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Value added products of Mango विश्व के कुल आम उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 44.5 प्रतिशत है। आम उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है तथा कुल फल उत्पादन का दुसरा स्थान है। आम के फल अपनी वृध्दि एवं विकास की हर अवस्था में उपयोगी है। आम स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर होता है। आम को कच्चा या पका दोनों तरह से उपयोग करते हैं। जहाँ कच्चे आम में विटामिन 'सी' प्रचुर मात्रा में होता है वही पके आम में (कैरोटिनॉयडस) का बहुत अच्छा सा्रोत है। आम कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा आदि खनिज लवणों का अच्छा सा्रेत है। कच्चे और पके आम में प्रोटीन, वसा, काबोहाइड्रेट, नमी, खनिज लवण, कैल्शियम, लोहा,...

अजौला: दुधारु पशुओ के लिए एक पौष्टिक आहार  भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि‍ व्यवसाय के सहायक उद्यम के रूप में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रायः मानसून के अलावा पशुओं को फसल अवशेषों, सूखे चारें आदि खिलाया जाते है। पौष्टिक चारें के अभाव में पशुओं के विकास, उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता में कमी आती है जिससे पशुपालक की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए पशुपालको द्वारा अजौला उगाकर पशुओं को पौष्टिक चारा खिलाया जा सकता है। क्या है अजौला : अजौला एक जलीय फर्न है जो छोटे-छोटे समूह के रूप में सघन हरित गुच्छे की तरह जल की सतह पर मुक्त रूप से तैरती रहती हैं। भारत...

प्लास्टिकल्चर: पारिस्थितिकी तंत्र में माइक्रो प्लास्टिक का एक स्रोत Plasticulture is the use of plastics in agricultural practices; it includes all kinds of plant or soil coverings ranging from mulch films, row coverings, poly-tunnels to greenhouses, lining of farm ponds and micro-irrigation (drips and sprinklers). Plastic mulch allows farmers to grow cash and grains crops in water scarcity areas. The sheets, usually composed of polyethylene, help conserve water, suppress weeds, boost soil temperature, and effectively increasing crop yields by 20 to 60 percent. Plasticulture helps in reducing use of water (~30-40%), agro-chemicals and fertilizers. It can well be incorporated in the mainframe system within the field of sustainable agriculture practices domestically.Its effective implementation is...

10 Major Diseases of Tomato and Their Integrated Disease Management 1. आर्द्रपतन इस रोग में रोगजनक का आक्रमण बीज अंकुरण के पूर्व अथवा बीज अंकुरण के बाद होता है। पहली अवस्था में बीज का भ्रूण भूमि के बाहर निकलने से पूर्व ही रोगग्रसित होकर मर जाता है । मूलांकुर एवं प्राकूर बीज से बाहर निकल आते फिर भी वे सड़ जाते है दुसरी अवस्था में बीज अंकुर के बाद कम उम्र के छोटे  के तनों पर भूमि से सटे तनों पर अथवा भूमि के अंदर वाले भाग पर संक्रमण हो जाता है जिससे जलसिक्त धब्बे बन जाते है और पौधा संक्रमित स्थान से टुट कर गिर जाता है पौधों में गलने के...

Guava: Enriched Source of Antioxidants अमरुद सबसे लोकप्रिय उष्णकटिबंधीय फल हैं, जिन्हें दुनिया भर में उगाया जाता है। अमरुद को ‘’उष्णकटिबंधीय का सेब’’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसका उत्कृष्ट पाचन और पोषक तत्व, उच्च स्वाद और मध्यम मूल्य पर प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है, अधिक सहिष्णु होने के कारण इसकी सफल खेती अनेक प्रकार की मिट्टी तथा जलवायु में की जा सकती है। जाड़े की ऋतु मे यह इतना अधिक तथा सस्ता प्राप्त होता है कि लोग इसे निर्धन जनता का एक प्रमुख फल कहते हैं। अमरूद मीठा और स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। फल विटामिन-सी, पेक्टिन और कैल्शियम, फास्फोरस और लोहे जैसे खनिजों...

