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Agricultural work to be carried out in the month of May दलहनी फसल: इस समय मूंग, उर्द, लोबि‍या की फसल में 12 से 15 दि‍न के अन्‍तराल पर सि‍ंचाई करें। मूंग में पत्‍ति‍यों के धब्‍बा रोग की रोकथाम के लि‍ए कॉपर ऑक्‍सीक्‍लोराईड 0.3 प्रति‍शत का घोल बनाकर 10 दि‍न के अंतराल पर छि‍डकाव करें। दलहनी फसल में धब्‍बा रोग के लि‍ए कार्बेन्‍डाजि‍म 500 ग्राम / हैक्‍टेयर के हि‍साब से घोल बनाकर छि‍डकाव करें। पीला मौजैक रोग की रोकथाम के लि‍ए एक लि‍टर मेटासि‍स्‍टाक्‍स दवा को 1000 लि‍टर पानी में घोलकर प्रति‍ हैक्‍टेअर की दर से छि‍डकाव करें।  गेंहूॅ: गेहूॅ में मढाई का कार्य शीघ्र पूरा कर ले। अनाज के भण्‍डारण से पहले गेंहूॅ को धूपं में इतना सुखाऐं...

 Natural tonic for Farm - Green manure हरी खाद (ग्रीन मैन्योर) भूमि के लिये वरदान है। यह भूमि की संरचना को भी सुधारते हैं तथा पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। जानवर को खाने में जैसे रेशेवाले पदार्थ की मात्रा ज्यादा रहने से स्वास्थ्य के लिये अच्छा रहता है उसी प्रकार रेशेवाले खाद (हरी खाद) का खेतों में ज्यादा प्रयोग खेत के स्वास्थ्य के लिये अच्छा है। हरी खाद एक प्रकार का जैविक खाद है जो शीघ्र विघटनशील हरे पौधों विशेषकर दलहनी पौधों को उसी खेत में उगाकर, जुताई कर मिट्टी में मिला देने से बनता है। जीवित व सक्रिय मृदा वही कहलाती है जिसमें अधिक जीवांश की मात्रा होती है। जीवाणुओं का भोजन...

Pest management in crops by ecological engineering फसलों में कीट प्रबंधन के लिए पारिस्थितिक अभियांत्रिकी  हाल ही में एक नए आयाम के रूप में उभरी हे जिसमे मुख्यतया कृषिगत क्रियाओ द्वारा कीटो के निवास स्थान में हेर फेर किया जाता हे, ताकि हानिकारक कीटो का जैविक नियत्रण हो सके । यह विधि आधुनिक काल में प्रचलित अन्य तरीको जैसे संश्लेषित कीटनाशको, किट प्रतिरोधी किस्मो इत्यादि से परे, पारिस्थितिक ज्ञान पर आधारित हे। वर्तमान में बढ़ते हुए कीटनाशी रसायनो के अंधाधुन्द उपयोग से कृषि पारिस्थितिक तंत्र में मित्र कीटो की जैव विविधता में काफी कमी आई हे I इसीलिए जरुरी हे की फसलों में मित्र कीटो की जैव विविधता में बढ़ावा देने वाली...

Cyber expansion is synonymous with a modern agricultural information system कृषि विस्तार आत्मनिर्भरता और अन्य कृषि संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वर्तमान समय में कृषि की तकनीकी प्रगति के लिए सूचना संचार प्रौद्योगिकी का होना जरुरी है | खेती साधन में प्रौद्योगिकी “जिस तरह से यह किया जाता है” | कृषि प्रौद्योगिकी को दो प्रमुख प्रकारों में संहिताबद्ध किया जा सकता है जिसमें सामग्री प्रौद्योगिकी और ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी शामिल है | ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी के अंतर्गत, कृषि विस्तार सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से "साइबर विस्तार” का शब्द आता है | साइबर विस्तार एक कृषि जानकारी का आदान प्रदान तंत्र है, परस्पर कंप्यूटर के...

Management of Crop residues in rice-wheat crop system by adopting conservation agriculture फसल अवशेष बहुत ही महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। ये न केवल मृदा कार्बनिक पदार्थ का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, अपितु मृदा के जैविक, भौतिक एवं रासायनिक गुणों में वृद्धि भी करते हैं।  पादप द्वारा मृदा से अवशोषित 25 प्रतिशत नत्रजन व फास्फोरस, 50 प्रतिशत गन्धक एवं 75 प्रतिशत पोटाश जड़, तना व पत्ती में संग्रहित रहते है। अतः फसल अवशेष पादप पोषक तत्वों का भण्डार है। यदि इन फसल अवशेषो को पुनः उसी खेत में डाल दिया जाये तो मृदा की उर्वरकता में वृद्धि होगी और फसल उत्पादन लागत में भी कमी आयेगी।  भारत में प्रतिवर्ष 600 से 700 मिलियन टन फसल...

