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Major nematodes of Wheat crop and their management गेहूँ विश्व की सबसे ज्यादा खायी जाने वाली अनाज की फसल है तथायह भारत में बोई जाने वाली रबी की एक मुख्य फसल है l गेहूँ में न केवल कार्बोहायड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है, अपितु प्रोटीन की मात्रा भी पाई जाती है l  इसके अतिरिक्त गेहूँ में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन खनिज एवं रेशे भी भरपूर मात्रा में विद्यमान है l भारत में यह फसल 307.2 लाख हेक्टेयर भूमि पर उगाई जाती है l उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं l उत्पादकता की दृष्टि से हरियाणा राज्य दूसरे स्थान पर है, जबकि पंजाब उत्पादकता में प्रथम स्थान पर है...

Scientific method for early cultivation of Onion भारत दुनिया में प्याज का दूसरा सब से बड़ा उत्पादक है। हमारे देश में प्याज की खेती मुख्य रुप से रबी की फसल के रुप में की जाती है। अनेक राज्यों प्याज की खेती खरीफ में भी की जाती है। प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है। प्याज का उपयोग प्रतिदिन सब्जी व मसाले के रुप में किया जाता है। इसे अकेले या दूसरी सब्जियों के साथ मिला कर खाया जाता है। प्याज का कन्द व पत्तियां खाने में इस्तेमाल की जाती हैं। सब्जी बनाने में व सलाद के अलावा इस के औषधीय गुण के कारण इस का अपना अलग महत्त्व है। प्याज में कार्बोहाइड्रेट के...

जामुन की कि‍स्‍में There are several area-specific local selections of Jamun identified by farmers or local people based on fruit size, shape, and taste, fruiting and fruit maturity time. Some such selections grown in North India are given below- Ra-Jamun Fruits are oblong, large, juicy, sweet, deep purple coloured and small seeded Badama Fruits are large and very juicy Kaatha Fruits are small and acidic Jathi Fruits ripen in May-June Ashada Fruits ripen in June-July Bhado Fruits ripen in August   Narendra Jamun 6 Narendra Dev University of Agriculture and Technology, Faizabad, U.P. Rajendra Jamun 1 Bihar Agricultural College, Bhagalpur, Bihar. Konkan Bahadoli Regional Fruit Research Station, Vengurla, Maharashtra. Goma Priyanka Central Horticultural Experiment Station (CHES), Godhra, Gujarat. CISH J-42(Seedless type) Central Institute for Subtropical Horticulture (CISH), Lucknow,U.P. CISH J-37 Central Institute for Subtropical Horticulture (CISH),...

Scientific method to prepare the preserved product of palm fruits खजूर पामी कुल के अंतर्गत फोनिक्स जाति की कई उपजातियों को प्राय: खजूर नाम दिया जाता है। इनमें फोनिक्स डैक्टिलिफेरा और फोनिक्स सिल्वेस्ट्रिस विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। खजूर भारत में अनेक जगह उगाया जाता है। खजूर की खेती भारत मे हरियाणा, पंजाब, गुजरात पश्चिमी राजस्थान के बीकनेर, बाड्मेर, जेसलमेर, जोधपुर, श्री गंगानगर, चूरु व नागोर जिलो मे होती है। खजूर का पेड़ विश्व के सबसे सुन्दर सजावटी पेड़ों में से एक माना जाता है और इसे सड़कों राजमार्गो और मुख्य रास्तों पर शोभा के लिए भी लगाया जाता है। खजूर के ताजे पके फल को खजूर, पिंड खजूर तमर या खुर्मा और पके, सूखे...

 Cultivation of cauliflower in early season in India फूलगोभी की खेती पूरे वर्ष में की जाती है। इसको सब्जी, सूप और आचार के रूप में प्रयोग करते है। इसमे विटामिन बी पर्याप्त मात्रा के साथ-साथ प्रोटीन भी अन्य सब्जियों के तुलना में अधिक पायी जाती है फूलगोभी के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हों तो फूल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है फूल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फूल पत्तेदार और पीले रंग के हो जाते है अगेती जातियों के लिए अधिक तापमान और बड़े दिनों की आवश्यकता होती है फूल गोभी को गर्म दशाओं में उगाने से सब्जी का स्वाद तीखा हो...

