गाय और उसके बछड़े की देखभाल

गाय और उसके बछड़े की देखभाल

Care of cow and its new born calf

डेयरी फार्मिंग कृषि समुदाय के साथ-साथ भूमिहीन गरीबों का एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। डेयरी फार्मिंग की लाभप्रदता कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे पशुओं की दूध की उपज, बछड़े के उत्पादन में नियमितता, चारे की लागत, श्रम लागत और प्रबंधन आदि। उत्पादन प्रदर्शन में प्रजनन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नियमित रूप से प्रजनन और उत्पादन के लिए पोषण और स्वास्थ्य देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है। बछड़े का विकास गर्भधारण के अंतिम दो महीनों के भीतर होता है। गर्भवती बांध का प्रबंधन उसके खीस  में पाए जाने वाले एंटीबॉडी की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करता है, जो सीधे बछड़े के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पर्याप्त विटामिन और खनिजों के साथ संतुलित चारा, गाय और उसके अंदर विकसित होने वाले बछड़े के लिए महत्वपूर्ण है।

गाय की देखभाल

(१) प्रसव से पहले

गर्भावस्था के अंतिम चरण में गर्भवती गाय को अन्य गायों से अलग रखा जाना चाहिए। गर्भवती गाय का कमरा साफ एवंम कीटाणुरहित होना चाहिए।·      

गर्भावस्था के अंतिम चरण में अधिक दूध देने वाली गाय एवं पहले केल्वर्स दुग्ध ज्वर (मिल्क फीवर) के लिए अति संवेदनशील होते हैं। इससे बचने के लिए, दैनिक आहार में विशेष रूप से पर्याप्त कैल्शियम प्रदान किया जाना चाहिए । प्रसव से एक सप्ताह पहले गाय को  विटामिन डी की  खुराक देनी चाहिए ।

45-60 दिन शुष्क काल की अवधि गर्भवती गाय के अच्छे स्वास्थ्य, भ्रूण के सामान्य विकास और इष्टतम दूध उत्पादन के लिए आवश्यक है।

(२) प्रसव के दौरान

प्रसव पीड़ा के दौरान गाय  बेचैन होती है जिसके कारण वह बार –बार  बैठती और उठती रहती  हैं । प्रसव के समय पशु को परेशान किए बिना सुरक्षित दूरी से निरीक्षण करें।

प्रसव की अवधि सामान्य स्थिति में २-३ घंटे की  होती है जबकि पहली डिलीवरी में ४-५ घंटे या इससे अधिक भी लग सकते है।

प्रसव के समय बछड़े की सामान्य प्रस्तुति में विचलन होता है तो पशु चिकित्सक की तत्काल मदद ली जानी चाहिए।

(३) प्रसव के बाद·      

प्लेसेंटा को सामान्य मामले में प्रसव के बाद ५-६ घंटे के भीतर गाय दुआरा निष्कासित कर दिया जाता है, जबकि यदि ८-१२ घंटों के भीतर नहीं निकले तो पशुचिकित्सक की सहायता लें और आवश्यकता अनुसार इलाज करें।

गाय को गुनगुना पानी पीने के लिए दे।

गाय के शरीर को एंटीसेप्टिक युक्त साफ और गर्म पानी से साफ किया जाना चाहिए।

गाय को गुड़ के साथ सिक्त चोकर देना चाहिए।

प्रसव के बाद जब गाय का दूध दुहा  जाता है तो सुनिश्चित करें कि थनों में से सारा दूध निकाल लिया हो।

गाये को पर्याप्त खनिज प्रदान करें और उच्च उपज देने वाली गायों में दुग्ध ज्वर से बचने के लिए एक समय में पूरी तरह से दूध न दुहे।

बछड़े की देखभाल

जन्म के तुरंत बाद बछड़े के नेवल कॉर्ड को ७% टिंचर आयोडीन सलूशन में डुबोया जाना चाहिए।

ठंड के मौसम में यदि गाय बछड़े को नहीं चाटती है, तो बछड़े को साफ कपड़े से सुखाया जाना चाहिए। यह अभ्यास न केवल बछड़े को सुखाता है, बल्कि बछड़े के रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करता है।

बछड़े को जन्म के १२ घंटे के भीतर खीस पिलाया जाना चाहिए। खीस बछड़े के लिए  पोषक तत्वों का एक प्राथमिक स्रोत  है। खीस में पाचन तंत्र के विकास के लिए आवश्यक हार्मोन और विकास कारक होते हैं। लैक्टोज की मात्रा खीस में  कम होती है, इस प्रकार दस्त होने की घटना घट जाती है।

बछड़ो को साफ़-सुथरे वातावरण में रखना चाहिए जिससे उनको स्वच्छ व शुद्ध हवा मिल सके । गीले और गंदे कमरे में सांस संबंधी बीमारियों जैसे निमोनिया और दूसरी बीमारियां लगने का भय रहता है ।

जन्म के बाद, बछड़े को कान का टैग पहचान चिन्ह के तोर पे लगाया जाना चाहिए।

सुरक्षा की  दृष्टी, स्थानाभाव एवं सींगो के बचाव के लिए सींग  रोधन करना बहुत आवाश्यक है । अतःएक से दो सप्ताह की आयु पर बछड़ो को सींग रहित कर देना चाहिए ।

कई बार बछड़ो के पाचन तंत्र में आंतरिक परजीवियों या कृमियों की उपस्थिति इनकी शारीरिक बढ़ोतरी में आड़े आती है इसलिए जन्म के १५ दिनों के भीतर बछड़ों को कीड़े मारने की दवा दी जानी चाहिए।

बछड़ो को गलघोटू , मुहं एवं खुरपका रोग, माता महामारी, ब्रूसीलोसिस, चरचरी लंगड़िया रोग तथा एंथ्रेक्स इत्यादि रोगों से बचने के लिए एक माह की आयु के बाद समय-समय पर अपने पशु चिकित्सक की सलाह पर टीकाकरण आवाश्य करवा लें ताकि भविष्य में इन रोगों की लगने की संभावना न रहे   ।

इस प्रकार गाय एवं उसके बच्चे का उचित प्रबंधन कर, अच्छा संतुलित आहार उपलब्ध करवाएं तथा उन्हें बीमारियों से बचाकर अधिक उत्पादन  करने के योग्य बनाये ।


लेखक:

डॉ श्रिया गुप्ता, डॉ मधुमीत सिंह एवं डॉ नीलम

,३ वेटरनरी डॉक्टर,प्राध्यापक एवं विभाग के प्रमुख

डॉ जी.सी नेगी पशुचिकित्सालय एवं पशुविज्ञान महाविद्यालय, पालमपुर  हिमाचल प्रदेश । 

ईमेल: 1994shriyagupta@gmail.com 

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