पपीते की उन्नत किस्में:
किस्में |
द्वारा विकसित |
उपज (किलो/पौधा) |
विशेषताऐं। |
पूसा जायंट Pusa Giant |
भा.कृ.अ.सं, |
30-35 |
यह डायोशियस किस्म 1981 मे पूरे भारत के लिए अनुमोदित हुई 1 इसके फलों का आकार बडा (1.5 - 3.5 किलो), सब्जी व पेठा बनाने के लिए उपयुक्त हॅ। यह सितम्बर - अक्तूबर माह में रोपण के लिए उत्तम है। |
पूसा मैजेस्टी Pusa Majesty |
भा.कृ.अ.सं |
40 |
यह गगयनाडायोशियस किस्म 1986 में पूरे भारत के लिए अनूमोदित हुई। पपेन हेतु उपयुक्त, विषाणु रोग के प्रति सहनशील तथा सूत्रकृमि के प्रति अवरोधी किस्म। सितम्बर-अक्तूबर माह में रोपण उत्तम। |
पूसा डेलिसियस Pusa Delicious |
भा.कृ.अ.सं |
40-45 |
यह गगयनाडायोशियस किस्म 1986 में पूरे भारत के लिए अनूमोदित हुई। फल मध्यम आकार के (1-2 किलो), स्वादिष्ट एवं सुगन्धित, चीनी की मात्रा 10 से 13 प्रतिशत। सितम्बर-अक्तूबर माह में रोपण उत्तम। |
पूसा नन्हा Pusa Nanha |
भा.कृ.अ.सं |
25-30 |
यह डायोशियस किस्म 1986 मे भारत के मैदानी व पठार क्षेत्रों के लिए अनुमोदित हुई। यह अत्यंत बोनी किस्म है भूमि की सतह से 30 से.मी. की ऊचॉई से फलना प्रारम्भ। गृह वाटिका एवं सघन बागवानी के लिए उपयक्त किस्म सितम्बर-अक्तूबर माह में रोपण उत्तम। |
पूसा डवार्फ Pusa Dwarf |
भा.कृ.अ.सं |
40-45 |
यह डायोशियस किस्म 1986 मे भारत के मैदानी व पठार क्षेत्रों के लिए अनुमोदित हुई। यह बोनी किस्म है भूमि की सतह से 35 से.मी. की ऊचॉई से फलना प्रारम्भ। सघन बागवानी के लिए उपयक्त किस्म सितम्बर-अक्तूबर माह में रोपण उत्तम। |