बंद गोभी की उन्नत खेती
बंद गोभी या पात गोभी का वानस्पतिक नाम ब्रैसिका ओलिरेसिया वेरायटी कैपिटाटा एवं उत्पत्ति स्थान उत्तरी यूरोप एवं भूमध्य सागर का उत्तरी तट हैं | बंद गोभी का प्रयोग यूनानियों एवं रोमवासियों द्वारा प्राचीन काल (2500-2000 ई.पू.) से किया जा रहा है | यूरोप में इसका उल्लेख नवीं शताब्दी में मिलता है | यहाँ से ही यह शक भारत में आया |
इसका सर्वाधिक उत्पादन पशिचम बंगाल में होता है | इसके अतिरिक्त उडीसा, बिहार, आसाम, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, आदि अन्य राज्यों में इसका उत्पादन किया जाता है |
किस्म का नाम |
विशेषताएं |
(अ) अगैती किस्मे |
|
1. कोपेनहेगेन मार्केट |
90 दिन में परिपक्वता |
2. गोल्डन एकर |
60-65 दिन में परिपक्वता |
3. प्राइड ऑफ इंडिया |
70-90 दिन में परिपक्वता |
4. पूसा अगैती |
75-90 दिन में परिपक्वता |
5. पूसा सम्बन्ध |
60-90 दिन में परिपक्वता |
6. पूसा मुक्त |
70-75 दिन में परिपक्वता |
(ब) पछैती किस्में |
|
1 पूसा ड्रमहेड |
80-90 दिन में परिपक्वता |
2. लेट-के-१ |
90-100 दिन में परिपक्वता |
3. लेट लार्ज ड्रमहेड |
100-115 दिन में परिपक्वता |
4. सितम्बर |
105-110 दिन में परिपक्वता |
उपरोक्त किस्मों के अलावा ग्रीन बाय,ग्रीन एक्सप्रेस,चीफटेन,श्री गणेश गोल, नाथ लक्ष्मी-401, बजरंग, सुवर्णा, सुधा, वी.एस.एस.32, पी.टी.23 आदि किस्मे ग्रीन हाउस में उगाई जाती हैं|
जलवायु:-
बंद गोभी अपेक्षाकृत अधिक ठंढी व् नम जलवायु में अच्छी तरह से उगाई जाती है| इसलिए इसे उत्तरी भारत के मैदानों में शीतकाल में तथा पहाड़ी क्षेत्रों में बसंत काल में उगाते हैं | बीजों का सर्वाधिक अंकुरण 12.8-15.6 डिग्री सेल्सियस पर होता है |अधिकांश किस्मों की वनस्पतिक वृद्धि 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है
भूमि एवं इसकी तैयारी -
बंद गोभी के लिए भूमि की एक गहरी जुताई और दो-तीन जुताई हल्की करते है फिर पाटा चला देते है,इसके के लिए बलुई दुमट भूमि अच्छी होती है,परन्तु अधिक पैदावार के लिए जीवांश युक्त भरी मटियार दुमट भूमि अच्छी रहती है| भूमि का पी-एच मान 6.5-7.0 अच्छा माना जाता है|
बोआई
अगेती फसल के बीज अगस्त –सितम्बर में और पछेती के लिये सितम्बर –अक्टूबर में बोये जाते है| अगेती फसल के लिये 500 ग्राम एवं पछेती फसल के लिये 375 ग्राम बीज प्रति हेक्टर की आवश्यकता होती है|
नर्सरी लगाने के 4-6 बाद रोपाई करते है| पौधों में पंक्ति से पंक्ति की दुरी 60 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दुरी 30-40 से.मी.रखते हैं| बंद गोभी की रोपाई का समय उत्तरी भारत में अक्टूबर से दिसम्बर तक है|
खाद एवं उर्वरक
बंद गोभी में निम्नलिखित खाद एवं उर्वरक देने की संस्तुति की जाती है---
200 कुंतल गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद |
रोपाई के दो सप्ताह पूर्व |
300 किग्रा.केल्सियम अमोनियम नाइट्रेट 400 किग्रा.सिंगल सुपर फास्फेट 100 किग्र.म्यूरेट आफ पोटाश |
रोपाई के 2-3 दिन पूर्व |
150 किग्रा. यूरिया |
रोपाई के 5-6 सप्ताह बाद दो बार में देना चाहिए|
|
सिचाई एवं अन्य क्रियाएँ
बंद गोभी की लगातार वानस्पतिक वृद्धि की लिये भूमि में पर्याप्त नमी की आवश्यकता है इसलिए दो या तीन सप्ताह के अंदर पर हल्की सिचांई करते रहते है|भूमि में शुष्कता आ जाने के बाद एकदम भरी सिचाई देने से सिर फट जाते हैं|
खेतों में काली पालीथीन बिछाने से खरपतवारो के नियंत्रण के साथ मिट्टी की नमी का संरक्षण भी होता है|इससे पातगोभी की अच्छी वानस्पतिक वृद्धि होती है फलस्वरूप उपज में वृद्धि हो जाती है|
कटाई एवं उपज
उत्तरी भारत के मैंदानों में कटाई दिसम्बर से अप्रैल तक होती है| सिरों के पूरी तरह बड जाने पर उन्हें काट लेते हैं|ऊपर के दो या तीन पत्ते हटाकर विक्रय के लिये बाजार में ले जाते है| अगेती फसल की उपज लगभग 200 कुंतल प्रति हेक्टर होती जबकि मुख्य फसल से 300-500 कुंतल उपज मिलती है|
Authors
दीपक मौर्य, शिवम दूबे, अंकित कुमार पांडे, राम निवास, रोहित कुमार मौर्य, वी बी सिंह.
ईमेल-