Soil & Fertilizers

पौधों के विकास में सूक्ष्मजीवों की भूमिका Microorganisms have developed diverse strategies to survive and compete for the resources of their habitat, and one of them is the production of inhibitory substances. Growth-inhibitory microbes are microorganisms that produce compounds or enzymes that inhibit other microorganisms. inhibit the growth or metabolism पौधों के विकास में सूक्ष्मजीवों की भूमिका एक सूक्ष्मजीव एकल-कोशिकिय या बहुकोशिकीय सूक्ष्म जीव हो सकता है जो आम तौर पर केवल एक माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखा जा सकता है। सूक्ष्मजीवों में बैक्टीरिया, कवक, आर्किया, प्रोटोजोआ, वायरस इत्यादि शामिल हैं। ये पृथ्वी पर सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पहाड़ों तक हर जगह पाए जाते हैं, और विभिन्न पारिस्थितिक प्रक्रियाओं जैसे पोषक...

Importance and factors affecting of earthworms in soil मृदा मानव जाति की सबसे बड़ी विरासत है और सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन भी है। इंसान ऐतिहासिक रूप से शिकार पर निर्भर थे और जीवनयापन के लिए भोजन का संग्रह  मृदा  से करते थे। हमारे मृदा के साथ संबंध मृदा की जुताई से जुड़े है। जिसके कारण आज मानव सभ्यता का विकास हुआ है और ये मानव और मृदा के संबंध को देख कर हम कह सकते है की मृदा कृषि के लिए एक आधारभूत हिस्सा है । आज-कल देखा जा रहा है की वन कटाई, अधिक चराई, फसल जलाना, अधिक मात्रा में कृषि रसायन एवं कम कार्बनिक खाद का प्रयोग और कृषि योगय...

Improvement of saline and alkaline soils  मृदाओं में अधिकांश मृदाये लवणीय हैं जिनका समुचित सुधार सतही मृदा से लवणों का निक्षालन ढलान के नीचे की ओर जल निकास नाली बनाकर किया जा सकता हैं इन मृदाओ में लवण सहिष्दु किस्मो का चयन कर फसलो की खेती करना अधिक लाभप्रद रहता हैं l क्षारीय मृदाओ का शेत्रफल करीब 18 से 20% हैं तथा ये मृदाऐ चूनायुक्त भी हैं l इन मृदाओ के सुधार हेतु निम्न प्रक्रियाए अपनानी चाहिए l इन मृदाओ को सुधारने की विधियों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जाता हैं:- भौतिक एवं जल –तकनीक सुधार रासायनिक सुधार जैविक सुधार l 1. भौतिक एवं जल – तकनीक सुधार :- यांत्रिक विधिया इन मृदाओ के भौतिक गुडों को...

Soil Biodiversity Harness and Management for Sustainable Agricultural मृदा जीव पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं। मिट्टी का बायोटा पौधों और जानवरों / मानव जीवन को बनाए रखने के लिए अत्यावश्यक है। मृदा  मैं रहने वाले सूक्ष्मजीव मिट्टी की प्रक्रियाओं में आवश्यक भूमिका निभाते हैं जैसे कि कार्बन / पोषक तत्व चक्र , पौधों द्वारा पोषक तत्व और मिट्टी कार्बनिक पदार्थ (एसओएम) का गठन। मृदा में कई ऐसे जीवाणु है जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं। इस बात के भी प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मिट्टी की जैव विविधतापौधों, जानवरों और मनुषय कीटों और बीमारियों के नियंत्रण में योगदान करते  है। खाद्य उत्पादन काफी हद तक जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र...

Soil erosion and its management in the current environment   मानव सम्यता का अस्तित्व प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। उनमें मिट्टी, प्रकृति की एक अनुपम भेंट है। प्रकृति इसका संरक्षण वनस्पतियों के माध्यम से करती हैं। प्रकृति ने मिट्टी के संरक्षण के लिए जो कवच प्रदान किया है, उसे मानव हस्तक्षेप से क्षति पहुंच रही है। फलस्वरूप, मृदा क्षरण तेजी से होने लगाहै। भूमि कटाव की समस्या न केवल भारत में, बल्कि विश्वव्यापी है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर में, 17 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक, भूमि, जल, वायु और स्थानविशिष्ट कारणों से प्रभावित हो रहा है। देश में 58 प्रतिशत भूमि की खेती...

