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Maintenance of Soil Health through Agronomical activities for healthy crops शस्य क्रियाओं द्वारा मृदा स्वास्थ्य का रख-रखाव ही निश्चित कृषि विकास की ओर सही कदम है। स्वस्थ मृदा ही स्वस्थ पौधों को जन्म देने की क्षमता रखती है। जिस प्रकार स्वस्थ मॉ स्वस्थ बच्चों को जन्म देती है ठीक उसी प्रकार स्वस्थ मृदा पर उगी हुई फसल अच्छी पैदावार देगी और हम धरती से अधिक उत्पादन लेकर देश संबल बनाने में सहयोगी हो सकेंगे। हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है कि हम मृदा को स्वस्थ रखें जिससे यह पीढ़ी दर पीढ़ी उत्पादन देती रहें। मृदा स्वास्थ्य के लिये जिम्मेदार शस्य क्रियाएं निम्न प्रकार हैः- 1) गर्मी की गहरी जुताई। 2) कार्बनिक खादों का उपयोग। 3)...

Cultivation of guava    अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चैथा स्थान है। इसकी बहुउपयोगिता एवं पौष्टिकता को ध्यान मे रखते हुये लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए तथा बी भी पाये जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनायी जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है। अमरूद के लिए जलवायु अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त...

Gram or chick pea crop cultivation चना रबी ऋतु में उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। चना भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मानक की दृष्टी से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। चने में 21 प्रतिशत प्रोटीन ए 61.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 4.5 प्रतिशत वसा होती है। इसमें कैल्शियम आयरन व नियासीन की अच्छी मात्रा होती है। चने का...

Rhododendron Arborium: A medicinal plant of Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा हुआ एक सुंदर प्रदेश है । यहाँ की जलवायु परिस्थितियों में विविधता है क्योंकि औसत समुद्र तल से ४५० मीटर की  ऊचाई से लेकर ६५०० मीटर की ऊचाई तक अथवा  पश्चिम से पूर्व व दक्षिण से उत्तर तक यहाँ  भिन्नता है। ऊचाई  और जलवायु की विवधताओं के कारण यह राज्य  विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जानवरों के रहने के लिए अनुकूल है । हिमाचल प्रदेश औषधीय एवं अन्य उपयोगी पौधों का एक समृद्ध भंडार है । इन पौधों में से अधिकांश पोधे पारंपरिक दवाओं, लोक उपयोग और आधुनिक उद्योगों में इस्तिमाल किए जाते है । हिमाचल प्रदेश में पाए...

Concise information of sugarcane production गन्ना  एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़ आदि का निर्माण होता हैं। एवं इसका रस पीने के लिए की जाती हैं एक नकदी फसल है हमारा कोई पर्व या उत्सव ऐसा नहीं होता जिस पर हम अपने बंधु-बांधवों और इष्ट-मित्रों का मुंह मीठा नहीं कराते। मांगलिक अवसरों पर लड्डू, बताशे, गुड़ आदि बांटकर अपनी प्रसन्नता को मिल-बांट लेने की परम्परा तो हमारे देश में लम्बे समय से रही है। सच तो यह है कि मीठे की सबसे अधिक खपत हमारे देश में ही है। गन्‍ना उत्‍पादन के लि‍ए भूमि एवं उसकी तैयारी: दोमट भूमि जिसमें सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल का निकास अच्छा हो, तथा पी.एच. मान 6.5 से 7.5...

Azolla production techniques and benefits of Azolla कृषि उत्पादों की कीमत में अनिश्चितता और कृषि आदानों की तेजी से बढ़ती लागत, भूजल स्तर में गिरावट के कारण कृषि लागत बढ़ गई है, यही कारण है पिछले कुछ वर्षो में पेशे के रूप में खेती के प्रति किसानों का आकर्षण कम हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लि‍ए अजोला की खेती बहुत ही लाभकारी हो सकती है। अजोला एक महत्वपूर्ण  बहुगुणी फर्न  है जिसका उपयोग पशुओं, मछली एवं कुक्कुट के चारे के रूप में उपयोग किया जाता है और इसकी कास्त लागत भी बहुत कम (एक रुपय प्रति कि.ग्रा.)  होती है। अजोला  तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है,  जो पानी की सतह पर छोटे - छोटे समूह में...

Importance of Trichoderma in agriculture हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं)  पहॅचाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक  (मित्र फफूदीं) भी हैं जैसे कि द्राइकोडरमा । ट्राइकोडर्मा पौधों के जड़ विन्यास क्षेत्र (राइजोस्फियर)  में खामोशी से अनवरत कार्य करने वाला सूक्ष्म कार्यकर्ता है। यह एक अरोगकारक मृदोपजीवी कवक है जो प्रायः कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है। इसलिए मिट्टी में फफूदों के द्वारा उत्पन्न होने वाले कई प्रकार की फसल बिमारीयों के प्रबंधन के लिए यह एक महत्वपूर्ण फफूदीं है। यह मृदा में पनपता है एवं वृध्दि करता है तथा जड़ क्षेत्र के...

Improved cultivation of Garlic crop लहसुन महत्वपूर्ण बल्ब फसलों में से एक है। यह एक मसाला के रूप में भारत में प्रयोग किया जाता है। लहसुन की खेती आम तौर पर आंध्रप्रदेष, उत्तार प्रदेष, मद्रास और गुजरात में खेती की जाती है। लहसुन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फॉस्फोरस का एक प्रचूर स्त्रोत के रूप में माना जाता रहा है। लहसुन में वाष्पषील तेल पाया जाता है। लहसुन अपच में मदद करता है। यह मानव रक्त में कोलेस्टॅ्राल कम कर देता है। लहसुन की खेती के लि‍ए मौसम और जलवायु लहसुन की खेती कई प्रकार की जलवायु में की जा सकती है। तथापि बहुत गर्म या ठंडे मौसम में इसकी खेती नहीं की जा सकती है। बल्बों...

Effects of Parthenium weed on  crops and human life पारथेनियम (गाजर घास) पर लगातार किए जा रहे शोध कार्यो से हाल ही में एक नतीजा सामने आया कि पारथेनियम नामक खरपतवार केवल मानव अथवा पशुओं के स्वास्थ्य पर ही बुरा असर नहीं डाल रहा है बल्कि इसका सर्वाधिक प्रभाव दलहनी फसलों पर पड़ रहा है। हर मौसम और हर फसल के साथ उपजने में सक्षम गाजरघास ने दलहनी फसलों के उत्पादन की मात्रा पर असर डालना ही शुरु कर दिया है साथ ही खेतों में फसल चक्र के जरिए उर्वरता बढ़ाये जाने की प्रक्रिया भी लडख़ड़ाने लगी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्थिति बरकरार रही तो यह तय है कि...

The production technique of a nutritious and healthy fruit Sharifa (Custard Apple) सीताफल एक मीठा व स्वादिष्ट फल है। इसे “शरीफा” भी कहा जाता है। सीताफल का वानस्पतिक  नाम अन्नोना स्क्वामोसा हैं। सीताफल उच्च कैलोरी के साथ, प्राकृतिक शर्करा और स्वादिष्ट स्वाद देता है और इसे एक मिठाई के रूप में और एक पौष्टिक नाश्ते के रूप में खाया जाता हैं। यह आयरन और विटामिन सी से भरपूर होता है। यह बाहर से सख़्त और अंदर से नरम और चबाने वाला होता है। इसका गूदा सफेद रंग का और मलाईदार होता है। इसे मिल्कशेक और आइसक्रीम बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से कई तरीके के रोगों से छुटकारा...