Correct and effective use of biofungicide Trichoderma हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है जो फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं) पहॅचाुते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक (मित्र फफूंदी) भी हैं। जैसे कि द्राइकोडरमा । प्रकृति ने स्वयं जीवों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है जिससे कि किसी भी जीव की संख्या में अकारण वृध्दि न होने पाये और वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी समस्या का कारण न बनें।  ट्राईकोडर्मा एक मित्र फफूदीं है जो विभिन्न प्रकार की दालें, तिलहनी फसलों , कपास , सब्जियों  तरबूज , फूल के कार्म आदि की फसलों...

Soil Health- an integral part of the beneficial and sustainable agriculture. भारत की लगभग दो तिहाई आबादी की जीविका का मूल आधार कृषि है। शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण कृषि योग्य जमीन दिन प्रतिदिन घटती जा रही है, साथ ही साथ इसकी गुणवत्ता में उल्लेखनीय कमी आती जा रही है। बीसवी श्‍ादी के उत्तरार्ध में देश मेे हरि‍त क्रांति से कृषि उपज में गुणात्मक बढ़ोत्तरी हुई। जिसके मूल में अधिक उपज देने वाली किस्में, रासायनिक उर्वरक एवं व्यापक पैमाने पर पाक-संरक्षक उपायों का अपनाये जाना था। जिसके दुष्परिणाम कृषि उत्पादन की कमी के रूप में बाद के दशकों में दिखाई देने लगे। जिसका एक प्रमुख कारण मृदा गुणवत्ता में आई उत्तरोतर कमी को...

Weed Problems and Solutions in Vegetable Crops सब्जियों में खरपतवार की समस्या अन्य फसलों से अधिक होती है|क्योंक - सब्जी की फसल को अन्य फसलों की अपेक्षा प्रारम्भ में अधिक दुरी पर लगाते हैं जिससे खरपतवार की बढवार के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है और वे अधिक वृद्धि करते हैं। जैसे धान 10 – 15 सेमी., खीरा 1& 2 मी., गेंहू 10 & 20 सेमी., करेला 5 & 2 मीटर। सब्जी की फसलों को अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है जो खरपतवारों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं। सब्जी में कम मात्रा में परन्तु थोड़े समय बाद ही सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है जिससे खरपतवारों के बीज आसानी से अंकुरित हो जाते हैं। सब्जी...

Scientific Lac Cultivation and Lac Processing लाख एक प्राकृतिक राल है, जो नन्हे-नन्हे लाख कीटों द्वारा सुरक्षा हेतु अपने शरीर में उपस्थित सूक्ष्म ग्रंथियों द्वारा रेजिन्स स्त्राव के फलस्वरूप प्राप्त होता है । लाख से प्राप्त राल के हानी रहित गुणों के कारण इसका महत्व रासायनिक यौगिको के रालों से अधिक है, राल के अतिरिक्त मोम और सुन्दर लाल रंग सह उत्पाद के रूप में प्राप्त होतें है, जिनका भी व्यवसायिक महत्व है । आज न केवल लाख सज्जा के लिये उपयोगी है, अपितु औषधि खाद्य प्रसंस्करण, विधुत, सौन्दर्य प्रसाधन ,सूक्ष्म रसायन एवं सुगंध उद्योग में भी इसका इस्तेमाल होता है । कुसुमी लाख उत्पादन तकनीक ऋतुओं के आधार पर फसल चक्र - शीतकालीन...

Major Diseases of Fodder Crops And Their Management भारत विश्व में सबसे अधिक पशु जनसंख्या वाले देशों में से एक है। दुधारू पशुओं के अधिक दुध उत्पादन के लिए हरे चारे वाली फसलों की भूमिका सर्वविदित है। इन फसलों में अनेक प्रकार के रोग आक्रमण करते है जो चारे की उपज एवं गुणवत्ता में ह्रास करते है एवं हमारे पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक सिद्ध होते हैं। अतः इन रोगों का प्रबन्धन अति आवश्यक है। चारे की फसलों में प्रमुख रोग एवं उनका प्रबन्धन इस प्रकार हैः बाजरे की मॄदुरोमिल आसिता या हरित बाली रोगः रोगजनक: यह एक मृदोढ रोग है। इसका रोगकारक स्क्लेरोस्पोरा ग्रैमिनिकॉला नामक कवक है। मॄदुरोमिल आसिता या...