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चारा फसलों पर जैव उर्वरक का उपयोग पिछले ५० सालो में कृषि क्षेत्र में फसलों के लिए रासायनिक उर्वरको का अधिक उपयोग किया गया है जिसके प्रभाव से मिटटी की उपजाऊ क्षमता में कमी, पौधों में पोषक तत्वों की ज्यादा मात्रा, पौधों में रोग तथा किटो का आना , फलिय पौधों में नोडूलेसन की कमी, मिटटी के जीवाणुओं में कमी और प्रदुषण हुआ है| जिसके कारण किसानो को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है | फसल की उत्पादकता कम हो गई है जिससे कि‍सानों की आमदनी कम हो गयी| ऐसी स्थिति में किसानो ने रासायनिक उर्वरक के बदले जैव उर्वरक का प्रयोग करना शुरू किया जो उनकी आशाओं पर खड़े...

राजस्थान में ग्रीष्मकालीन बाजरे की खेती खरीफ के अलावा जायद में भी बाजरा की खेती सफलतापूर्वक की जाने लगी है, क्योंकि जायद में बाजरा के लिए अनुकूल वातावरण जहॉ इसके दाने के रूप में उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है वहीं चारे के लिए भी इसकी खेती की जा रही है। बाजरे के दानो की पौष्टिक गुणवत्ता ज्वार से अधिक होती है इसमें लगभग 67-68 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 11-12 प्रतिशत प्रोटीन , 2.7 प्रतिशत खनिज लवण , 5 प्रतिशत वसा आदि पाए जाते है | भूमि की चुनाव :- बलुई दोमट या दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 6.5-8.5 हो बाजरा के लिए अच्छी रहती है। व जीवांश वाली भूमि में बाजरा की खेती करने से...

सुथनी की खेती के लिए उन्नत तकनीक  सुथनी एक कन्दीय फसल है जिसे याम समूह में रखा गया है और यह डायसकोरेसी कुल के अंंर्तगत आती है। इसके पौधों पर छोटे छोटे काँटे पाये जाते हैं। इसे बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे: - सुथनी, लेसर याम, पिंडालु या छोटा रतालु। इसमे स्र्टाच के साथ साथ बहुत सारे सूक्ष्म तत्व भी पाये जाते है जो मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होते है। बिहार प्रदेश में इस फसल की मांग छठ पर्व के अवसर पर बढ़ जाती है जिसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस फसल की खेती गर्म एवं आर्द्र जलवायु में की जाती है,...

जलीय कृषि‍ के लि‍ए मत्स्य आहार का चयन एवं भंडारण  जलकृषि में जलीय संवर्धन के विभिन्न तरीकों से मत्स्य उत्पादन की बढ़ती हुई क्षमता को देखते हुए मत्स्य किसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले संतुलित मतस्‍य आहार की काफी आवश्यकता है। जलकृषि‍ से विश्व मत्स्य उत्पादन जो ९० के दशक में लगभग १५.२ मिलियन टन था आज बढ़कर लगभग  ६३.६ मिलियन टन हो गया है (एफ.ए.ओ. ,२०१२)। विश्व मत्स्य उत्पादन में आये इस वृद्धि का मुख्य कारण जलकृषि में उत्‍तम मत्स्य आहार का इस्तेमाल है । मछलियों की उत्तम वृद्धि एवं आर्थिक रूप से पालन को सफल बनाने हेतु आहार खिलाने के तौर- तरीके एवं इसकी आवृति बहुत ही महत्वपूर्ण है । मछलियों...

Crop diversification: a new dimension to increase farmers' income पिछले पांच दशकों में कृषि उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना कृषि विकास के लिए मुख्य विषय था। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहाँ कृषि मुख्य व्यवसाय है। भारत में लगभग 93 प्रतिशत किसानों की जोत का आकर 4 हेक्टर से भी कम है एवं इसकी 55  प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है। भारत सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का निर्धारित लक्ष्य किसान कल्याण को बढ़ावा देने, कृषि संकट को कम करने और किसानों की आय और गैर-कृषि व्यवसाय के श्रमिको के बीच समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कृषि विकास...

Precaution before use of pesticides विभिन्न प्रकार की फसलों, सब्जियों, एवं फलों के पेड़ों पर कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं तथा उन कीटो को नष्ट करना आवश्यक होता है अन्यथा वे संपूर्ण फसल को खराब कर सकते हैं। इन कीटों को नष्ट करने हेतु कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल आजकल बहुतायत से किया जाता है यह कीटनाशक दवाइयां विषैले पदार्थों की श्रेणी में आती है कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां रखना आवश्यक है जिससे कीट भी नष्ट हो जाये और उसका दुष्प्रभाव मनुष्य अथवा जानवरों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न पड़े। इन कीटनाशक दवाइयों का शरीर में प्रवेश कर जाने पर लकवा या अन्य भवकर रोग...

कृषि में गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन का महत्व Seeds are the food for people, livestock, and birds. They are the abundance, they are the elegance, they are the emblem of the start. In broad sense seed is a medium used to grow or regenerate seed. Seed is a mature fertilized ovule filled with seed coat called seed or it is a propagating substance. It also refers to the propagation of materials from good seedlings, tuber, bulbs, rhizome, roots, cuttings, locations, all types of grafts and the propagation of vegetative materials used for growth. Importance of seed Seeds are the first determinant of future plant development. The seed is the key to success in cultivation. Seeds are crucial...

अगेती सीताफल (कद्दू) उगानें की उन्‍नत तकनीक Pumpkin (Shitaphal) is a very useful crop in the cucurbit class vegetables. Its cultivation in India has been going on since very old times. Its fruits are used for vegetable in both ripe and raw forms, vegetable and some sweets are also made from its green fruits and ripe fruits. Ripe pumpkin is yellow in color and is rich source of carotene. Its soft leaves and stem facade and flowers are also used as vegetables. Ripe fruits can be stored for several months at normal temperatures. It is also called tonic of the brain. Pumpkin controls blood pressure and also increases digestive power. It is rich...

चाइना एस्टर की आधुनिक खेती चाइना एस्टर एक बहूत ही महत्वपूर्ण वार्षिक फूल है । वार्षिक फूलो में गुलदावदी तथा गेंदा के बाद तीसरे स्थान पर आता है | हमारे देश के सीमांत और छोटे किसान बड़े पैमाने पर पारंपरिक फसल के रूप में इसकी खेती करते हैं। चाइना एस्टर नारियल के बागानों में मिश्रित फसल के रूप में भी उपयुक्त होता  है | भारत में चाइना एस्टर की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में की जाती है | चाइना एस्टर फूलों का उपयोग विभिन्न उद्देश्य जैसे कट फ्लावर, ढीले फूल, धार्मिक उद्देश्य और आंतरिक सजावट के लिए किया जाता है | चाइना एस्टर अन्य फूलो जैसे चमेली...

Cloud seeding: An instant solution to combat drought बादल पानी या बर्फ के क्रिस्टल की छोटी बूंदों के विन्यास हैं। वायुमंडलीय जल वाष्प के ठंडा होने पर या संघनन द्वारा बादल बनते हैं। वर्षा की कमी के कारण, दुनिया के कई हिस्सों में अक्सर पानी की आपूर्ति की कमी और जल संसाधनों पर तनाव की समस्या का सामना करना पड़ता है। नदियों में बढ़ते प्रदूषण से पानी की कमी हो जाती है और पीने योग्य पानी की लागत बढ़ जाती है। क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग वर्षा वृद्धि और जल संसाधन बहाली के लिए सूखे की समस्या को कम करने में मदद करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा...