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Modern irrigation management in the garden सिचाई की विभिन्न विधियों में टपक या बूंद-बूंद सिंचाई, माइक्रोस्प्रिंकलर, माइक्रोजैट आदि कुछ आधुनिक सिंचाई विधियाँ हैं, परन्तु फलदार बगीचों में टपक सिंचाई अंत्यत लाभकारी सिद्ध हुई है | टपक या बूंद-बूंद सिंचाई एक ऐसी सिंचाई विधि है जिसमें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, कम अंतराल पर, प्लास्टिक की नालियों द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है | परम्परागत सतही सिंचाई द्वारा जल का उचित उपयोग नहीं हो पाता, क्योंकि अधिकतर पानी, जोकि पौधों को मिलना चाहिए, जमीन में रिस कर या वाष्पीकरण द्वारा व्यर्थ चला जाता है | अतः उपलब्ध जल का सही रिसाव कम हो कम हो और अधिक से अधिक पानी पौधे...

पशु घरों के लिए निस्संक्रामक और इनका कार्यान्वयन As the world human population increases, it also increases demand for milk, meat and animal products which resulted in changes in livestock farming practices. The farmers are more interested in intensive farming causes enhancement in stock densities which leads to more disease problems and consequently greater financial losses to the farmer. Now a days, the whole world is facing problems of infectious diseases that affect man and animals, and their effective control is crucial for human and animal health, for safeguarding and securing national and international food supplies and for benefits of animal rearing farmers. Prevention and control of infectious disease in animals mainly relies...

आधुनिक पशु आहार में अजोला का योगदान  राजस्थान की अर्थव्यस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथा पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है। पशुपालन किसानो को विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करता है  जिससे किसानो की आय में वर्द्धि होती है एवं उनकी अर्थवयवस्था में भी  सुधार होता है। अजोला पशुओ के लिये जैविक चारे का काम करता है जिससे उनके दूध में बढ़ोतरी होती है और दूध की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है अजोला एक जलीय फर्न है, जो पानी में तेजी से  बढ़ती है एवं पानी की सतह पर तैरती रहती है धान की फसल में अजोला को भी नील हरित शैवाल की तरह हरी...

गेलार्डीया की उन्नत खेती  मानव जीवन में फूलो का जो महत्व है, वो किसी से भी छिपा हुआ नहीं है | मानव जीवन की शुरुआत फूलो के साथ होती है, मानव फूलो के साथ रहता है तथा मरता भी फूलो के साथ ही है | मानव जीवन में फूलो का उपयोग कई रूपों में किया जाता है | फूलो के उपयोग धार्मिक रीती रिवाजो में घर आँगन को सजाने में तथा मानव शरीर को सजाने के लिए भी किया जाता है | भारत में फूलो की खेती की अपार संभावनाएं है ऐसे में यदी किसान भाई अन्य फसलों के साथ साथ फूलो को भी उगाते है तो किसानो को अधिक मुनाफा हो...

How to choose the right water pump for domestic use वर्षों से पानी के पंप हमारे आवासीय सेटअप का एक अभिन्न हिस्सा साबित हुए हैं। इन शक्तिशाली और कुशल उपकरणों की वजह से जमीन के स्तर से पानी को ऊंची इमारतों की ऊपरी मंजिलों तक ले जाना बिना किसी विशेष मानवीय हस्तक्षेप के संभव हो गया है। भूमिगत स्रोतों से पानी निकालने और इसे ओवरहेड टैंक में स्थानांतरित करने के लिए पानी के पंपों का उपयोग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहा है। एक कुशल पानी का पंप खरीदना न केवल आपको अधिक दक्षता और अच्छा प्रदर्शन प्राप्त करने में मदद कर सकता है, बल्कि ऊर्जा की बचत भी कर सकता...

