक तत्वों की सही मात्रा ज्ञात करना तथा उसके आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करना। मृदा की विशिष्ठ दशाओं का निर्धारण करना जिससे मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारक पदार्थों की...

गेहूँ उत्पादन की टिकाऊ एवं प्रभावी प्रौद्योगिकियाँ भारत में गेहूँ लगभग 31.17 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल पर उगाया जाता है जो कुल फसल क्षेत्रफल का 24.94 प्रतिशत है। जिसमें पाँच कृषि जलवायु क्षेत्र उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र एवं प्रायद्वीपीय क्षेत्र शामिल हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान इन क्षेत्रों का कुल खाद्यान्न उत्पादन में 36.79 प्रतिशत का योगदान है। गेहूँ दुनिया भर के सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है। यह लगभग 250 करोड़ से अधिक लोगों का मुख्य भोजन है, इससे दुनिया भर में खपत होने वाले प्रोटीन के 20 प्रतिशत हिस्से की पूर्ति होती है। गेहूँ भारत वर्ष की एक प्रमुख खाद्यान्न...

कृषि में इलेक्ट्रोसपिनिंग नैनोफिब्रिज के अनुप्रयोग  Nanofibres are able to form a highly porous mesh and their large surface-to-volume ratio improves performance for many applications. Electrospinning has the unique ability to produce nanofibres of different materials in various fibrous assemblies. Electrospinning was first patented in the US in 1902. However, the process was largely forgotten until the 1990s. With interest in the field of nanoscience and nanotechnology, researchers began new investigations of nanofiber production using electrospinning (Seeram et al. 2006). The number of patents and applications for processes and applications based on electrospinning has also grown in recent years. Types of Electrospinning Although fibers produced by different electrospinning methods have attracted increasing attention in...

गेहूं में गुणवत्ता बीज उत्पादन तकनीक Wheat is the major stable food it is widely grown in the world, wheat grain contains carbohydrate (60-70%), protein (10-12%), fat (1.5-2.0%), minerals (1.8%)and other essential nutrients. It is an annual, long day and self-pollinated belong to the family Poaceae. Quality characteristics which are important for flour protein concentration, rheological properties, bread-making and milling quality. In the world third position after rice and maize in production and cultivated area. Land requirements: land requirement for the seed production should be free from weed, volunteer plants and other diseases contamination. It should be well drained, soil neither alkaline nor acidic, wheat crop was not sown in the previous year. Source of...

Environmental friendly agriculture through bio fertilizers खेत की मिट्टी एक जीवंत माध्यम है जिसमें प्रति ग्राम करोड़ों की संख्या में लाभदायक/मित्र जीवाणु पाए जाते हैं। कुछ पौधों जैसे कि  चना, सोयाबीन, मूंगफली आदि फलीदार फसलों की जड़ों पर गुलाबी गांठों के रूप में भी सूक्ष्म जीवाणु निवास करते हैं। यह जीवाणु अपनी जैविक क्रियाओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण या मिट्टी में अनुपलब्ध दशा में मौजूद पोषक तत्वों को उपलब्ध दशा में परिवर्तित करते  रहते हैं तथा फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान  प्रदान करते हैं। सघन खेती में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से इन मित्र जीवाणुओं की संख्या में कमी आई है तथा मिट्टी स्वास्थ्य में भारी गिरावट आई है। इसकी उत्पादन...

बीजोपचार - गेहूँ की स्वस्थ फसल का आधार  भारत में उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में गेहूँ एक प्रमुख फसल है जो समस्त भारत में लगभग 30.31 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल पर उगाई जाती है जो कुल फसल क्षेत्रफल का लगभग 24.25 प्रतिशत है । फसल सत्र 2019-20 के दौरान भारत में 107.59 मिलियन टन गेहूँ का उत्पादन हुआ । कृषि उत्पादकता और उत्पादन में निरंतर वृद्धि के लिए बीज एक महत्वपूर्ण आवक है क्योंकि लगभग 90 प्रतिशत खाद्यान्न फसलें बीज से ही तैयार की जाती हैं । कृषि क्षेत्र में बीज की भूमिका का भारत जैसे विकासशील देश में बहुत महत्व है जहाँ की जनसंख्या मूलभूत आवश्यकताओं और रोजगार के लिए कृषि...

परवल की वैज्ञानिक विधि से खेती परवल को ट्राइकोसेन्थेस डियोका ( Trichosanthes dioica) या पाॅइंटि‍ड गोड (Pointed gourd)  के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बेल वाली सब्‍जी फसल है। परवल का सब्जियों में विशिष्ट स्थान है, इसके के फल सुपाच्य होते है तथा शरीर के परिसंचरण तंत्र को बल प्रदान करते है इससे मिठाइयां भी बनाई जाती है | भारत में इसकी खेती पश्चिम बंगाल, असाम, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में बहुतायत सेे की जाती है | उत्तर प्रदेश में परवल की खेती मुख्यतया बलरामपुर, बस्ती, गोरखपुर, गोंडा, बस्ती, बलिया. गाजीपुर, वाराणसी, सुलतानपुर एवं अन्य तराई क्षेत्रो में की जाती है |   परवल की कि‍स्‍में :  परवल...

बीज उधोग में बीज प्रसंस्करण Seed lot obtained from the field, moisture content high and contains various impurities such as plant parts, sand, gravel particles, besides off-size seeds, weed seeds, damaged and deteriorated seeds. As a result, the quality and quantity of the seeds are reduced so a processing plant or unit required for healthy and improved seeds. Seed processing refers to all the steps essential for preparation of harvested seed for marketing, i.e. drying, cleaning, grading, treating, bagging or packaging and storage of the seed, obtained after harvesting and threshing. So, seed processing is an important segment of the seed industry. Principle of the seed processing Complete cleaning and separation: The seeds free...

Fungus biofertilizer that increases crop productivity बढ़ती आबादी की माँगों को पूरा करने और भूख की समस्याओं को कम करने के दबाव ने शानदार  वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों और कृषि विज्ञान प्रथाओं को आगे बढ़ाया है। कवक (फफूंद) समुदायों के विविध समूह मृदा-पादप प्रणालियों के प्रमुख घटक हैं, जहां वे राइजोस्फीयर / एंडोफाइटिक / फेलोस्फेरिक इंटरैक्शन के गहन नेटवर्क में लगे हुए हैं। कवक स्थायी कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण और आशाजनक उपकरण के रूप में उभरा है।  कवक को स्थायी कृषि के लिए रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जैविक विज्ञान के तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक, माइक्रोबायोलॉजी, उपयोगी उत्पादों के उत्पादन...