फलदार पौधों में पत्ती विश्लेषण द्वारा पोषक तत्व प्रबंधन

फलदार बागीचों के विभिन्न खण्ड (ब्लाक) या खेत फल उत्पादकता में प्राय: एक दूसरे से भिन्न होते हैं। इसके बहुत से कारण हैं जैसे कि पौधों की किस्म और आयु, भूमि की किस्म एवं उसमें विद्यमान पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा इत्यादि में असमानता होना।

पौधों के समुचित विकास हेतु इनमें पोषक तत्वों की न्यूनतम एंव संतुलित मात्रा का होना आवश्यक है जो कि काफी हद तक भूमि की उर्वरा शक्ति पर निर्भर करती है। भूमि में उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग पौधों में पोषण संबंधी असंतुलन पैदा करता है जो फसल की पैदावार और फलों की गुणवत्ता को गंभीर रूप से कम कर सकता है एवं इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।

पौधों की समुचित बढ़ौतरी तथा फल उत्पादन क्षमता में भूमि की उर्वरा शक्ति के अनुरूप उर्वरकों का प्रयोग एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए बागीचे के प्रत्येक खण्ड के पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की वर्तमान स्थिति जानने एवं उसके आधार पर उर्वरक निर्धारण करने के लिये भिन्न-भिन्न खण्डों के पौधों का मृदा परीक्षण के साथ-साथ पत्ती विश्लेषण बहुत ही लाभदायक है।

बागवानी जैसी लंबी अवधि और गहरी जड़ वाली फसलों की पोषण स्थिति का आंकलन करने में पत्ती विश्लेषण सबसे उपयुक्त तकनीक मानी गई है।

पत्ती विश्लेषण क्या है?

पत्ती विश्लेषण का अर्थ है पत्तियों में पाये जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा जानने के लिये उचित समय व विशेष तौर पर इकट्ठी की गई पत्तियों के नमूनों की रासायनिक जांच करना। इस विश्लेषण की रिपोर्ट को स्वस्थ पौधों में तत्वों की निर्धारित की गई मात्रा (उदाहरण के लिये नींबू प्रजातीय फल पौधों हेतु सारिणी 1) से मिला कर यह पता लगाया जाता है कि क्या पौधों में तत्वों की मात्रा कम, कुछ कम, पर्याप्त, अधिक या बहुत अधिक है।

यदि किसी खण्ड के पौधों में किसी एक तत्व की मात्रा पर्याप्त निर्धारित मात्रा से  नीचे है तो इस तत्व विशेष के लिये खाद/ रासायनिक उर्वरक का प्रयोग आवश्यक है। यदि पौधों में यह मात्रा पर्याप्त निर्धारित मात्रा से अधिक पाई गई तो उस तत्व या उर्वरक की उपयोग में लाई गई मात्रा को कम करना जरूरी है।

यदि किसी खण्ड के पौधों में विश्लेषण द्वारा ज्ञात की गई तत्वों की मात्रा पर्याप्त निर्धारित मात्रा के बराबर है तब प्रचलित वार्षिक कार्यक्रम या सामान्य सिफारिशों के अनुसार ही खाद/उर्वरकों का प्रयोग करते रहना चाहिए। क्योंकि सामान्य सिफारिशें प्रायः बागीचे/पौधों की सामान्य स्थिति के आधार पर ही की जाती हैं।

पत्ती विश्लेषण के उद्देश्य क्या हैं?

पत्ती विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि पौधों के किसी एक खण्ड में कौन-कौन से आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हैं तथा उनकी मात्रा कितनी है। इस जानकारी को मृदा परीक्षण के साथ

