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चारे की पौष्टिकता बढाने हेतु महत्वपूर्ण घरेलु चारा उपचार विधियां पशुओं से अधिकतम दुग्ध उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता होती है। इन चारों को पशुपालक या तो स्वयं उगाता हैं या फिर कहीं और से खरीद कर लाता है। गायो को केवल सुखा चारा विशेषतौर से गेहू का सुखा चारा खिलाकर स्वस्थ नहीं रखा जा सकता है। सूखे चारे में पोष्टिक तत्वों का अभाव रहता है । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण के डॉ रामनिवास ढाका,विषय विशेषज्ञ (पशुपालन) ने बताया की ऐसा चारा खिलाने से पशुओ में उर्जा व अन्य पोषक तत्वों की कमी आने लगती है...

उत्तराखण्ड में पारंपरिक फसल विविधता एवं इसका संरक्षण  उत्तराखंड राज्य मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित है, तराई, भाभर और पहाड़ी, जिनमें से लगभग 86 प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है। राज्य की भौगोलिक स्थिति और विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र के कारण, राज्य के अधिकांश हिस्सों में निर्वाह-खेती होती है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में 60-70 प्रतिशत भोजन का उत्पादन यहां के छोटे किसानों द्वारा किया जाता है, जो पारंपरिक खेती का पालन करते हैं और स्थानीय बाजार में अधिशेष उपज बेचते हैं। यहां के किसान पारंपरिक तरीके से कई तरह की फसलों की खेती करते हैं, जिसमें मुख्य फसलें हैं जैसे मोटे अनाज (रागी, झुंगरा, कौणी, चीणा आदि), धान, गेहूं, जौ,...

बकरियों में होने वाले 9 प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के उपाय पालतुु पशुओं के रोगग्रस्त होने की पहचान के लिए उनका बारीकी से निरिक्षण करना चाहिए। बकरियों के हाव-भाव, चाल ढाल तथा व्यवहार मेे बदलाव जैसे लक्षण से रोगग्रस्त बकरी को पहचाना जा सकता है। बीीमार बकरी अकसर दूसरों से अलग हटकर खड़ी, बैठी या सोती पाई जाती है। इसके अलावा  खाना कम कर देना या छोड़ देना, जुगाली न करना। थूथन पर पसीना नही रहना और सूख जाना। शरीर के तापमान सामान्य (102.5 डिग्री फारेनहाइट या1 डिग्री सेन्टीग्रेट) से ज्यादा या कम होना। नाड़ी तथा सास के गति में बदलाव आना। पैखाना और पेशाब के रूप रंग में बदलाव आना। इनमें से कोई...

Cage layer fatigue : a common problem in cage reared poultry केज लेयर फटीग पिजरे में पाली जाने वाली पोल्ट्री जैसे मुर्गी, बतख एवं  टर्की में होने वाली ऐसी पोषण सम्बन्धी बीमारी है जिसमे उनके पैर की हड्डियां मुलायम या कमजोर हो जाती है । इस बीमारी  में पैर की हड्डियां धनुषाकार हो जाती है जिससे इन पंछियों को खड़े होने तथा चलने में दिक्कत होती है । अनेक बैज्ञानिको ने इस सिंड्रोम का कारण  हड्डीओं में डीमिनेरेलाइजेसन (मिनरल्स का निकल जाना) बताया है जिससे ये पंछियां अपने पैर पर खड़ी नहीं हो पाती है । अंडे देने वाली युवा मुर्गिओं में जो अधिकतम उत्पादन के समय बैटरी केज में रहती है आजकल...

कुक्कुट चारा (पोल्ट्री फीड) में टिड्डी प्लेग का उपयोग Large swarms of desert locust (Schistocerca gregaria) threatened agriculture crops in most of the parts of world including India, this loom happened worst ever before in past two and half decades. “Locust feeding to poultry birds” is an innovative technique evolved in neighboring countries of India offers a way to amass the crop-destroying pests instead of using insecticides that harm people and the environment. Huge swarms darkened the sky in recent days and it appears being overtaken by aliens.  It was biggest blow upon poor farmers and rural communities who are already hit hard economically by COVID-19 pandemic. Climate change has played a crucial...

