Author: rjwhiteclubs@gmail.com

कृषि पर जीएसटी का प्रभाव The impact of GST on agricultural sector is foreseen to be positive. The agricultural sector is the largest contributing sector the overall Indian GDP. It covers around 16% of Indian GDP. The newly implemented indirect tax regime is influencing the agriculture industry and farmers due to the 5 percent GST rates on agricultural products. It is expected that in long-term the industry is foreseen to be positive. The implementation of GST would have an impact on many sections of the society. One of the major issues faced by the agricultural sector is the transportation of agriculture products across state lines all over India. It is highly probable that GST shall resolve the...

Saline soil: Alternative natural resources for fodder production लवणीय मृदा समस्‍याग्रस्‍त मृदाएं में से एक है जिसको उचित प्रयास एवं प्रबंधन के साथ वनस्‍पति आवरण के तहत लाया जा सकता है । प्राकृतिक कारणों की वजह एवं उचित प्रबंधन न मिलने से विकृत हो जाती है । इन मृदाओं में कुछ गुणों के अधिकता एवं कमी के होने के कारण इसे खेती के लिए उपयुक्‍त नहीं माना जाता है । हमारे देश का भौगोलिक क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्‍टेयर है जिसमें 173.65 मिलियन हेक्‍टेयर मृदा समस्‍याग्रस्‍त है । इसमें से 25 मिलियन हेक्‍टेयर खाद्य फसल की खेती के लिए उपयुक्‍त नहीं है जिसमें 5;5 मिलियन हेक्‍टेयर लवणीय मृदा भी शामिल है । अतिरिक्‍त...

Harmful effects of burning crop residues and management of crop residues भारत में पहले खेती केवल जीविकोपार्जन के लिए किया जाती थी लेकिन धीरे धीरे खेती ने व्ययसाय का रूप ले लि‍या है।  किसान अधिक उपज प्राप्त करने के लिय अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है जिससे मृदा के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव हो रहा है फसल अवशेष  को जलना भी एक पर्यावरण तथा मृदा प्रदुषण का महत्वपूर्ण कारण है। पिछले कुछ वर्षों में एक समस्या मुख्य रूप से देखी जा रही है कि जहां हार्वेस्टर के द्वारा फसलों की कटाई की जाती है उन क्षेत्रों में खेतों में फसल के तने के अधिकतर भाग खेत में...

Cultivation of Isabgol (Plantago ovata) through scientific techniques Plantago ovata Forsk. एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय फसल है।औषधीय फसलों के निर्यात में इसका प्रथम स्थान हैं। वर्तमान में हमारे देश से प्रतिवर्ष 120 करोड़ के मूल्य का ईसबगोल निर्यात हो रहा है। विश्व में इसके प्रमुख उत्पादक देश ईरान, ईराक, अरब अमीरात, भारत, फिलीपीन्स इत्यादि हैं। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात,राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टयर में हो रहा हैं। म. प्र. में नीमच, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन एवं शाजापुर जिले प्रमुख हैं। ईसबगोल का उपयोग ईसबगोल का औषधीय उपयोग अधिक होने के कारण विश्व बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। ईसबगोल के बीज पर पाए...

मवेशी में जीर्ण और अर्धजीर्ण रयूमि‍नल एसिडोसिस Ruminal acidosis is a fermentative disorder of the ruminants in which the ruminal pH decreases below the normal range. The condition is usually associated with the ingestion of large amounts of highly fermentable starch rich feeds. Feeding high grain diets to the dairy cows by the farmers for maximum milk production increases the risk of acidosis which can reduce milk production and affects the health of the cow. The nature of ruminal acidosis ranges from life-threatening peracute forms to subacute chronic illness. In peracute cases severe metabolic acidosis and toxaemia may occur leading to recumbancy, coma and death within few hours. Acute ruminal acidosis is a...