सारिणी 1: नींबू प्रजातीय फल पौधों के पत्तों में पोषक तत्वों की निर्धारित दर

पोषक तत्व तत्व की मात्रा
कम कुछ कम पर्याप्त अधिक बहुत अधिक
नत्रजन (%) <2.2 2.2-2.3 2.4-2.6 2.7-2.8 >2.8
फास्फोरस (%) <0.09 0.09-0.11 0.12-0.16 0.17-0.29 >0.29
पोटेशियम (%) <0.40 0.40-0.69 0.70-1.09 1.10-2.00 >2.00
कैल्शियम (%) <1.6 1.6-2.9 3.0-5.5 5.6-6.9 >6.9
मैग्नीशियम (%) <0.16 0.16-0.25 0.26-0.6 0.7-1.1 >1.1
सल्फर (%) <0.14 0.14-0.19 0.2-0.3 0.4-0.5 >0.5
लोहा (पीपीएम) <36 36-59 60-120 130-200 >200
मैग्नीज (पीपीएम) <16 16-24 25-200 201-500 >500
तांबा (पीपीएम) <3.6 3.6-4.9 5-16 17-22 >22
जस्ता (पीपीएम) <16 16-24 25-100 101-200 >200
बोरोन (पीपीएम) <21 21-30 31-100 101-260 >260

मिलाकर प्रत्येक खण्ड या बागीचे के पौधों में उपयोग के लिये खाद/ उर्वरकों की उचित मात्रा की सारणी बनाई जा सकती है। यदि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है तो इस अभाव को दूर करने के लिये संबंधित खाद/ उर्वरकों के प्रयोग की सिफारिश की जाती है।

फलोत्पादन में न केवल खाद/ उर्वरकों के आवश्यकता से कम मात्रा में प्रयोग से होने वाली हानियों को रोका जा सकता है; अपितु लगातार अधिक मात्रा में उर्वरकों के गैर जरूरी इस्तेमाल में कमी करके बेकार खर्च से बचा जा सकता है और पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सकता है। अत: पत्ती विश्लेषण द्वारा कम व्यय में बढ़िया फलों का अधिकतम उत्पादन कर बागबानों को अधिक आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सकता है। 

नमूने इकट्ठा करने की प्रक्रिया:

पत्ती विश्लेषण के लिए नमूना इकट्ठा करने का उचित समय, विशेष ढंग और विशिष्ट पत्तियों का चयन संबंधित ज्ञान का होना आवश्यक होता है।

1. नमूने इकट्ठा करने का समय:

जब पत्तियां पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं, उनमें तत्वों की स्थिति स्थिर हो जाये; वही समय पत्तियों के नमूने इकट्ठा करने के लिये उचित है। पत्तों में यह अवस्था पौधे की किस्म/ प्रजाति और भौगोलिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है। अतः नमूना लेने का उचित समय भी फल किस्म/ प्रजाति एवं स्थान/ जलवायु के अनुसार भिन्न हो सकता है। भिन्न-भिन्न समय पर एकत्रित किये गये पत्तियों के नमूनों की स्वस्थ पौधों के तत्वों की स्थिति से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि अलग-अलग समय पर इकट्ठे किये गये नमूनों में तत्वों की मात्रा भी अलग-अलग होती है।

2. पत्तियों का चयन:

नमूनों के लिए पत्तियों का चयन करते समय यह ध्यान रहे कि पत्तियां पूरे बगीचे/ खंड की सामान्य स्थिति एवं समस्या का प्रतिनिधित्व कर सकें । चुनी हुई पत्तियां एक किस्म के पौधों से ली गई हों तथा कटी - फटी, रोगग्रस्त या असामान्य न हों। शाखाओं के मध्य भाग के पत्ते ही नमूने हेतु लिये जाने चाहिएं। यह पत्ते उन नई शाखाओं से लिये जाते हैं जिनमें फल न लगे हों क्योंकि फल अपनी विकास अवस्था में निकट की पत्तियों से अधिकतम खुराक लेते हैं। अतः ऐसी टहनियों से प्राप्त पत्तियों से सही परिणाम नहीं निकल सकते। एक खण्ड में किसी एक विशेष प्रकार से ही नमूने के लिये पत्तियों का चयन किया जाना चाहिए।

3. नमूना लेने का तरीका:

बागीचे की सामान्य अवस्थाओं तथा समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बागीचे को भिन्न-भिन्न खण्डों में विभाजित कर लें तथा प्रत्येक खण्ड से एक प्रतिनिधि नमूना लें। एक नमूने में कम से कम 80-100 पत्तियों का होना आवश्यक है।

