Crop Varietes

मध्यप्रदेश के लिए आलू की अधिक उपज देने वाली नई किस्में मध्य प्रदेश भारत में आलू का पांचवा प्रमुख उत्पादक राज्य है। इस राज्य ने विगत 7-8 वर्षों के दौरान आलू उत्पादन में लम्बी छंलाग लगाई है। इस अवधि के दौरान मध्यप्रदेश में आलू के क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हुई है। आलू के अन्तर्गत कुल कृषिगत क्षेत्रफल में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। यह क्षेत्रफल वर्ष 2010-11 में 62 हजार है0 था जो कि वर्ष 2018-19 में बढकर 145 हजार है0 हो गया। इसी अवधि में उत्पादन में भी चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है जो कि 743 हजार मिलियन टन से बढकर 3315 हजार टन एवं...

पादप रोग विज्ञान में नैनो टेक्नोलॉजी की भूमिका Nanotechnology has valuable practices in management of plant disease in different ways; the most common is nanoparticle application on seeds and soil or leaves to protect the plants from pathogens or to control infection (Khan and Rizvi 2014). Crop cultivation is affected with number of different fungal, bacterial and viral diseases. Plant pathogenic fungi must be controlled due to increasing consumer demand in developed countries for premium quality and diverse food; while high quality cereals, fruits and vegetables are indicator of economic growth in developing countries. Commercial agriculture is heavily dependent on high inputs of chemical pesticides to protect crops against pathogens and pests. After the introduction of fungicides in 1940, the...

सोयाबीन (ग्लाइसीन मैक्स) की प्रमुख किस्में और उनकी विशेषतायें सोयाबीन एक दलहन कुल की मुख्य तिलहनी फसल है| इसमें 30-40 प्रतिशत प्रोटीन तथा 20-22 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है| यह भोजन और पशु आहार के लिए प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है| इसका वनस्पति तेल खाद्य व औधोगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है| सोयाबीन एक प्रमुख खरीफ फसल है, इसकी बुआई जून-जुलाई में और कटाई सितम्बर-अक्टूबर में की जाती है| राजस्थान में इसकी खेती झालावाड़, कोटा, बारां, चित्तौडगढ़ आदि जिलों में की जाती है| सोयाबीन की प्रमुख किस्में और उनकी विशेषतायें: राजस्थान में उगाई जाने वाली सोयाबीन की विभिन्न किस्में जो सोयाबीन के उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती...

पोषक तत्वों से भरपूर परन्‍तू कम प्रचलि‍त अनाज: फोनियो बाजरा Fonio (Digitaria exilis), also referred to as white fonio or fonio millet, is one of the oldest cereal crops domesticated by farmers in West Africa. Its cultivation seems to have started about 7000 years ago. Fonio species belong to Poaceae family, sub-family of Panicoideae, tribe of Paniceae and the genus Digitaria. Fonio grains are extraordinary tiny with 1,000 grains weighting 0.5-0.6 g. Fonio is often consumed in West Africa. It is one of the world’s fastest maturing cereals. It is believed to be one of the oldest cereals in West Africa, where it is indigenous. In some parts of Africa, like in regions of...

ऑयल पाम नर्सरी को संक्रमि‍त करने वाली बालवाली इल्‍ली, डासचिरा मेंडोसा हबनर Oil palm, Elaeis guineensis Jacq is the richest source for vegetable oil production with a capacity of 4-6 tons of oil per ha per year. The productivity of the palm is affected by at least 80 species of arthropods that are potential pests on oil palms. There are many insect pests viz., bagworm, leaf webworm, hairy caterpillars, grasshoppers, flea beetles, ash weevils, termites, rodents, wild boar etc. which damage the oil palm nursery and affect their normal growth and development. Superior planting material is one of the basic factors affecting the success of an oil palm plantation. Good nursery management would...

