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ट्राइकोडर्मा: टिकाऊ कृषि के लिए पर्यावरण के अनुकूल कवक The novel technologies in all areas of agriculture have improved agricultural production, but some modern practices affect the environment. The recent challenge faced by advanced farming is to achieve higher yields in environment-friendly manner. Thus, there is an immediate need to find eco-friendly solutions such as wider application of biocontrol agents. Among various types of species being used as biocontrol agents, including fungi and bacteria, fungal genus Trichoderma produces different kinds of enzymes which play a major role in biocontrol activity like degradation of cell wall, tolerance to biotic or abiotic stresses, hyphal growth etc. Many research has proved that the bio agents...

Quality seed production technology in soybean (Glycine max) सोयाबीन एक मुख्य तिलहनी फसल है| किसी भी फसल का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने व अधिक आर्थिक लाभ लेने के लिए अच्छी गुणवता का बीज होना अतिआवश्यक है| अभी भी सभी किसानो को सोयाबीन के अच्छी गुणवता वाले बीज उपलब्ध नही हो पा रहे है और किसान अभी भी बीजो की कमी की समस्या से जूझ रहा है जिसका सीधा प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ रहा है| इस समस्या के निवारण हेतु किसानो को सोयाबीन बीज उत्पादन की विभिन्न तकनीको के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है जिससे वे स्वयं अच्छी गुणवता का बीज उत्पादित कर उसको आगे की बुवाई के लिए काम...

जल संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना - ड्रिप सिंचाई प्रणाली पर एक केस स्टडी Irrigation plays an important role in harvesting the desirable level of yield and supplementing the use efficiency of other inputs. Globally, irrigation water is becoming highly scarce due to over exploitation of water bodies for meeting the demand of increasing population. India, despite having the largest area under irrigation in the world, it suffers from severe shortage of water. The coverage of irrigation is about 47 percent of the gross cropped area.  The main reason for low coverage under irrigation is the low water use efficiency of existing conventional method of irrigations like flooding, which is widely practiced...

The main 4 species of Safed Musli are Chlorophytum borivilianum, Chlorophytum laxum, Chlorophytum arundinium and Chlorophytum tuberosum in which Chlorophytum borivilianum, Chlorophytum tuberosum are found in abundance in India. सफेद मुसली की खेती सफेद मूसली (क्लोरोफाइटम स्पीशीज) एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जिसकी विभिन्न प्रजातियां की जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक व यूनानी दवाएं बनाने में किया जाता है इसकी सुखी जड़ों में पानी की मात्रा 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट 42 प्रतिशत प्रोटीन 8-9 प्रतिशत रूट फाइबर ग्लुकासेाइल सेपोनिन 2-17 प्रतिशत के साथ-साथ सोडियम पोटेशियम कैल्शियम फास्फोरस व जिंक आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं सफेद मूसली का उपयोग मनुष्य की दुर्बलता व नपुसकता निवारण में किया जाता है भारत में इसकी खेती राजस्थान, हिमाचल...

ग्लेडियोलस फूल की खेती से कमाए मुनाफा  ग्लेडियोलस दुनिया के सुन्दर फूलो में से एक है, यह इरिडेसि कुल का पुष्पीय पौधा है | लैटिन भाषा के शब्द ग्लेडियस से ग्लेडियोलस शब्द लिया गया है, जिसका आशय तलवार से है | यह एक बहुवर्षिय पौधा है, जिसकी पत्तिया तलवार के समान होती है | ग्लेडियोलस मुख्य पारम्परिक रूप से कटे फूलो के लिए उगाया जाता है, इसके कटे फूल को स्पाइक बोलते है | ग्लेडियोलस में विभिन्न रंगो की किस्मे उपलब्ध होने के कारण यह काफी मशहूर फूल है | विश्व में यह फूल मुख्य रूप से अमेरिका, हॉलेंड, फ्रांस, इटली, ब्राज़ील, तथा भारत में मुख्ये रूप से उगाया जाता है |   भारत...