Different types of organic fertilizer for healthy soil and more crop production वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.35 अरब (विश्व बैंक, 2018) है तथा खाद्यान्न उत्पादन 285 मिलियन टन (2017-18) है। एक अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या 2050 तक 1.67 अरब हो जायेगी। भारत की इस बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के लिए खाद्यान्न उत्पादन को 2050 तक 333 मिलियन टन तक बड़ाना पडेगा। बडती हुई खाद्यान्न माॅग की पुर्ति के लिए अधिक से अधिक खाद्यान्न उत्पादन के प्रयास कि‍ए जा रहे है। खाद्यान्न उत्पादन बढाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध  प्रयोग किया जा रहा है जिससे प्रकृति में उपस्थित जैविक व अजैविक चक्र प्रभावित हो रहे...

Importance of Soil Testing and Method of Soil Sampling in Agricultural and Horticultural Crops जिस प्रकार मनुष्य को जीवित रहने के लिए भिन्न-भिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार पौधों के संपूर्ण विकास हेतु कम से कम 17 किस्म के पोषक तत्व आवश्यक हैं इनमें से गैर खनिज तत्व पौधे हवा और पानी से स्वयं लेते हैं लेकिन शेष 14 तत्व पौधे जड़ों द्वारा मिट्टी से ही प्राप्त करते हैं। पौधों के पोषक तत्‍वों को 4 समुहों मे बांटा जा सकता है। गैर खनिज पोषक तत्व - कार्बन, हाईड्रोजन और ऑक्सीजन। प्रधान खनिज पोषक तत्व - नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश। गौण खनिज पोषक तत्व - कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर। सूक्ष्म पोषक तत्व - लोहा,...

Soil Health Management through Waste Management भारत में बड़ी संख्या में फसलें उगाई जाती हैं जिसके चलते प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलियन टन फसल अवशेष रीसाइक्लिंग के लिए उपलब्ध होते हैं। इन फसलों के आर्थिक भागों का उपयोग करने के बाद, कुछ फसलों को छोड़कर, अक्सर अवशेषों को जलाकर निपटाया जाता है जिससे इनका ज्यादातर भाग बर्बाद हो जाता है एवं वातावरण प्रदूषित होता है। यह फसल अवशेष पौधों के पोषक तत्वों (क्रमशः 0.5, 0.6 और 1.5 मिलियन टन के लगभग नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) का एक बड़ा भंडार हैं। घरों तथा खेतों में जो कूड़ा करकट पैदा होता है उसे अगर ऐसे ही इधर-उधर पड़ा रहने दें तो वह एक गंदगी का...

Importance of soil testing and method of collecting soil samples भारत में मिट्टी परीक्षण सेवा 1956 मे 24 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुई थी।  मृदा की जाँच एक रसायनिक प्रक्रिया है जिससे मिट्टी मे उपस्थित पौधों के पोषक तत्वों का निर्धारण व प्रबंधन किया जाता है।मृदा जांच से फसल बोने से पूर्व ही पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा ज्ञात की जाती है। जिससे आवश्यक उर्वरकों की पूर्ति फसल की आवश्यक्ता के अनुसार किया जा सके। मृदा जाँच के उददेश्य:– मृदा में पोषक तत्वों की सही मात्रा ज्ञात करना तथा उसके आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करना। मृदा की विशिष्ठ दशाओं का निर्धारण करना जिससे मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारक पदार्थों की...

Environmental friendly agriculture through bio fertilizers खेत की मिट्टी एक जीवंत माध्यम है जिसमें प्रति ग्राम करोड़ों की संख्या में लाभदायक/मित्र जीवाणु पाए जाते हैं। कुछ पौधों जैसे कि  चना, सोयाबीन, मूंगफली आदि फलीदार फसलों की जड़ों पर गुलाबी गांठों के रूप में भी सूक्ष्म जीवाणु निवास करते हैं। यह जीवाणु अपनी जैविक क्रियाओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण या मिट्टी में अनुपलब्ध दशा में मौजूद पोषक तत्वों को उपलब्ध दशा में परिवर्तित करते  रहते हैं तथा फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान  प्रदान करते हैं। सघन खेती में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से इन मित्र जीवाणुओं की संख्या में कमी आई है तथा मिट्टी स्वास्थ्य में भारी गिरावट आई है। इसकी उत्पादन...