यदि बागीचों में पौधों में आपसी अन्तर अधिक है तब नमूना लेने के लिये तिरछा चल कर (चित्र 1) कन्धे तक की ऊचाई (लगभग 5 फुट) या जहां तक पहुंच सकें; शाखाओं के मध्य भाग से एक पत्ती डण्ठल समेत लें और पौधों के गिर्द घूम कर चारों दिशाओं  से 2-4 पत्तियां प्रति दूसरा पौधा एकत्रित करें।

यदि पौधों में आपसी अन्तर कम हो तो बाहर के पौधों की कतारों को छोड़ दें व बीच की कतारों में आड़े-तिरछे घूम कर (चित्र 2) अपने दाएं और बाएं के प्रत्येक तीसरे पौधे से ऊपर वर्णित विधि द्वारा एक प्रतिनिधि नमूना तैयार कर लें।  

चित्र 1: पत्तियों का नमूना लेने की विधि-1      चित्र 2: पत्तियों का नमूना लेने की विधि-2

4. विवरण पत्र भरना:

नमूने एकत्रित करने तथा प्रयोगशाला में भेजने के लिये विभाग द्वारा कपड़ा लगे लिफाफों के साथ-साथ विवरण पत्र भी बागवानों को उपलब्ध करवाए जाते हैं। इस पत्र में बागवान का नाम, पता के अलावा इलाका, फल पौधों की किस्म/ प्रजाति एवं उम्र इत्यादि के बारे में जानकारी भरनी होती है।

इस बात का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है कि उचित खाद/ उर्वरकों की सिफारिशें प्राप्त करने के लिये पिछले वर्ष अपनाया गया खाद/ उर्वरकों का कार्यक्रम तथा फल उत्पादन की मात्रा विवरण पत्र में अवश्य हो। यदि फलों की पैदावार का सही ज्ञान न हो तो अनुमानित मात्रा लिखें।

यदि खाद तथा उर्वरक विभाग द्वारा सामान्य सिफारिशों के अनुसार प्रयोग नहीं की गई हैं तो इस बारे में भी अवश्य लिखें।

विभिन्न प्रकार के फल पौधों से पत्तियों के नमूने लेने की विधि:

पर्णपाती फल पौधे:

ऐसे फल पौधे जिनकी पत्तियां पतझड़ के दौरान झड़ जाती हैं जैसे कि सेब, नाशपाती, चैरी, आडू, अलूचा, खुरमानी, बादाम इत्यादि से पत्तियां उसी मौसम में पैदा हुई टहनी के मध्य भाग से प्रथम जुलाई से अगस्त के बीच लें।

नीम्बू प्रजाति के फल पौधे:

संसार के अधिकतर क्षेत्रों में बसन्त ऋतु में आई शाखाओं से 5-6 मास बाद पत्तियों के नमूने इकट्ठा किये जाते हैं। नीम्बू प्रजाति के पौधों में प्रायः वर्ष में कई बार कोपलें आती रहती हैं; इसलिये इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि नमूनों  के लिये ली गई पत्तियां फरवरी - मार्च में आई टहनियों के ही मध्य भाग से ली जायें न कि बाद में निकली नई शाखाओं से।

इसके लिये आसान ढंग है कि फरवरी - मार्च में उगी नई फल न देने वाली शाखाओं (फल देने वाली शाखाओं के पत्तों की तुलना फल न देने वाली शाखाओं के पत्तों को देखने मात्र से ही कर सकते हैं) पर रंग से चिन्ह लगा लें। अगस्त - सितम्बर में पत्तियों व शाखाओं की छाल के रंग के आधार पर इस प्रकार की शाखाओं को पहचाना जा सकता है।

आम के पौधे:

जब आम में खूब फूल (बौर) आया हो; उस समय नई टहनियों के मध्य भाग से नवीनतम परिपक्व पत्तियां लें; किन्तु यह ध्यान रहे कि पत्तियों के नमूने पुष्पित टहनियों से न लिये जाएं।

अमरुद के पौधे:

