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Integrated nutrient management for sustainable crop production वैश्विक खाद्य आपूर्ति की दीर्घावधि सुरक्षा हेतु उत्पादन में वृध्दि एवं वातावरणीय स्थायित्व के मध्य एक सन्तुलन की आवश्यकता है। पोषक तत्वों का अभाव एवं अतिरेख दोनों ही इस सन्तुलन को बिगाड सकते हैं। टिकाऊ फसल उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य सन्तुलन हेतु , समन्वित पोषक प्रबंधन कृषि तंत्र में पोषक आपूर्ति का अभाव या उनकी अधिकता तथा कार्बनिक एवं अकार्बनिक दोनों पोषक स्त्रोतों के प्रबंधन की चुनौती का परीक्षण करता है। सिद्धांतीय एवं अनुप्रयोगी ज्ञान के संयोजन के माध्यम से समन्वित पोषक प्रबंधन को किसी भी प्रकार के फसल उत्पादन तंत्र के लिए सफलता पूर्वक अंगीकृत किया जा सकता है। कृषि एक मृदा आधारित उद्योग...

Pesticides and Insecticides scenario in India भारत में सत्तर के दशक में हरित क्रांती के पश्चात सघन खेती का दौर शुरू हुआ जिसने फसलो की संकर किस्मो की बुआई की जाने लगी। इन संकर किस्मो मेंं कीट तथा रोगो के प्रति सहिष्णुता कम होने से इन पर कीट तथा रोगो का असर ज्यादा होता है अतः इन पर कीटनाशी तथा रोगनाशी दवाओ का ज्यादा बार छिडकाव करना पडता है तथा ज्यादा बार इस्तेमाल करना पडता है । इसके अलावा कीटो  में कीट नाशियो  के प्रति प्रतिबंधक शक्ती निर्माण होती है। इसलि‍ए फसलो पर हर बार नयी कीटनाशी तथा रोगनाशी दवाओ का ज्यादा बार छिडकाव करना पडता है तथा ज्यादा बार इस्तेमाल करना पडता...

स्वास्थ्य वर्धक, पोषण से भरपूर सब्‍जी - ब्रोकली Brassica vegetables (Broccoli, Brussels sprouts, cabbage, cauliflower, collards, kale, mustard, rape, etc.)  have received a great deal of attention in the past 5–10 years as consumers have developed an increases awareness of the nutritional content of foodstuffs in their diet.  Brassicaceae family (Cruciferae) includes vegetables that are commonly grown and include broccoli, Brussels sprouts, cabbage, collards, kale, mustard, rape, etc. Broccoli (Brassica oleracea var. italica) is an important cole crop. The majority of Brassica vegetables are purchased and consumed as fresh vegetables, mostly following cooking. The time and methods of cooking have a considerable influence on nutrient availability and content. Since ancient period the mankind...

पि‍पली: तेल खजूर के बडे बागानों के लि‍ए आर्दश अंत:फसल   Java long pepper (Piper chaba Hunter syn. Piper retrofractum Vahl.) is one among Panchakola group of spices. Its fruits and roots are used in preparation of ayurvedic medicines for treating indigestion, abdominal colic, poisoning, haemorrhoids, anorexia etc. It is native of South and South East Asia and commonly seen in Assam, Tripura and West Bengal in India. Because of medicinal and aromatic properties, its commercial production is picking up as an inter crop in coconut, areca nut and oil palm gardens in South India. It is perennial with climbing growth habit and performing satisfactorily even under dense shade (75%) of oil palm....

Care of newborn dairy calf  नवजात  बछड़ो  की देखभाल या नवजात  बछड़ो का वैज्ञानिक प्रबंधन करके डेरी यवसाय में  फायदा हो कमाया जा सकता हैं । गाय ब्याने के बाद उसके बच्चे को दो तरीके से पाला जा सकता है एक पशु के साथ रखकर और दुसरा बच्चे को दूसरे बच्‍चों के साथ रखकर (वीनिंग). वीनिंग ज्यादा फययेदेमन्द होता है उसको आवश्यकता अनुसार खानपान दिया सकता है और बच्चा मरने पर भी माँ दूध देती रहती है। बच्चा पैदा होने के बाद टाट भूसा रगड़कर अच्छे से साफ़ करना चाहिए। और उसके पिछले पैरो  को पकड़कर उल्टा लटका दे ताकि नाक से स्लेश्मा बाहर निकल जाए अौर वो ठीक से  सांस लेने...

