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औषधि के रूप में प्याज का प्राकृतिक और अद्भुत उपयोग प्याज एक महत्वपूर्ण फसल है जिसका उपयोग मसालों और सब्जियों के रूप में दुनिया भर में लगभग हर रसोई में किया जाता है। प्राचीन काल से ही मानव जाति में प्याज को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के उच्च श्रेणी में वर्णित किया गया है। प्याज की उत्कृष्ट विशेषता इसका  तीखापन है, जो कि एक वाष्पशील तेल के कारण है, जिसे एलिल-प्रोपाइल  डायसल्फ़ाइड के रूप में जाना जाता है। प्याज विभिन्न ऑर्गन-सल्फर यौगिकों में समृद्ध हैं, जैसे एस-मिथाइल सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड, ट्रांस-एस- (1-प्रोपेनिल) सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड, एस-प्रोपाइल सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड और डीप्रोपाइल डिसल्फ़ाइड, जो इसके विशिष्ट स्वाद, गंध, तीखेपन और औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं। कार्बनिक सल्फर...

Seed production technology of  Anjangrass grass (Cenchrusciliaris L.) अंजन घास, से. सिलिएरिस पोयेसी परिवार कि अत्यधिक पौष्टिक घास है, जिसे गर्म, शुष्क क्षेत्रों में चारागाह के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। सूखे की अवधि के दौरान, यह घास कटिबन्धीय क्षेत्रों में स्वादिष्ट चारेे के उत्पादन एवं अनियमित चराई के लिए मूल्यवान है। अंजन घास की कुछ प्रजातियों की ऊपज बारीश के समय में भी इसे एक अच्छे चारे के रूप में प्रस्तुत करती है । यह माना जा रहा है की अंजन की हरी घास या साइलेज  मवेशियों में दूध की मात्रा तो बढाती ही है साथ ही दूध की गुणवत्ता एवं चमक भी बढाती है । से. सिलिएरिस के लेक्टोगॉग होने के...

पुराने अप्रयुक्‍त कीटनाशकों का प्रबंधन Pesticides are developed to control pests including weeds and are being extensively used in India. Pesticide includes any substance, or mixture of substances of chemical or biological ingredients intended for repelling, destroying or controlling any pest, or regulating plant growth. According to statistical database of Directorate of Plant Protection, Quarantine & Storage, India, in 2017-18, 62247 “000’ hectare area under cultivation is under pesticide usage. It indicated that 71.54 % of area under cultivation in India is under pesticide usage.   Environment protection act 1986 and Hazardous wastes Management rules, 2016 recognizes date expired and off specification pesticides as hazardous wastes under schedule 1. At various stages from...

Major diseases of Sorghum and Millet and their management ज्वार भारत की एक महत्वपूर्ण खाद्य और चारा फसल है। जवार में अन्न-कंड, अरगट (गदाकरस), एन्थे्रकनोज (काला धब्बा रोग) इत्यादी अधिक हानिकारक है। इसलिए इन रोगों का नियंत्रण आवष्यक है। (1) अन्न कंड (ग्रेइन स्मट) रोगजनक: स्फासेलोथेका सोर्गी (लिंक) यह रोग सभी कंड रोगों में सबसे अधिक हानिकारक है, जिससे पूरे भारत में अनाज की उपज को अत्याधिक नुकसान होता है। यह रोग ज्यादातर बरसाती और सिंचित ज्वार मे पाया जाता है। रोग के लक्षण: यह रोग केवल दाने बनने के समय में आता है। रोग ग्रस्त बालियों में कुछ दाने सामान्य दाने से बडे होते है। जब रोग की तीव्रता बढ जाती है उस वक्त...

Subsurface Drainage Technology for Reclamation of Waterlogged Saline Vertisols पहले देश मे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने के कारण देश में फसल की उत्पादकता उसकी संभावित उपज से बहुत कम थी । उत्‍पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से देश के अलग अलग हिस्सों में नहरों का विस्तृत जाल बिछाकर सिंचाई का प्रबंध किया गया। हालाँकि यह पानी क्षेत्र मे प्रचलित फसल की जरूरत पूरी करने के लिए दिया गया था लेकिन ज्यादा पैमाने पे पानी की उपलब्धता को देखकर किसानों ने ज्यादा पानी लगने वाली फसलें जैसे गन्ना, केला इत्यादि को लगाना चालू किया। शुरू के कुछ वर्षों में किसानो को इससे बहुत लाभ  हुआ। सिंचाई की इस व्‍यवस्‍था के साथ...