गागर निम्बू की खेती गागर निम्बू जिसे अंग्रेजी में पोमेलो कहा जाता है, तथा जिसका वैज्ञानिक नाम साइट्रस मैक्सिमा है, साइट्रस जाति का सबसे बड़ा फल है| साइट्रस फलों का एक बड़ा जाति है| जिसमे कई प्रमुख फलों कि प्रजाति शामिल हैं, उनमे से संतर और गागर निम्बू प्रमुख प्रजाति हैं| जीन अनुक्रम के आधार पर संतरा (साइट्रस चीनेंसिस),  गागर निम्बू (साइट्रस मक्सिमा) तथा मैंडरिन (साइट्रस रेटिकुलाटा) के बीच का एक संकर है| इसकी संरचना मूलतः संतरा जैसी होती है जो पूर्णतः पक जाने पर बाहरी छिलका पीला तथा अन्दर की पेशियां गुलाबी,लाल अथवा उजाले रंग की होती हैं| परन्तु इसका बाहरी छिलका संतरा की तुलना में मोटा होता है और पेशियां...

Protection of Sugarcane Crop from Fall Armyworm  फाॅल आर्मी वर्म नामक कीटका बिहार में कुछ दिनों से मक्के की फसल पर प्रकोप देखने को मिल रहा है। साथ ही यह भी सम्भावना है कि मक्का फसल की कटाई के बाद भोजन की अनुउपलब्धता में गन्ने की फसल पर इसका प्रकोप हो सकता है। अतः किसान भाईयों (विशेषकर गन्ना उत्पादकों) से  अनुरोध है कि गन्ना फसल की लगातार निगरानी करते रहें जिससे समय रहते आवश्यक कदम उठाया जा सके। सर्वप्रथम यह कीट सन् 2015 में अमेरिका में मक्का, धान एवं गन्ना पर पाया गया था एवंइनके अलावा इस कीट के परपोषी पौधे घास कुल के अन्य सदस्य भी हैं। सन् 2017 के अंत तक...

Agricultural Weather Forecasting and Crop Management किसी भी क्षेत्र का कृषि उत्पादन उस क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाले बहुत से जैविक, अजैविक, भौतिक, सामाजिक व आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है। मुख्यत: जैविक व अजैविक कारकों में मुख्य रूप से मौसमी तत्व, मिट्टी का स्वास्थय, जल संसाधन, फसलों के प्रकार व विभिन्न प्रजातियाँ, फसलों में होने वाली बीमारियाँ, कीट इत्यादि का प्रकोप आते है। सामाजिक व आर्थिक कारकों में कृषि प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कारक जैसे: कृषि लागत, संसाधनों का उपयोग, श्रमिकों की उपलब्धता, उर्वरक, रसायन, सिंचाई के जल की उपलब्धता, सरकारी नीतियाँ इत्यादि आते है। इन सभी उत्पादन के लिए जिम्मेदार कारकों में मौसमी कारक सबसे ऊपर आते है। मौसमी...

जैव संवर्धित किस्में एवं उनकी प्रमुख विशेषतायें  पोषक आहार मानव शरीर की सम्पूर्ण वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक है| पोषक आहार नही मिलने से विभिन्न सूक्ष्म तत्वों की कमी शरीर को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है जिसको सामान्य शब्दों में कुपोषण कहा जाता है| सम्पूर्ण विश्व में लगभग 2 बिलियन जनसंख्या अपुष्ट आहार से प्रभावित है जबकि 795 मिलियन जनसंख्या कुपोषण की शिकार है| भारत में 194.6 मिलियन जनसंख्या कुपोषित है जिनमे से 44% महिलायें अनीमिया से ग्रसित है, 5 वर्ष से कम उम्र के 38.4% बच्चे छोटे कद व 35.7% बच्चे कम वजन के है| जैव संवर्धित किस्मों का विकास कर कुपोषण की स्थिति से बचा जा सकता है|...

पादप उपचार (फाइटो रिमीडीएशन) - अपशिष्ट जल के कृषि में उपयोग करने के लिए एक समाधान  भारत के लिए अपशिष्ट जल का प्रबंधन विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में एक चुनौती बन गया है क्योंकि बुनियादी ढांचे के विकास ने जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और शहरीकरण के साथ तालमेल नहीं बैठा पाया। परिणाम स्वरूप शहर की आवश्यकता पूरी करने में मीठे जल के संसाधनों पर भारी दबाव आ गया है। साथ ही जो अपशिष्ट जल उत्पन्न हो रहा है (जो की लगभग 70-80% ताजे पानी की आपूर्ति अपशिष्ट के रूप में वापस आता है ) जिससे निपटना और इसका प्रबंधन मुश्किल काम है। इस परिदृश्य के  निहितार्थ घरेलू , औद्योगिक और कृषि क्षेत्र...