Some important points for periodic care and safety of tractor and tractor driver ट्रैक्टर एक स्व-चालित मशीन है जिसका उपयोग कृषि मशीन के संचालन के लिए किया जाता है। ट्रैक्टर कई प्रकार के छोटे-छोटे उपकरणों से मिलकर बना है  जो कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि फार्म पर लगभग 90% काम ट्रैक्टर  से किया जाता है। अपने ट्रैक्टर को लंबे समय तक सबसे कम खर्चों में अच्छी तरह से काम करने के लिए और  ट्रैक्टर की दक्षता को नियमित बनाये रखने के लिऍ ट्रैक्टर का समय-समय पर देख-रेख एवं रख-रखाव अति आवश्यक होता है, ट्रैक्टर की समय-समय पर देख-रेख तथा रख-रखाव 10-12 घंटे के फील्ड वर्क के बाद ट्रैक्टर के लिए दैनिक...

Important Disease occurring in Goat and its control रोगग्रस्त बकरियों की पहचान के लिए उनका ध्यान से अवलोकन करना चाहिए। बीमार बकरी केे हाव-भाव, चाल तथा बर्ताव में बदलाव आता है वह दूसरों से अलग हटकर खड़ी, बैठी या सोती मिलती है । बकरी का खाना कम कर देना या छोड़ देना, जुगाली न करना। थूथन पर पसीना नही रहना और सूख जाना भी बीमारी के संकेत है।  इसके अलावा शरीर के तापमान सामान्य (102.5 डिग्री फारेनहाइट या1 डिग्री सेन्टीग्रेट) से ज्यादा या कम होना। नाड़ी तथा सास के गति में बदलाव आना। तथा पैखाना और पेशाब के रूप रंग में बदलाव आना। इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर उसे अलग...

Techniques for improving saline and alkaline soil for soil improvement and crop management भूमि लवणता एवं क्षारीयता विश्व की एक प्रमुख समस्या है । खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ.ए.ओ 2017) के अनुसार दुनिया भर में लगभग 800 मिलियन हैक्टर कृषि भूमि लवणीयता एवं क्षारीयता से प्रभावित है, जिसमें से करीब 7  मिलियन हैक्टर प्रभावित भूमि अकेले भारत में है। भारत में लवणीय भूमि का लगभग 40 प्रतिशत भाग प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश बिहार,   हरियाणा,पंजाब तथा राजस्थान राज्यों में फैला हुआ है। लवणीय भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए लगभग 27.3 बिलियन अमरीकी डॉलर सालाना खर्च किए जाते हैं। अभी तक भारत में लगभग 1.74 मिलियन हैक्टर ऊसर भूमि का ही...

मैस्टाइटिस पशुओं के उपचार के लिए मेसेनकाइमल कोशिकाओं की भूमिका  Stem cells are the undifferentiated and uncommitted cells that give rise to deferent cell types or lineage on dividing. These stem cells are used as regenerative medicine for the treatment of various diseases in human and animals. In the present study mesenchymals Stem cells (MSC) used for the treatment of mastitis animal and it found that diseased animal treated with MSC has been cured which suggest that stem cell therapy use as regenerative medicine providing a promising area for the treatment of various diseases in animals. Stem cells “the hope cells”: A stem cell is a specialized cell which has the unique characteristic to develop...

हाईब्रिड नेपियर घास से वर्षभर हरा चारा उत्पादन  नेपियर घास  का जन्म स्थान अफ्रीका का जिम्बाबे देश बताया जाता है | यह  बहुत ही तेज बढ़ने वाली पौष्टिक चारा घास है इसलिए इसे हाथी घास भी कहा जाता है | इसका  नेपियर नाम, कर्नल नेपियर (रोडेसियन कृषि विभाग, रोडेसिया) के नाम पर पड़ा | सबसे पहली नेपियर हाईब्रिड घास अफ्रीका में बनाई  गयी |  इसे चारे के  रूप में बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है|  भारत में यह घास 1912 में आई | भारत में प्रथम बाजरा-नेपियर हाईब्रिड  घास कोइम्बतुर, तमिलनाडू (1953) में और फिर नयी दिल्ली में 1962 में बनाई गयी| कोइम्बतुर के हाईब्रिड  का नाम कोम्बू नेपियर और नयी...