Contribution of information technology in increasing agricultural income हमारे देश में कृषि का अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। आज भी गाँवों की खुशहाली कृषि पर निर्भर करती है। इसी वजह से सरकार भी कृषि में सुधार के लिए नई-नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है जिससे कृषि उत्पादन बढ़ाकर किसानों को और अधि‍क खुशहाल बनाया जा सके। इस दिशा में सरकार किसानों को उन्नत खेती की जानकारी देने , उपकरण व सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। टेलीफोन, कम्प्यूटर रेडियो, दूरदर्शन तथा इंटर्नेट आदि की मदद से किसानों तक आवश्यक जानकारी जल्दी पहुँचाने का प्रयत्न कर रही है। गाँवों को विकसित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के...

Smart Water Management: A boon for agriculture पानी की बढ़ती मांग दुनिया के सामने एक चुनौती है, खासकर सबसे शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जहां पानी की कमी और पानी का तनाव महत्वपूर्ण समस्याएं हैं। पानी की कमी की स्थिति एक जगह पर तब होती है जब प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी की उपलब्धता 1000 घन मीटर से कम हो जाती है। भारत केे 2025 तक जल-तनावग्रस्त देश बनने की आशंका है, जिसके परिणामस्वरूप हमारे पास प्रति दिन प्रति व्यक्ति 1700 घन मीटर से कम पानी होगा। भारत में, कृषि पानी का प्रमुख उपभोक्ता (80%) है और कृषि उत्पादन के लिए पानी का उपयोग करते समय पानी के अतिरिक्त नुकसान की मात्रा...

Use of plastic culture in agriculture जीवन के हर क्षेत्र में प्लास्टिक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हमारी कृषि भी प्लास्टिक से अछूती नहीं रह पाई है। वर्तमान मे कृषि मे अच्छी पैदावार लेने के लिए प्लास्टिक सामग्रियो का उपयोग तेजी से बड रहा है और दुनिया भर में खाद्य उत्पादन के लिए उपयोग किया जा रहा है। कृषि मे प्लास्टिक सामग्रियों का परिचय 1940 के दशक में प्रशिक्षक ई.एम.एम. एम्र्ट द्वारा विकसित किया गया था जो एक बागवानी के वैज्ञानिक है जिनको प्लास्टिक ग्रीनहाउस के पिता माना जाता है। एम्र्ट ने कृषि मे प्लास्टिक कल्चर द्वारा होने वाले लाभ के बारे में बताया। कृषि मे पहली बार प्लास्टिक का...

पोषण उद्यान में कोल फसलों का उत्पादन   फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, ब्रसेल स्प्राउट्स, केल्स और गांठगोभी इत्त्यादि ठंडी फसलें हैं। ये फसलें ठंडी जलवायु को पसंद करती हैं और आकारिकी, उत्पादन तकनीक, बीमारियों और कीट संवेदनशीलता के मामले में भी समान हैं। इन फसलों का आर्थिक हिस्सा फूलगोभी (अत्यधिक सुपाच्य पूर्व-पुष्पमय उपमा) , पत्ता गोभी में सिर (घेरने वाले पत्तों का मोटा होना), ब्रोकोली में सिर (अनपेक्षित फूल की कली और मांसल पुष्प डंठल), गांठगोभी में घुंडी (गाढ़ा तना) ), ब्रसेल्स में मिनी हेड या स्प्राउट्स (सूजन वाली हेड की कलियाँ), केल (मांसल पत्तियां) में होता है। इन फसलों में वांछनीय ग्लूकोसाइनोलेट्स जैसे कि विटामिन, खनिज, फाइबर और बायोएक्टिव यौगिकों की उपस्थिति के...

Maintenance of Potted Plants for Interiorscaping शहरों मे रहने वाले लोग 60 प्रतिशत समय भवनों के अंदर बिताते  हैं, जिसके फलस्वरूप आंतरिक वायु व ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है। रोज़मर्रा मे उपयोग होने वाली गृह उपयोगी वस्तुए जैसे फर्नीचर, मोबाइल, टेलीविज़न, कंप्यूटर,  सौन्दर्य प्रसाधन इत्यादि वातावरण मे अत्यंत वाष्पशील पदार्थ छोड़ते रहते है जो कि वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं । इस प्रदूषण के कारण बहुत से रोग जैसे, दमा, हृदय रोग, रक्तचाप, मानसिक रोग एवं कैंसर जैसे भयानक रोगों को बढ़ावा मिलता है। अत: आंतरिक वायु प्रदूषण एक चुनौती तथा पर्यावरण सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। शहरों में वानस्पतिक आवरण कि कमी होती जा रही है इसलिए...