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Organic Farming: Land and Life Requirementsभारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। 60वें दशक की हरित क्रांति ने यद्यपि देश को खाद्यान्न की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया लेकिन इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर करें तो यह भी वास्तविकता है कि खेती में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से जल स्तर में गिरावट के साथ मृदा की उर्वरता भी प्रभावित हुई है एक समय बाद खाद्यान्न उत्पादन न केवल स्थिर हो गया बल्कि प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हुआ है। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत...

Gramophone Mobile App: Farmers' Companions and Consultants अभी तक हमारे देश के किसान आसमान का रंग और पक्षियों का व्यवहार देखकर बोवनी का समय भांपते थे और खेती संबंधी अन्य कार्य करते थे। मौसम की सही जानकारी उनके पास नहीं होने से बारिश का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं होता था। उन्हें न तो खेती की आधुनिक जानकारी देने का कोई इंतजाम था और न कीट-पतंगों से बचाव का! लेकिन, अब नई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ किसानों को फसल संबंधी सारी जानकारी देने के लिए एक ऐसा मोबाइल एप ग्रामोफोन आया है जो किसानों की हर समस्या को उनके एक क्लिक से हल कर देता है। उनकी अपनी भाषा हिंदी...

Management of degradation in groundwater level मिट्टी में जरूरत के मुताबिक नमी का होना बहुत जरूरी है । खेत की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक मिट्टी में एक निश्चित नमी रहनी चाहिए । कितनी नमी हो यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा कार्य करना है और मिट्टी की बनावट कैसी है । जैसे बलुवाही मिट्टी में कम नमी रहने से भी जुताई की जा सकती है, लेकिन चिकनी मिट्टी में एक निश्चित नमी होने से ही जुताई हो सकती है । इसी तरह अलग-अलग  फसलों के लिए अलग-अलग  नमी रहनी चाहिए । जैसे -धान के लिए अधिक नमी की जरूरत है लेकिन बाजरा, कौनी वगैरह कम...

Essential precautions in the use of pesticides in crops फसलों की कीटों से सुरक्षा के लिए फसल रक्षा रसायनों अर्थात कीटानाश्कों का प्रयोग किया जाता है । ये कीटनाशक जहरीले तथा मूल्यवान होते हैं । जिनके प्रयोग की जानकारी न होने के कारण इनके नुकसान भी हो सकते हैं । इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखने के साथ-साथ इनके प्रयोग के समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए, इसकी जानकारी किसानों को होना अति आवश्यक है । कीटनाशकों के घातक प्रभाव से बचने के लिए आवश्यक होता है कि उन पर लिखे हुए निर्देशों का पालन सही ढंग से किया जाय । जिसमें किसी प्रकार की लापरवाही न वरती जाए क्योंकि थोड़ी सी असावधानी...

बायोचर - कृषि के लिए नया काला सोना Agricultural waste is usually handled as a liability, often because the means to transform it into an asset is lacking. These residues are either partially utilized or un-utilized due to various constraints. Among the cereal residues, rice and wheat straws are the dominant and the easiest way to clear the field is burning these in the field itself. By realizing those problems, some previous researchers try to use the more resistant organic matter such as biochar. Biochar has great importance in improving soil fertility and it could act as a soil amendment to increase crop yield and plant growth by supplying and retaining nutrients than other...

अधि‍क दूध उत्पादन के लिये पोषक पशु आहार का महत्व  भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में डेरी उद्योग आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है । डेयरी कृषि का एक प्रकार है जो दूध उत्पादन पर केंद्रित है। दूध उत्पादन या डेयरी फार्मिंग भारत में, छोटे  व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तृत रूप  में फैला हुआ व्यवसाय है।अपने पशुओं का बेहतर रख-रखाव और उन्हें पौष्टिक चारा खिलने से किसान की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है डेयरी गायों को दूध उत्पादन, शरीर के रख-रखाव और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।जानवरों के पास हर समय पर्याप्त मात्रा में जल  होना चाहिए ताकि वह अपनी आवश्यकता के अनुसार...

Cultivation of Jamun in Haryana जामुन मूल रुप से भारत, पाकिस्तान और इंड़ोनेशिया का पौधा है जिसको विभिन्न नाम जैसे जावा प्लम व काला प्लम व जमबोलन तथा जमबुल आदि से जाना जाता है। यह वृक्ष मायटऐसी कुल और मायर्टलेस आर्ड़र में आता है। जामुल का वृक्ष एक विशाल और शाखाओं वाला वृक्ष है इसकी छाल भूरे रंग की अधिक चिकनी और लगभग 2.5 सेंटी मीटर मोटी होती है। हालांकि इसके फलों को सभी के द्वारा पंसद किया जाता है और उच्च दामों में बेचा जाता है तो भी यह वृक्ष एक बगीचे के पेड़ के रुप में अभी तक नही उगाया जाता है। लवणीय, क्षारीय, आर्द्र व जलभराव वाले क्षेत्र में...

चने का फाउंडेशन और प्रमाणित बीज उत्पादन करने की तकनीक  Gram or chickpea is leguminous crop and there are two distinct types of chickpea Desi chick pea  Coloured and thick seed coat.  Brown, yellow, green and black.  Small, angular and rough surface.  Flower pink with anthocyanin pigment  Some Desi variety have white flower with no anthocyanin pigment. Kabuli chick pea White or Beige – coloured seed Thin seed coat, smooth seed coat surface. White flower, lack of anthocyanin pigmentation on the Stem. High level of sucrose and lower level of fibre       General plant characteristics of Gram: Plant height generally varies from 30-70 cm. Lateral roots developed nodules with the symbiotic Rhizobium bacteria, capable of fixing atmospheric nitrogen in plant-usable form. Nodules appear/visible after one month /30days...