Apiculture : Better way for increasing income in rural areas शहद और इसके उत्पादों की बढती मांग के कारण मधुमक्खी पालन एक लाभदायक एवं आकर्षक व्यवसाय बनता जा रहा है। इसमे कम समय, कम लागत व कम पूंजी निवेश की जरूरत होती है। मधुमक्खी पालन फसलों के परागण में सहायक होकर फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि करता है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले कम से कम एक वर्ष का योजना प्रारूप तैयार करना चाहिए।   मधुमक्खी पालन व्यवसाय में आवश्यक सामग्री : लकड़ी का बॉक्स, बॉक्स फ्रेम, जालीदार कवर, दस्तानें, चाकू, शहद रिमूविंग मशीन और ड्रम इत्यादि। मधुमक्खियों का आवास : मधुमक्खियों का घर यानि मधुमक्षिकागृह एक लकड़ी का बना बॉक्स/संदूक होता...

Development of Hilly Agriculture With Protected Agriculture Technology पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के तौर तरीके मेैदानी भागों से थोड़ा अलग है। जिसका मुख्य कारण वातावरण के साथ-साथ अन्य कारकों का अलग होना है जैसे की समतल भूमि का आभाव, खड़ी चढ़ाईया, सिचाई के पानी की कमी इत्यादि जो काश्तकारी को और विषम बना देती हैं। ऐसे हालातों में अनाजों या अन्य फसलो की अपेक्षा सब्जियों का उत्पादन अधिक लाभप्रद है क्योकि इनसे हमें कम भूमि से अधिक शुध्द लाभ मिलता है। इसी को ध्यान में रखतें हुए संरक्षित खेती का विकास किया गया हैं जिससे तापमान, आद्रता, सूर्य का प्रकाश एवं हवा के आगमन में फसलों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करके फसलो की उत्पादकता...

उर्वरक दक्षता और कृषि लाभप्रदता बढ़ाने के लिए साइट विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन (SSNM) Agriculture is the major land use across the globe. The sustainability of our world depends fundamentally on nutrients. Most of the agricultural production system worldwide facing the insufficient access to nutrients still limits food production and contributes to land degradation.  Adoption of precision technologies for more efficient use of resources and nutrients becomes more relevant in the current production scenario. Site-specific nutrient management (SSNM) involving use of inorganic or organic sources along with spatial and temporal soil variability, crop requirements of nutrients and cropping systems, soil capacity to supply nutrients, utilization efficiency of the nutrient and productive capacity...

जैविक खेती में नाशीजीव प्रबंधन के सुरक्षित उपाय  कृषि के व्यापारिकरण का हमारे वातावरण पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है । कृषि मे नाशीजीवों के प्रबन्धन हेतु उपयोग किए जाने वाले रसायन हमारे वातावरण, मिट्टी, पानी, हवा, जानवरों, यहाँ तक की हमारे शरीर में भी एकत्रित होते जा रहे है । रासायनिक उर्वरकों का कृषि उत्पादकता पर क्षणिक प्रभाव पड़ता है जबकि हमारे पर्यावरण पर अधिक समय तक नकारात्मक प्रभाव बना रहता है जहाँ वे रीसाव एवं बहाव के द्वारा भूमिगत जल तथा अन्य जल संरचनों को प्रदूषित करते हैं । ये सभी प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के साथ ही साथ पर्यावरणीय सन्तुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है । उपरोक्त समस्याओं की रोकथाम...

चावल-गेहूं की फसल प्रणाली के परिप्रेक्ष्य में मिट्टी की उर्वरता पर फसल अवशेषों का प्रभाव Crop residues (CRs) are considered a vital natural resource for conserving and sustaining soil productivity. Addition of CRs to soil is a useful tool in maintaining and increasing amounts of soil organic matter. Therefore, soils have significant capacity for C storage and to mitigate atmospheric CO2. As rice-wheat cropping system (RWCS) is one of the world’s largest agricultural production systems, covering an area of ~26 M ha spread over the Indo Gangetic Plains (IGPs) in South Asia and China. Rice and wheat are harnessing enormous soil fertility therefore, to maintain the productivity of this system, replenishment of...