फलदार बागीचे की स्थापना एवं प्रबंधन बागबानी एक दीर्घकालीन निवेश है अतः एक फलदार बागीचे की स्थापना एवं प्रबंधन बहुत ही सावधानीपूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। अधिकतम पैदावार और ज्यादा से ज्यादा लाभ सुनिश्चित करने हेतु बागीचे के लिए उपयुक्त स्थान का चयन, सही रोपण प्रणाली, उचित रोपण दूरी, पौधों की अच्छी किस्मों का निर्धारण, नर्सरी से स्वस्थ पौधों का चुनाव, पौधों की देखभाल, फसल की मार्केटिंग इत्यादि बहुत से महत्वपूर्ण कारक हैं। बागीचे के लिए उपयुक्त भूमि और स्थान का चुनाव एक अच्छा बागीचा लगाने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां पाला कम पड़े और जो प्राकृतिक विपदाओं व जंगली जानवरों से सुरक्षित हो। स्थान ऐसा हो...

बागवानी फसलों में कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को कम करना - एक समाधान उद्यानिक फसलों में कीटनाशी रसायनों के अधिक प्रयोग से कई तरह की आर्थिक, पर्यावरणीय एवं स्वास्थ संबंधी समस्यायें सामने आ रही हैं। इन फसलों में फसल सुंरक्षा के लिए रसायनिक कीटनाशियों पर आवश्यकता से आधिक निर्भरता के कारण खेती के लागत खर्च बढ़ते चले जा रहे है जिससे किसानों का आर्थिक मुनाफा कम हो रहा है। कीटनाशकों के अनियमित एवं अनियंत्रित प्रयोग के कारण कई तरह के पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो रही है यथा हानिकारक कीटाे के कीटनाशकोे के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकसित होना, हानिकारक कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं एवं परभक्षी जीव जन्तुओं की संख्या में कमी होना एवं...

रबी मौसम में जलजमाव वाले क्षेत्रों में बोरो धान एक विकल्प  धान भोजन का एक प्रमुख फसल के साथ.साथ कार्बोहाड्रेट का मुख्य श्रोन्न है जिससे मनुष्य अपने भोजन का अधिकांश भाग पूरा करता है। धान की खेती मुख्यतः खरीफ मौसम में की जाती है परन्तु इस मौसम में कीट-पतंग, बीमारीयों तथा मौसमी खरपतवार का प्रकोप होने के कारण फसल की वांछित उपज प्राप्त नहीं होती है। इसके बिपरीत रबी मौसम की बोरो धान  में लगने बाली कीट-पतंग, बीमारियाँ तथा मौसमी खरपतवार कम लगने के साथ-साथ सूर्य की अबधि खरीफ मौसम की तुलना में प्रति इकाई अधिक होती है।  परिणमतः प्रति पौधों में किलों की संख्या अधिक होती है जिसके कारण प्रति वर्गमीटर...

कीवी फल की मुख्य प्रजातियां 1. एबट - यह एक अगेती किस्म है। इसके फल मध्यम आकार के तथा इनका औसत वजन 40-50 ग्राम होता है। 2. एलिसन - इसके फल पतले और लंबे होते हैं जिनमें खट्टापन जरा ज्यादा होता है। 3. ब्रूनो - इसके फलों का आकार मध्यम एवं रंग भूरा होता है। फलों में अम्लता कम होती है तथा इस प्रजाति को अपेक्षाकृत कम तापमान की आवश्यकता होती है। 4. हेवर्ड - इसके फल ज्यादा आकर्षक दिखते हैं तथा इन्हें ज्यादा समय तक रखा जा सकता है। इसमें घुलनशील शर्करा 14% तक होती है जो अन्य प्रजातियों से काफी अधिक है। कम ताप वाले ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र इसके लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। इस प्रजाति...

परवल या पॉईटि‍ड गोड की उन्‍नत कि‍स्‍में। परवल की कि‍स्‍में :  परवल की प्रमुख उन्नतशील किस्मे निम्नवत है  किस्मे          विशेषता एफ. पी- 1 इसके फल गोल एवं हरे रंग के होते है, तथा यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश एवं बिहार में उगाई जाती है | एफ. पी- 3 इस प्रजाति के फल पर्वल्याकार होते है तथा इनपर हरे रंग की धारियां होती है | तथा ये पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त प्रजाती है | एफ. पी- 4 इस प्रजाती के फल हलके हरे रंग के एवं पर्वल्याकार होते है, तथा उसर भूमी के लिए उपयुक्त किस्म है, प्रति हेक्टेयर 100-110 कुंतल उपज प्रदान करती है | राजेन्द्र परवल-1 यह किस्म मुख्या रूप से बिहार के दियारा क्षेत्र...