प्रेस विज्ञप्ति क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड ने उत्पादकता सुधारने के लिए  सात उत्पाद लॉन्च किए किसानों के लिए उपहारों की टोकरी में कीटनाशी, फफूंदीनाशक, खरपतवारनाशी शामिल हैं इन उत्पादों का उद्देश्य फसल की सुरक्षा एवं उत्पादकता में सुधार करना है, जो किसानों के लिए वरदान साबित होगा ____________________________________________________________________ लखनऊ, जुलाई 4, 2018:  फसल सुरक्षा क्षेत्र की सुस्थापित कंपनी, क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड ("क्रिस्टल"), जो कीटनाशी, फफूंदीनाशक, खरपतवारनाशक, पौधे की वृद्धि के नियामकों एवं जैव पोषक तत्वों की अपनी श्रृंखला के लिए मशहूर है, ने आज किसानों के लिए उपहारों की एक टोकरी को बाजार में उतारने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों के लिए उत्पादकता में सुधार करना है। किसानों की चुनौतियों को ध्यान...

अश्वगंधा उगायें और अधि‍क लाभ पाऐं भारत में अश्वगंधा अथवा असगंध जिसका वानस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा है, यह एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल के साथ-साथ नकदी फसल भी है। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। सभी ग्रथों में अश्वगंधा के महत्ता के वर्णन को दर्शाया गया है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोंड़े की मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की माँग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बढ़ती जा रही है। अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप...

Modern cultivation techniques of iron rich Spinach   पत्तियों वाली सब्जियों में पालक भी एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसकी खेती सम्पूर्ण भारतवर्ष में की जाती है। पालक एक आयरन से भरपूर, खनिज पदार्थ युक्त एवं विटामिन्स युक्त फसल है । पालक (Palak) हरी सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। 100-125 ग्राम पालक रोज दैनिक जीवन के लिये संतुलित आहार के रूप में खाने की सिफारिश की जाती है। शरीर के हीमोग्लोबिन यानी खून के प्रति चौकन्ने लोगों के लिए पालक से उम्दा कोई दूसरी सब्जी नहीं होती। यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। पालक की 1 बार बोआई करने के बाद उस की...

अजोला की खेती और इसका देशी दुधाारु जानवरो के चारे के रुप मे ऊपयोग  अब तक अजोला का इस्तेमाल मुख्यत: धान में हरी खाद के रूप में किया जाता था, लेकिन अब इसमें छोटे किसानों हेतु पशुपालन के लिए चारे हेतु बढती मांग को पुरा करने की जबरदस्त क्षमता हैं।  अजोला खेती की प्रक्रिया किसी छायादार स्थान पर पशुओं की संख्या के अनुसार किसान 1.5 मीटर चौडी, लम्बाई आवश्यकतानुसार (3 मीटर) और 0.30 मीटर गहरी क्यारी बनाये। क्यारी को खोदकर या ईंट लगाकर भी बनाया जा सकता हैं। क्यारी में आवश्यकतानुसार सिलपुटिन शीट को बीछाकर ऊपर के किनारों पर मिट्टी का लेप कर व्यवस्थित कर दें। सिलपुटिन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण कर...

Improved cultivation of Soybean: Boon for Farmers सोयाबीन खरीफ मौसम की एक प्रमुख फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। क्यूकि तेल के रूप से इसका आर्थिक उद्देश्य सबसे ज्यादा है | सोयाबीन मानव पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा होते है। सोयाबीन में 44 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत वसा, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोयाबीन की पौष्टिक गुडवत्ता   प्रतिशत प्रोटीन 44 वसा 22 कार्बोहाइडेंट 21 तेल 16-18 भस्म 5 छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से सोयाबीन राजनांदगांव, दुर्ग, महासमुंद, बेमेतरा, धमतरी, और कबीरधाम में उगाये जाते है. इस क्षेत्र में फसल पद्धति के रूप में या मुख्य फसल...