Moringa's Value Added Products to Increase Agricultural Income  वर्तमान फसल पद्धतियों एवं जलवायु की दशाओं को ध्यान में रखते हुए किसानों की आय मे वृद्धि कृषि वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके लिए परंपरागत फसलों एवं बहुमूल्य औषधीय पौधों की खेती की ओर काफी ध्यान दिया जा रहा है। इस प्रकार की फसलें अल्प लागत में अधिक लाभ देकर स्थायी विकास को प्रोत्साहित करती हैं तथा अन्य सह फसलों के उत्पादन में होने वाले जोखिम को भी कम करती हैं। मोरिंगा यानि सहजन (मोरिंगा ओलीफेरा) एकवंशीय, मोरिंगेसी कुल का पौधा है जिसके सभी भागों को पोषण सम्पन्न माना जाता है। इसकी पत्तियों एवं फलियों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, खनिज...

Application of Aeroponics in Seed Potato Production आलू एक वनस्पतिक रूप से पैदा होने वाली फसल हैं जिसके फलस्वरूप आलू के कंद विभिन्न वेक्टर प्रेषीत वायरल संक्रमणों से ग्रस्त हो जाते है, जो साल दर साल इसकी उत्पादकता को गंभीरता से प्रभावित करते हैं।  इसलिए लाभदायक उत्पादन के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करना आवश्यक है। लेकिन, मुख्य रूप से विकासशील देशों में आलू के उत्पादन में गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता एक प्रमुख बाधा है। आलू के बीज उत्पादन के लिए पिछले पांच दशकों से भारत में " सीड प्लॉट तकनीक" पर आधारित पारंपरिक बीज उत्पादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है। इसमें सभी प्रमुख विषाणुओं के लिए...

तितली मटर की खेेेेती, चराहगाह विकास हेतु एक उत्तम विकल्प तितली मटर (क्लाइटोरिया टेर्नेटा एल.) एक बहुउद्देशीय दलहनी कुल का पौधा है इसका चारा पशु पोषण के हिसाब से अन्य दलहनी कुल के पौधों की अपेक्षा बहुत अधिक पौष्टिक, स्वादिष्ट एवं पाचनशील होता है। जिस कारण सभी प्रकार के पशुओं इसके चारे को बड़े चाव से खाते है। तितली मटर का तना बहुत पतला एवं मुलायम होता है, एवं इसमें पत्तियाँ चौड़ी एवं अधिक संख्या में होती है जिस कारण इसका चारा “हे” एवं “साइलेज” बनाने के लिए उपयुक्त माना गया है। अन्य दलहनी फसलों की तुलना में इसमें कटाई या चराई के बाद कम अवधि के भीतर ही पुनर्वृद्धि शुरू हों जाती...

Role of A1 and A2 cow Milk in Farmer’s Income गाय के दूध को प्रकृति का सबसे अच्छा भोजन माना गया है, जो उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है। दूध कैल्शियम और प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है। दूध हमारे लिए मूल और मुख्य भोजन है। गाय के दूध को माँ के दूध के बाद सबसे अच्छा स्रोत कहा जाता है। गाय के दूध के लाभों में आसान पाचन, विकासको बढ़ावा देना, कैल्शियम और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करना शामिल है। गाय के दूध में 87.7% पानी, 4.9% लैक्टोज (कार्बोहाइड्रेट), 3.4% वसा, 3.3% प्रोटीन और 0.7% खनिज होते है । दूध में कुल...

गुणकारी फसल, राम तिल की खेती रामतिल इथोयोपिया, भारत और नेपाल में व्यापक रूप से उगाईं जाती है और मोंटाने, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और वेस्ट इंडीज के कुछ हिस्सों में छोटे पैमाने पर लगाईं जाती है। रामतिल मुख्य रूप से आदिवासी किसानों द्वारा अपनी पारंपरिक फसल के रूप में उगाईं जाती है इसलिए अब तक यह उपेक्षित है। यद्यपि एक गौण तिलहन फसल मानी जाती है लेकिन यह इसकी तेल सामग्री, गुणवत्ता और क्षमता के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है। रामतिल बीज प्रोटीन और फैटी एसिड में अत्यधिक समृद्ध है। यह लिनोलिक अम्ल का एक अच्छा स्रोत है और इसमें नियासिन, ओलिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, स्टीयरिक एसिड, राइबोफ्लेविन और एस्कॉर्बिक...