Javik Kheti: samay ki maang  आधुनिक समय में बढ़ती हुयी जनसंख्या के खाद्यान्न पूर्ति हेतु किसान रासायनिकों जैसे-खाद, खरपतवारनाशी, रोगनाशी तथा कीटानाशकों को प्रयोग कर रहे है। सम्भवतः इनके प्रयोग से किसान प्रथम वर्ष अधिक उत्पादन तो प्राप्त कर लेते है, परन्तु धीरे-धीरे इनके प्रयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति क्षीण होने लगती है और फसलों की उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है। इन रसायनों की अधिक कीमत होने के कारण खेती की लागत बढ़ जाती है। क्षीण हुई मृदा उर्वरता के कारण इन रसायनों के प्रयोग से भी वे मुनाफा प्राप्त नहीं कर पाते है । यहीं नहीं इन रसायनों के प्रयोग से पर्यावरण में भी विपरीत प्रभाव पडता है।           रसायनिकों...

Growing trends towards farming in educated youth एक दौर था जब लोग गाँवों से शहरों की और पलायन करने लगे थे लगता था गावं खाली हो जाएगें, खेती किसानी कौन करेगा, कैसे मिलेगा सबा करोड़ आबादी वाले भारत को अनाज,किंतु प्रकृति का नियम है कि सब समय एक सामान समय नहीं रहता हैI कहते हैं “ कहीं धूप कहीं छाया, भगवान् तेरी माया ’’मनुष्य का स्वभाव है कि वह बदलाव चाहता है, उससे उसे तुष्टि मिलती है इसके विपरीत अवस्था में मन ऊब जाता हैIइसी क्रम में इस लेख में मानवीय सोच में बदलाव देखने को मिलेगेंI नौकरी अगर अच्छी हो तो खेती-किसानी करने के बारे में भला कौन सोचता है। लेकिन...

Effects and control of Parthenium grass  प्रकृति में अत्यंत महत्त्व पूर्ण वनस्पतियों के अलावा कुछ वनस्पतियाँ ऐसी भी हैं, जो कि धीरे-धीरे एक अभिशाप का रूप लेती जा रही हैं बरसात का मौसम शुरू होते ही गाजर के तरह की पत्तियों वाली एक वनस्पति काफी तेजी से बढ़ने और फैलने लगती है। जिसे पार्थेनियम हिस्टेरोफोरोस यानी कोंग्रस ग्रास या गाजर घास क नाम से जाना जाता है । यह  Asteraceae कुल का सदस्य है। यह वर्तमान में विश्व के सात सर्वाधिक हानिकारक पौधों में से एक है तथा इसे मानव एवं पालतू जानवरों के स्वास्थ्य के साथ-साथ सम्पूर्ण पर्यावरण के लिये अत्यधिक हानिकारक माना जा रहा है। गाजर घास अमेरिका, एशिया, अफ्रीका व...

Soil health card: Today’s requirement of farmers  कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियां भारत में कुल सकल घरेलु उत्पाद में 30 फीसदी का योगदान करती है। कृषि सीधे तौर पर मिट्टी से जुडी है। किसानों की उन्नति मिट्टी पर निर्भर करती है, मिट्टी स्वस्थ तो किसान स्वस्थ। इसी सोच के आधार पर  भारत सरकार ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में किसानों के लाभ हेतु राष्ट्रव्यापी "मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना" का शुभारंभ किया। इस योजना में, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाता है,जिसमें उनके खेत की मिट्टी की पूरी जानकारी लिखी होती है जैसे  उसमे कितनी -कितनी मात्रा किन -किन पोषक तत्वों की है और कौन-...

Green fodder production with guinea grass  बहुवर्षीय हरे चारे के लिए गिनी घास का महत्वपूर्ण योगदान है| गिनी घास (Panicum maximum Jacq.) का जन्म स्थान गिनी, अफ्रीका को  बताया जाता है| ये बहुत ही तेजी से बढने वाली और पशुओ के लिए  एक स्वादिस्ट घास है|   इससे वर्ष मैं 6-8 कटाई तक कर सकते है| भारत में यह घास 1793 में आई| इसमें 10-12 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन, रेशा 28-36 प्रतिशत, NDF 74-75 प्रतिशत , पत्तो की पाचन क्षमता  55-58 %, लिगनिन  3.2-3.6 प्रतिशत होती है| गिनी घास के लि‍ए जलवायु गिनी घास  गर्म मौसम की फसल है घास के लिए उपयुक्त तापमान, 31 डिग्री सेंटीग्रेड  चाहिए और 15 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे इसकी...