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7 Major diseases of cotton crop and their symptoms कपास फसल का व्यावसायिक फसलाेे, प्राकृतिक रेेसे वाली फसलाेे और तिलहन फसलाेे में महत्वपूर्ण स्‍थान है। प्राकृतिक फाइबर का कम से कम 90 प्रतिशत अकेले कपास की फसल से प्राप्त होता है। कपास फसल का देश की अर्थव्‍यवस्‍था मे बडा योगदान है। यह भारत में 123 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है जो कृषि योग्य भूमि का करीब 7.5 प्रतिशत और वैश्विक कपास क्षेत्र का 36.8 प्रतिशत है। भारत में 130 कीट प्रजातियों पाई जाती हैं, उनमे से आधा दर्जन से अधिक विकसित कपास, संकर और अन्य किस्मों की पूरी क्षमता से पैदावार प्राप्त करने में समस्या पैदा करती हैं । रोगों...

फूलगोभी और पत्तागोभी की उत्पादन तकनीक सर्दी के मौसम में गोभी वर्गीय सब्जियों में विशेषकर फूलगोभी और पत्तागोभी का महत्वपूर्ण स्थान है। इनमे विटामिन ए, सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और अन्य खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। इनमे कुछ औषधीय गुण भी पाये जाते है जो कैंसर रोधी होते है। सब्जी के अलावा इनका उपयोग सूप और आचार बनाने में भी किया जाता है। गोभी वर्गीय सब्जियों के लि‍ए जलवायु: गोभी वर्गीय सब्जियों के लिए ठंडी और नम जलवायु की आवश्यकता होती है। अधिक गर्मी और शुष्क स्थिति में इन सब्जियों की गुणवत्ता खराब हो जाती है। ये अधिक ठंड को सहन कर सकती है। भूमि की तैयारी: गोभी की अच्छी पैदावार...

Integrated disease management of major diseases of Cotton crop based on crop stage कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे “सफेद सोना“ कहा जाता हैं। सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक  एवं  प्राकृतिक फाइबर और तिलहन फसलों में महत्वपूर्ण योगदान है। प्राकृतिक फाइबर की कम से कम 90 प्रतिशत अकेले कपास की फसल से प्राप्त की है। कपास वैश्विक कपड़े का 35 प्रतिशत और भारत में कपड़ों की जरूरत का 60 प्रतिशत योगदान देता है। भारत में सभी चार कपास प्रजातियों अर्थात् देशी कपास (द्विगुणित) गोसिपियम अर्बोरेम, गोसिपियम हेरबसियम, अमेरिकी कपास गोसिपियम हिर्सुटम  एवं  मिश्र की कपास गोसिपियम बारबडेन्स का व्यावसायिक रूप उत्‍पादन होता है । यहां करीब 123 लाख हेक्टेयर क्षेत्र...

कार्बन सीक्वेशट्रेशन (पृथक्‍करण) प्रक्रिया   Carbon capture and storage (CCS) (or carbon capture and sequestration) is the process of capturing waste carbon dioxide (CO2) from large point sources, such as fossil fuel power plants, transporting it to a storage site, and depositing it where it will not enter the atmosphere, normally an underground geological formation. The aim is to prevent the release of large quantities of CO2 into the atmosphere. It is a potential means of mitigating the contribution of fossil fuel emissions to global warming and ocean acidification. Although CO2 has been injected into geological formations for several decades for various purposes, including enhanced oil recovery. Capturing and compressing CO2 may increase the...

Gum karaya, a non timber forest produce भारतीय उपमहाद्वीप जैविक विविधता और वनस्पतियों का प्रमुख केंद्र है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक जीवन में कई वन उत्पादों का महत्वपूर्ण स्‍थान है। ये वन उत्पाद काष्ठ और अकाष्ठ वन उत्पादन में वर्गीकृत है। अकाष्‍ठ उत्‍पादों में विभिन्न पेड़ाेें की जड़, तने और फल से प्राप्‍त प्राकृतिक रेजिन, गोंद, रिसाव, पत्तिया (तेंदू),  गंध-द्रव्य, तेल शामिल हैं । अकाष्‍ठ उत्‍पाद मसाले, दवाइयों, रंजक और टैनिन की प्राकृतिक स्रोत हैं। ज्यादातर अकाष्ठ वन उत्पादन निर्यात मुद्रा अर्जक हैं और कई स्थानीय लघु उद्योगों के लिए अच्छी तरह से अनुकूल हैं भारत में लाख और गम के उत्पादन वाले पेड़ों की संख्या अधिकता में हैं जिससे...

Trimble Agriculture’s GreenSeeker® handheld crop sensor, available across India, is an easy-to-use handheld measurement device designed to assess the health of a crop. Readings taken with the device can be used to make objective decisions regarding the amount of fertilizer to be applied to a crop, resulting in a more efficient use of inputs. Farmers or any other operator just need to position the handheld sensor over a plant, pull the trigger, and the GreenSeeker handheld instantly calculates the Normalized Difference Vegetation Index (NDVI), which represents the health of the plant. By gathering several readings from plants throughout a field, farmers can better determine the overall health and needs of a...

Major agricultural activities in fruit crops in July जुलाई का महीना फल वाली फसलों व अन्य फसलों के लिए महत्वपूर्ण महीनों में से एक है क्योकि, जुलाई का महीना जिसे आषाढ़-श्रावण भी कहते है। एक लम्बी गर्मी या सूखे मौसम के पश्चात तपती हुई धरती को ठंडा करने के लिए मानसून लेकर आता है व पेड़-पौधों को प्रकृति के आशीर्वाद स्वरुप वर्षा जल की प्राप्ति होती है। वर्षा के पश्चात सारा खेत-खलिहान हरियाली से भर उठता है। फल वाली फसलों में अनेक कृषि कार्य जुलाई के महीने में किये जाते है, जैसे- अनेक फल पौधों की रोपाई, बीजू पौधों के बीज की बुवाई, जल निकास की व्यवस्था, उर्वरक प्रबंध, खरपतवार नियंत्रण, अंतर्वर्ती फसलों...

Livestock insurance scheme पशुधन बीमा योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो 10वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2005-06 तथा 2006-07 और 11वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2007-08 में प्रयोग के तौर पर, देश के 100 चयनित जिलों में क्रियान्वित की गई थी। यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से चलाया जा रहा है। पशुधन बीमा योजना की शुरुआत दो उद्देश्यों के लि‍ए कि‍या गया है। 1. किसानों तथा पशुपालकों को, पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से, सुरक्षा मुहैया करवाने हेतु तथा 2. पशुधन तथा उनके उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण विकास के चरम लक्ष्य के साथ लोकप्रिय बनाना । योजना के अंतर्गत देशी व संकर दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा...