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Late Blight Disease of Potato भारत में रबी में उगाई जाने वाली आलू एक महत्त्वपूर्ण फसल है| उत्तरप्रदेश के जनपद कानपुर क्षेत्र कन्नौज, फर्रुखाबाद, आगरा, इटावा, फिरोजाबाद, हाथरस, मथुरा, बदायूं, मेरठ, हापुड़, अलीगढ, आदि जनपदों आलू की खेती व्यापक तौर पर  की जाती है| आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है, जो भारत के  कुल उत्पादन का  23.29 % है| आलू का लगभग सभी परिवारों में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है | आलू कम समय में पैदा होने वाली फसल है | इसमें स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन विटामिन-सी व खनिज लवण भरपूर मात्रा में होने के कारण इसे कुपोषण की समस्या के समाधान का एक अच्छा साधन माना जाता...

Karnal Bunt Disease of Wheat गेहूँ का यह रोग सर्वप्रथम 1931 में करनाल (हरियाणा) से रिपोर्ट किया गया था तथा वर्तमान में विश्व के अन्य देशों में भी पाया जाता है | भारत में यह रोग अधिक तापमान तथा उष्ण जलवायु वाले राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात तथा मध्यप्रदेश में नहीं पाया जाता। भारत के अपेक्षाकृत ठंडे प्रदेशों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के मैदानी इलाके पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में गेंहू की फसल मे करनाल बंट रोग का प्रकोप अधि‍क होता है | करनाल बंट रोग से हर वर्ष गेहूं की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है । वैज्ञानिकों ने गेहूं में करनाल बंट रोग...

राजस्थान मे सतत आय व रोजगार के लिये एकिक्रत कृषि प्रणाली Present context of changing climate, crop production is the most vulnerable enterprise in agriculture to natural disasters. Integration of various agricultural enterprises viz.. crop production, animal husbandry Fishery, forestry etc. have great potentials in the agricultural economy. These enterprises not only supplement the income of the farmers but also help in increasing the family labor employment. A major section of farming community in the country is in the category of small and marginal farmers with limited resources. These resource poor farmers are most affected by the changing climatic conditions like delayed, low and erratic rainfall. India is a hot spot of variability in...

खेजड़ी या सांगरी की खेती के साथ पशुपालन कर आय बढ़ाएं  राजस्थान का सतह क्षेत्र 342290 वर्ग किलोमीटर है जबकि थार 196150 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 60% से अधिक है। मानव आबादी 17.5 मिलियन है जिसमें से 77% ग्रामीण और 23% शहरी हैं। इस क्षेत्र में उत्पादन और जीवन समर्थन प्रणाली जैव-संबंधी और पर्यावरणीय सीमाओं से बाधित है । जैसे कि कम वार्षिक वर्षा (100-400 मिमी)  मानसून आने से पहले, बहुत अधिक तापमान (45 से 47 डिग्री तापमान) और औसतन बहुत तेज हवा और आँधियाँ जो कि 8 से 10 किलोमीटर की रफ़्तार से चलती है जिससे की स्वेद-वाष्पोतसर्जन (वार्षिक 1500 से 2000...

Rabbit farming methods and benefits खरगोश पालन में ग्रामीण गरीबों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार और कम लागत वाले पशु प्रोटीन के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की व्यापक क्षमता है। देश की कुल खरगोश की आबादी लगभग 406000 है। 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 27 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में खरगोशों की आबादी है। खरगोश अत्यधिक विपुल है। एक मादा खरगोश, अपनी संतानों के माध्यम से प्रति वर्ष 80 किलोग्राम तक मांस का उत्पादन कर सकती है। भारत में मांस का उत्पादन 5000 और 19000 टन / वर्ष के बीच होने की सूचना है। अंगोरा ऊन उत्पादन प्रति वर्ष 25 से 30 टन है, जो...

चारा फसल के रूप मे शहतूत की खेती पशु आहार के पूरक के रूप में हरी पत्तियों की भूमिका का महत्व निर्विवाद है। विकासशील देशों में, अनाज फसलों के भूसे और घास को पशुओं को खिलाया जाता है, लेकिन इनके कम पोषक मान के कारण पशुओं अपनी उत्पादक क्षमता का पूर्ण प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। इस कारण अधिकांश स्थानों पर पशुओं को चारे के साथ रातिब (दाना)भी खिलाया जाता है, परन्तु पशु आहार, रातिब से भी संतुलित नहीं हों पाता है। अत:इन परिस्तिथियों में शहतूत की पत्तियों को पशु आहार में मिलकर आहार की दक्षता में सुधार किया जा सकता है। बढ़ती मानव आबादी की भोजन आपूर्ति को पूरा करने के लिए...

Locust outbreaks and their control विश्व में मनुष्य से भी पहले कीटों का अस्तित्व रहा है। वे जमीन के नीचे से लेकर पहाड़ी की चोटी तक सर्वव्या‍पी हैं। कीट मनुष्य की जिंदगी से बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ मनुष्यों के लिए लाभदायक हैं और कुछ बहुत अधिक हानिकारक हैं। कृषि‍ के लि‍ए हानि‍कारक कीटों मे से एक रेगिस्तानी टिड्डी है जो विश्व में सबसे अधिक हानिकारक कीट है। टिड्डियां अनंतकाल से ही मनुष्य के लिए संकट बने हुए हैं। टिड्डियां छोटे सींगों वाले प्रवासी फुदके होते हैं जिन पर बहुत से रंगों के निशान होते हैं और ये बहुत अधिक भोजन खाने के आदी होते हैं। ये झुंड (वयस्क समूह)...

मछली के साथ खरगोश पालन ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियों के लिए एक अभिनव विचार The growth of trade industries in the 21st century is commendable. In this situation, "rabbit farming" and "rabbit cum fish farming" is a good and low cost business for the common man.  Rabbit cum fish farming gives you more profits in less cost. Integrated Fish Farming: Any animal husbandry can be integrated with fisheries so that more production can be achieved at less cost.  Generally, poultry, duck and pig farming are quite popular along with fisheries.  But the manure produced from rabbit-cum-fishery and other animal husbandry etc. can be directly used in fish farming, so that there is...

उच्च गुणवत्ता वाले आलू बीज उत्पादन के लिए तकनीक Potato is a crop of major economic importance and worldwide it is the third most important food crop after rice and wheat. Asia and Europe are the world’s major potato producing regions, accounting for more than 80%. Potato is grown almost in all states of India. Uttar Pradesh, West Bengal, Madhya Pradesh, Bihar, Gujrat and Punjab together account for about 87% of India’s production (fig 1). Fig 1 Per cent share of states in potato production Source: State Departments of Horticulture & Agriculture Importance of seed in potato production Manu Smriti says “Subeejam Shushereto Jaayaty Sapadayaty” means the good seed in a good field produces abundantly....

पश्चिमी राजस्थान में खेजड़ी की उत्पादन तकनीक खेजड़ी एक बहुपयोगी वृक्ष है, जो राजस्थान के थार मरुस्थल एवं अन्य स्थानों पर पाया जाता है। यह शमीवृक्ष के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। राजस्थान के अलावा खेजड़ी पंजाब, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र राज्यों के शुष्क तथा अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में भी पाई जाती है। खेजड़ी वृक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये तेज गर्मियों के दिनों में भी हरा-भरा रहता है। १९८३ में इसे राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित कर दिया था। खेजडी राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग दो-तिहाई हिस्से को आच्छादित करती है और यह सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का...