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Importance of varieties selection and nursery management for improvement in paddy production धान एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है विश्व की अधिकांश जनसंख्या (लगभग 60 प्रतिशत) द्वारा दैनिक भोजन में चावल का उपयोग भात, पोहा, मुरमुरा, लाई, आटे की रोटी के इत्यादि के रूप में किया जाता है। धान उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। जैसा की हम जानते है कि हर खुशबूदार धान, बासमती धान नहीं होता लेकिन हर बासमती धान खुशबूदार होता है इसलिए धान (चावल) को दाने का आकार और गुणवत्ता के आधार पर मुख्यतः तीन श्रेणियों बासमती धान, सुगन्धित धान और असुगन्धित धान में बांटा जा सकता है। भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पादित बासमती धान अपने अद्भुत गुणों...

Weeds in the vegetables and their management एक विशेष स्थिति में अवांछनीय पौधे खरपतवार माने जाते है। सब्‍जी फसलों में खरपतावार के कारण उत्‍पादन तथा गुणवत्‍ता में महत्‍वपूर्ण कमी होती है। अत: इन फसलों में समय पर खरपतवार नि‍यंत्रण अतयंत आवश्‍यक सस्‍य क्रि‍या है। सब्जी की फसल को अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक दुरी पर लगाते हैं जिससे खरपतवार की बढवार के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है और वे अधिक वृद्धि करते हैं। फसल में खरपतवार के लक्षण ये प्राकृतिक रूप से स्थाई प्रवृति वाले होते हैं। ये एक, दो तथा बहुवर्षीय होते हैं। इनमें विषम परिस्थितियों में उतर जीवित रहने की क्षमता पाई जाती है। इनमें फूल, फल तथा बीज जल्दी तथा अधिक संख्या में...

Engineering of Stem rot resistance in oil seeds through biotechnology   ति‍लहनी फसलों का एक अति मत्वपूर्ण फफूंदी कारक रोग, स्क्लेरोटिनिया तना सड़न / गलन नाम से जाना जाता हैं। इसी रोग को उदाहरण के रूप में लेते हुए प्रस्तुत समीक्षा इस तथ्य को विस्तार से प्रस्तुत करेगी की, किस प्रकार कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, किसानों की समस्याओं का प्रभावी समाधान ढूंढ़ने में सक्षम है । स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम बैक्‍ट्रीया जनित तना गलन रोग स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम (Sclerotinia sclerotiorum (Lib) de Bary) जीवाणु एक नेक्रोट्रॉफिक पैथोजन है , यानि‍ यह अपना भोजन पौधों के सडे-गले अवशेषों से प्राप्त कर जीवित रहता है। इस जीवाणु की जीवन चक्र की चार अवस्थाएं: स्केलोरेसिया (sclerotia), एपोथेसिएम (apothecium), एस्कोस्पोर (ascospores) तथा माइसीलियम (mycelium)...

Post harvest management of Baby Corn. बेबी कार्न को बाजार फसल के रूप में उगाया जा सकता है। कार्न के ताजेपन, नमी और गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए छिलकों के साथ बेबी कार्न का विपणन करने की शिफारिस की जाती है। बेबी कार्न की विपणनीयता का निर्धारण करने में विपणन मानक मुख्य कारक होते हैं। बाजार के मानकों में नाशीजीवों या रोगो के कारण होने वाले नुकसान से मुक्त, सफेद से हल्के पीले तक के भिन्न रंग बेबी काॅर्न की बेलनाकार आकृति और आकार के आमाप शामिल होते हैं। उद्योग में बाजार/ डिब्बे बंदी के लिए इष्टतम आकार की आवश्यकता है। छिलका उतरे हुए बेबी कार्न 4.5 से 10 सेमी. लम्बे,...

Use of Hydroponic in Fodder Production हाइड्रोपोनिक्स या जल कृषि शब्द ग्रीक शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है पानी में कार्य करना अत: इस तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के सिर्फ खनिज घोल वाले जल में उगाया जाता है। इसमें की जाने वाली कृषि नियंत्रित वातावरण में की जाती है, जिन्हें ग्रीन हाउस कहते हैं। भारत में पशुधन की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है। यहां 299.9 मिलियन बोवाइन, 65.06 मिलियन भेड़ें, 135.17 मिलियन बकरियां, 0.62, मिलियन घोड़े, 0.40 मिलियन ऊंट एवं 729.2 मिलियन पोल्ट्री पाई जाती है, जो कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एवं लोगों के जीवन यापन का एक मुख्य भाग बनाते हैं। आज के समय में हमारा देश 61.1...

DWRB.137: Barley's high productive, anti yellow-rustic and six-line new variety जौ का उपयोग प्राचीन समय से ही भोजन एवं पशु चारा के लिए किया जाता रहा है । पुरातन समय मैं जौ का उपयोग योद्धाओं द्वारा शक्ति विकास एवं पोषण के लिए किया जाता था । वर्तमान मैं भी जौ की फसल एक बहुविकल्पीय फसल है क्योंकि यह अन्य रबी खाधान्नों की अपेक्षा कम लागत मे तैयार हो जाती है एवं यह लवणीय और क्षारीय भूमि एवं शुष्क क्षेत्रों के लिए भी वरदान है। जौ के निरंतर प्रयोग से  यह एक औषधि का भी काम करती है और इसके रोजाना उपयोग कुछ बिमारियों जैसे मधुमेह, कोलेस्ट्रोल मे कमी एवं मूत्र रोग मैं...

5 Major diseases of mango and their management आम भारत का प्रमुख फल है जिसे फलों के राजा की उपाधि भी दी गई है। इसके स्वाद, उम्दा सुगंधि के साथ यह फल वि‍टामि‍न ए तथा सी का एक प्रचुर स्रोत है। आम का पाैैैधा प्रकृति‍ि‍ में दढृ होता है अतः कम कीमत व कम मेहनत में इसका रखरखाव कि‍या जा सकता है। भारत में कुल फल उत्पादन क्षेत्र 1.2 मि‍लयन हेक्टेयर में आम का उत्पादन क्षेत्र लगभग 22% है तथा उत्पादन 11 मि‍लयन टन है। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश सवााधिक आम उत्पादक क्षेत्र हैं इसका उपयोग अपरि‍ि‍पक्व तथा परि‍पक्व दोनों अवस्थाओं में कि‍या जाता है। कच्चे अपरि‍पक्व फलों का उपयोग चटनी, अचार व जूस...

Orobanche, an unsolved problem of Indian mustard and ways of its management भारत में खेती की जाने वाली सात खाद्य तिलहनी फसलों में, रेपसीड-सरसों का तेल उत्पादन में 2.9% का योगदान होता है जो कि मूंगफली के बाद दूसरे स्थान पर आता है और ये भारत के तिलहन अर्थव्यवस्था का कुल 28% साझा करता है। भारत में सरसों को उगाने वाले प्रमुख राज्यों के अधिकांशतः क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के जैविक और अजैविक तनावों का असर पड्ता रहता है। इन तनावों में, ओरोबेंकी (Orobanche) प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। ओरोबेंकी या ओरोबेंकी (फेलिपेन्च और ओरोबैन्के) ओरोबेंकिएसी परिवार के समूह से जुड़ीीी, एक बाध्यकारी जड़ निहित - परजीवी घास हैं और दुनिया भर...