How to grow Okra in scientific method  भिण्डी एक महत्वपूर्ण फल वाली उष्ण भागों और शीतोष्ण प्रदेश्‍ो के गर्म स्‍थानों पर उगाया जाने वाली सब्जि है। इसकी फसल उन स्‍थानों पर प्रमुखता से उगाई जा सकती है जहां दिन का तापमान 25-40 ड़िग्री सेग़्रे क़े बीच मे रहता है तथा रात्रि का तापमान 22 ड़िग्री सेग़्रे से नीचे नहीं आता है। भिण्डी को इसके हरे, मुलायम स्वादिष्ट फलों के लिए उगाया जाता है। भारत में मुख्य रूप से भिण्डी की दो फसलें ली जाती है, एक गर्मी में व दूसरी बरसात के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी एक ही फसल ली जाती है। जिसकी बुवाई मार्च-अप्रेल में की जाती है। ग्रीष्मकालीन भिण्डी...

Azolla is a boon for livestock राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पश्‍ाुपालन की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पशुपालन व्यवसाय लघू और सीमान्त किसानों, ग्रामीण महिलाओं और भूमिहीन कृषि श्रमिकों को रोजगार के पर्याप्त व सुनिश्‍चित अवसर देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठोस आधार प्रदान करता है। प्राय: मानसून के अलावा पशुओं को फसल अवशेषों एवं भूसे आदि पर पालना पड़ता है जिससे पशुओं की बढोतरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए पशुपालकों को अजोला फर्न की खेती आश्‍वयक रूप से की जनीत चाहिए। अजोला के गुण:- अजोला जल सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है। यह छोटे छोटे समूह में सद्यन हरित...

Production of  hybrid seed in tomato बीज में शुद्धता होना, बीजोत्पादन की प्रथम सीढी है। जो कि पर परागण तथा अन्य बाह्रय पदार्थों के मिलने से प्रभावित होती है। शुद्ध बीज की गुणवता भी अच्छी होती है। अत: बीजोत्पादन के लिए आनुवांश्‍कि‍‍ एवं बाहय पदार्थो के मिश्रण संबंधी शुद्ता हेतु निम्न बिन्दुओं को अपनाना परम आवश्क है। पृथक्करण दूरी एक ही फसल की दो किस्मों में पर परागण द्वारा होने वाली अशुद्वता तथा स्व परागित फसलों मे कटाई के दौरान बाह्रय पदार्थों के अपमिश्रण से होने वाली अशुदता को रोकने के लिए एक ही कुल की दो फसलो या एक ही फसल की दो किस्मों के मध्य रखी जाने वाली आपसी दूरी को...

Potential for potato seed production in Gwalior-Chambal area of Madhya Pradesh सफलतापूर्ण आलू उत्पादन हेतु गुणवत्ता युक्त बीज एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अवयव है। गुणवत्तायुक्त बीज के अभाव की पहचान सम्पूर्ण विश्व में आलू उत्पादन में बाधक एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारक के रूप में हुई है। विशेषकर विकासशील देशों में गर्म जलवायु के कारण, आलू बीज एक अत्यन्त खर्चीली उत्पादक सामग्री है जो कि कुल उत्पादन लागत का 40 से 50 प्रतिशत तक होता है। भारत में लघु एवं सीमान्त कृषकों को गुणवत्तायुक्त बीज की अनुउपलब्धता के कारण विकसित देशों की तुलना में उत्पादकता निम्न है। कि‍सानों से प्राप्त बीज की तुलना में उत्तम गुणवत्तायुक्त बीज उपयोग करने से औसत उपज में 30 से...

Discussion on Conventional and Improved Techniques of Potato Seed Production आलू बीज उत्पादन हेतु वर्तमान में विश्व भर में  अनेक प्रवर्धन तकनीक उपयोग में लायी जा रही हैं। जिनमें मुख्यत: परम्परागत आलू बीज उत्पादन, ऊतक प्रर्वधन द्वारा आलू बीज उत्पादन (सूक्ष्म प्रवर्धन), हाइड्ररोफोनि‍क, ऐरोपोनिक ,  बायोरिएक्टर एवम्  एन.एफ.टी. आलू बीज उत्पादन तकनीक हैं। बीज उत्पादन की परम्परागत तकनीक (सूक्ष्म प्रवर्धन) , ऊतक प्रर्वधन तकनीक एवम् ऐरोपोनिक तकनीक केन्द्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित की गयी हैं ।  विकासशील दशों के अधिकाशत: कृषक जो कि आलू बीज उत्पादन से जुडे हैं वे बीज उत्पादन की परम्परागत प्रणाली से प्राप्त आधार बीज को गुणन हेतु उपयोग में लाते हैं। उन्‍नत तकनीक विधि से आलू बीज बनाने में...