अमरुद के पौधों की पत्तियों का नमूना लेने का उचित समय प्राय: जुलाई के अंत तक होता है। बागवान इसी मौसम में पैदा हुई शाखाओं के अंतिम छोर से पत्तियों का नमूना ले सकते हैं।

अंगूर के पौधे:

मुख्य फल शाखा की सबसे नई परिपक्व पत्तियों के डंठल लें; क्योंकि इस फल में पत्ती के दूसरे भाग की आवश्यकता नहीं होती है। यहां यह आवश्यक है कि नमूने ऐसे भाग से लिए जाएं जहां खूब धूप लग रही हो। इसके नमूने प्राय: जुलाई के प्रथम सप्ताह से अगस्त के मध्य तक लिए जाने चाहिएं।

पत्ती विश्लेषण कहां से करवाएं?

कई प्रदेशों में उद्यान विभाग में फल पौध पोषण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं जिनमें बागवानों के लिये निःशुल्क पत्ती विश्लेषण की सुविधा उपलब्ध होती है। विभाग द्वारा पत्तियों के नमूने लेने की विधि के निर्देश भी दिये जाते हैं। पत्तियों के इकट्ठा किये गये नमूने पोंछकर एवं सुखाकर कपड़ा लगे लिफाफों में डालें और विवरण पत्र सहित शीघ्र अपनी निकटतम फल पौध पोषण प्रयोगशाला को भेजें।

उचित तो यह होगा कि नमूने उसी दिन भेज दें। नमूनों के रासायनिक विश्लेषण तथा विवरण पत्र से प्राप्त तत्वों की जानकारी की स्वस्थ पौधों के तत्वों की स्थिति से तुलना कर बागवानों को खाद/ उर्वरकों के प्रयोग संबंधी सिफारिशें की जाती हैं। खादों तथा उर्वरकों के प्रयोग के लिये एक वार्षिक कार्यक्रम बनाकर बागवानों को भेज दिया जाता है।

विश्लेषण कितनी अवधि पश्चात करवाएं?

आरम्भ में आवश्यक पोषक तत्वों खासकर नत्रजन, फास्फोरस, पोटाशियम, कैल्शियम, लोहा, मैगनीज, तांबा तथा जस्ता की स्थिति की जानकारी के लिए हर वर्ष पत्ती विश्लेषण करवाना जरूरी है। यदि बोरोन, सल्फर तथा क्लोरीन की बहुतायत की आशंका हो तो इन तत्वों के लिये भी विश्लेषण करवा लें।

जब ये तत्व उचित मात्रा में पाये जायें तो केवल नत्रजन तत्व के लिये ही वार्षिक विश्लेषण करवाते रहें। तीन या चार वर्ष बाद सारे तत्वों के लिये पत्ती विश्लेषण करवाना आवश्यक है। यदि बागीचे के पौधों में दी जाने वाली खाद तथा उर्वरकों की मात्रा में परिवर्तन किया गया है; तो भी पत्ती विश्लेषण करवाना आवश्यक है।

सावधानियां:

  • बागीचा/ खंड जहां से नमूना लिया जाए वहां पौधों की स्थिति एक सी होनी चाहिए।
  • पत्तियों के नमूने रोग-ग्रस्त, पुराने तथा जख्मी पौधों से न लें।
  • पौधों की विभिन्न किस्मों के नमूने अलग-अलग लें।
  • पत्तियों को नीचे की ओर खींच कर तोड़ें ताकि डंठल साथ में आ जाएं।
  • एक नमूने में कम से कम 80 से 100 तक पत्तियां होनी चाहिएं।
  • एकत्रित पत्तियों को अधिक देर तक धूप में न रखें।
  • प्रयोगशाला में भेजने से पहले पत्तियों से धूल मिट्टी इत्यादि अच्छी तरह से साफ कर लें।
  • नमूनों को सम्बन्धित ब्यौरे सहित तुरन्त प्रयोगशाला में भेज दें।

Authors

Sanjeev K. Chaudhary, Nirmal Sharma, Rohit Sharma and Neeraj Kotwal

Regional Horticultural Research Sub-Station

Bhaderwah, SKUAST-Jammu (J&K)-182222.

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