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Problems, Solutions and Prospects of Sugar Industry in Bihar State गन्ना बिहार की एक महत्वपूर्ण नगदी औद्योगिक फसल है  । राज्य में 28 चीनी मिलें हैं जिसमें 11 कार्यरत है और 17 (सतरह) बंद हो चुके है। चीनी मिल मुख्यतः उत्तरी बिहार के पश्चिमी एवं पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, सितामढ़ी तथा समस्तीपुर जिलों में स्थित है।  इनके अलावा बिहार के भागलपुर तथा साहेबगंज क्षेत्र में 11 गुड़ के मिलें है तथा विभिन्न भागों में खाँडसारी का भी उत्पादन होता है। राज्य बँटवारे के बाद गन्ना आधारित अद्योग ही सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। गन्ना उत्पादन पर ही चीनी उद्योग के साथ-साथ गुड़, खंडसारी, कागज, इथेनॅाल, पशु आहार एवं विद्युत-ऊर्जा, कार्बनिक खाद जैसे...

आलू फसल में पोषक तत्वों की उपयोगिता एवं महत्व एक ही खेत में सघन फसल चक्र अपनाने एवं उर्वरकों की संतुलित एवं समुचित मात्रा में प्रयोग न करने तथा केवल नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटाश युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मिट्टी से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों की कमी प्रायः देखने में आती है। लगातार अच्छी उपज लेने के लिए आवश्यक है कि फसल को सभी पोषक तत्व समुचित मात्रा में मिलते रहें। सामान्यताः सभी पोषक तत्वों की कमी से पौधों में कुछ न कुछ कमी के लक्षण प्रकट हो जाते हैं तथा इन तत्वों की कमी से प्रायः पौधों की बढ़वार घट जाती है और रंग बदल जाता है यदि हम...

Technical knowhow of protected farming for hilly areas पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के तौर तरीके अन्य भागों से थोड़ा अलग है। जिसका मुख्य कारण वातावरण के साथ-साथ अन्य कारकों का अलग होना है जैसे की समतल भूमि का आभाव, खड़ी चढ़ाईया, सिचाई के पानी की कमी इत्यादि जो काश्तकारी को और विषम बना देती हैं ऐसे हालातों में अनाजों या अन्य फसलो की अपेक्षा सब्जियों का उत्पादन अधिक लाभप्रद है। क्योकि इनसे हमें कम भूमि से अधिक शुद्ध लाभ मिलता है। इसी को ध्यान में रखतें हुए संरचित खेती का विकास किया गया हैं जिससे तापमान, आद्रता, सूर्य का प्रकाश एवं हवा के आगमन में फसलों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करके...

Light Trap: An efficient IPM tool for farmers of Sipahijala, Tripura   समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) किसानों के लिए एक प्रभावी नीति है | यह एक स्थायी संयंत्र संरक्षण रणनीति है जो पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और किसान हितैषी है । उधाराण के तौर पर त्रिपुरा में सिपाहीजला में जहाँ किसान कई फसलों की खेती कर रहे हैं परन्तू इन फसलों पर कीटो के हमले के कारणवश किसानों को उपज में भारी नुकसान उठाना पड रहा है | इन प्रमुख कीटों की दीर्घकालिक रोकथाम या हानि को सांस्कृतिक, जैविक, भौतिक, यांत्रिक उपकरणों, रासायनिक कीटनाशकों के संयोजन के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है| कीटों और कीटनाशकों के...

Soil erosion and its management in the current environment   मानव सम्यता का अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। उनमें मिट्टी, प्रकृति की एक अनुपम भेंट है। प्रकृति इसका संरक्षण वनस्पतियों के माध्यम से करती हैं। प्रकृति ने मिट्टी के संरक्षण के लिए जो कवच प्रदान किया है, उसे मानव हस्तक्षेप से क्षति पहुंच रही है। फलस्वरूप, मृदा क्षरण तेजी से होने लगाहै। भूमि कटाव की समस्या न केवल भारत में, बल्कि विश्वव्यापी है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर में, 17 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक, भूमि, जल, वायु और स्थानविशिष्ट कारणों से प्रभावित हो रहा है। देश में 58 प्रतिशत भूमि की खेती...

स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु घर में लगाएं सेहत की बगिया  साग-सब्जियों का हमारे दैनिक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ये विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन व एण्टी-आक्सीडेंट के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। इसलिए आप अपने घर के आंगन में, घर की छत पर, बालकनी या आपके पास कोई खाली पड़ी जमीन है तो आप आसानी से पोषण बगीचा (किचन गार्डन) बना सकते हैं। इससे आपको रासायनिक दवाओ से मुक्त शुद्ध ताज़ी सब्जियां एवं फल प्राप्त होगी । आहार विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार संतुलित भोजन के लिये एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियां एवं 85 ग्राम फल का सेवन करना चाहिए, जिसमें लगभग 125 ग्राम हरी पत्तेदार सब्जियां, 100...

Mangoes and their processed products आम प्राचीनकाल से भारत का लोकप्रिय फल है तथा भारत, पाकिस्तान व फिलिपिन्स का राष्ट्रीय फल हैं व बंग्लादेश का राष्ट्रीय पेड़ हैं तथा इसे अपनी आकर्षक रंग, मनमोहक सुगंध, मिठास तथा उत्तम स्वाद के कारण आम ’’फलों का राजा’’ कहलाता हैं। आम का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष हैं, जिसकी लम्बाई 8 - 18 मी तक हो होती है। भारत में आम की 1000 से अधिक किस्में पायी जाती है, परन्तु व्यापारिक दृष्टि से आम की 30 प्रजातियाॅ उगाई जाती हैं। आम अपनी प्रारंम्भिक अवस्था से अंतिम अवस्था तक उपयोगी होता है। अप्रैल के महीने से लेकर जुलाई तक आम की अलग-अलग किस्में- तोतापरी, बेनिशान, हापुस, हिमसागर, दशहरी,...

Making of rainwater harvesting system भूजल के जबर्दस्त दोहन से लगातार पानी का स्तर नीचे जा रहा है। शहरीकरण के कारण प्राकृतिक रिचार्ज क्षेत्रों मे भारी गिरावट हो रही है जिसके कारण भूजल का स्तर बहुत नीचे हो गया है अथवा कई जगहो पर तो उसे निकालना ही असंभव हो गया है।  इससे पेयजल की किल्लत हो रही है। वर्षा के अनियमित पैट्रन, कभी अति वर्षा और कभी सूखा जैैैसी घटनाओं के कारण बारिश का पानी यूँ ही बहकर बर्बाद हो जाता है। वर्षा जल को बचाकर संचय करने से साल भर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्तमान परिस्थिति मे वर्षा जल संचयन अत्यंत उपयोगी हो सकता है। इससे पेड़-पौधों की संख्या में...