Huskless Barley a Useful Crop

Huskless Barley a Useful Crop

छिलका रहित जौ एक उपयोगी फसल

Huskless barley is a nutrient rich food grain. Consumption of this grain is very beneficial for health. Sources of high amounts of beta-glucans, proteins, starch, iron and zinc have been discovered by the ICAR-Indian Wheat and Barley Research Institute, Karnal.

जौ विश्व में सदियों से उगाई जाने वाली रबी सीजन की महत्वपूर्ण अनाज फसल है। वैश्विक परिवेश में जौ की फसल उत्पादन एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से धान, गेहूँ एवं मक्का के बाद चौथे स्थान पर है। जिसे किसी भी अन्य अनाज की तुलना में अधिक पर्यावरणीय परिस्थितियों में उत्पादित किया जा सकता है।

हमारे देश में जौ की खेती मुख्यतः राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिमी बंगाल तथा उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है।

भारत में इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, खाद्य पदार्थों, पशु आहार एवं पशु चारे के रुप में सदियों से होता आ रहा है। विश्व में जौ की खेती लगभग 62 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल पर की जाती है, जिससे लगभग 160 मिलियन टन जौ का उत्पादन होता है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में जौ की खेती लगभग 7.0 लाख हैक्टर क्षेत्रफल पर की गई जिसमें लगभग 16.68 लाख टन उत्पादन हुआ।

विश्व के जौ उत्पादक प्रमुख देशों में रूस, यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, भारत, डेनमार्क तथा स्पेन आदि हैं। संस्कृत में इसे ”यव” के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में जव, जवा, वियाम, आरिसि, तोसा एवं चीनो आदि नाम से जानते हैं। जौ में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्वों के कारण इसे ”अनाज का राजा” कहा जाता है। जौ दुनिया की खाद्य आपूर्ति में मानव भोजन, माल्ट उत्पादों और पशुओं के चारे के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

देश में छिलका सहित और छिलका रहित दो तरह के जौ का उत्पादन किया जाता है। छिलका रहित जौ की उच्चतम पाचन शक्ति के कारण सामान्य जौ की तुलना मे अधिक लाभदायक होता है। कुछ शोध यह दर्शाते हैं कि छिलका रहित जौ में सामान्य जौ की अपेक्षा आहार रेशा, खनिज एवं पोषक तत्वों की मात्रा अधिक पायी जाती है, इसलिए छिलका रहित जौ के सुधार एवं उपयोगिता पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है ताकि इस फ़सल का अधिक से अधिक उपयोग करके स्वास्थ लाभ लिए जा सकें।

Huskless barley

भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा द्वारा अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ अनुसंधान परियोजना की प्रगति प्रतिवेदन (2020-21) के अनुसार छिलका रहित जौ के कुछ जीनोटाईप्स में पोषक तत्वों (स्टार्च, प्रोटीन, जस्ता एवं आयरन) का विवरण तालिका-1 में दिया है।

तालिका-1: विभिन्न जीनोटाईप्स में पोषक तत्वों (स्टार्च, प्रोटीन, जस्ता एवं आयरन) की मात्रा

क्रम संख्या

जीनोटाईप

स्टार्च की मात्रा ( डीबी)

प्रोटीन की मात्रा ( डीबी)

जस्ता

(पीपीएम)

लौह तत्व

(पीपीएम)

 

1.

डीडब्लूआरएनबी 5

62.8

14.1

42.5

40.4

2.

डीडब्लूआरएनबी 14

63.4

12.0

41.5

36.4

3.

डीडब्लूआरएनबी 17

61.5

13.6

41.3

37.7

4.

डीडब्लूआरएनबी 20

61.6

14.3

41.1

37.7

5.

डीडब्लूआरएनबी 23

63.0

13.6

38.0

36.4

6.

डीडब्लूआरएनबी 25

64.3

13.7

7.

डीडब्लूआरएनबी 28

61.4

14.5

43.4

42.4

8.

फलकॉन बार

62.1

12.7

9.

पेरेग्रिन

64.2

13.1

10.

अटाहुल्पा

60.0

15.6

11.

डोलमा

61.8

15.5

12.

एनडीबी 943

62.4

14.5

42.0

39.7

13.

करन 16

62.4

13.4

14.

गीतांजलि

62.4

14.1

15.

पीएल 891

38.9

37.7

16.

बीएचएस 352

62.0

14.4

17.

एचबीएल 276

63.4

13.5

18.

डीडब्लूआरबी 204

63.8

12.5

19.

डीडब्लूआरएफबी 40

63.3

13.3

40.6

37.7

20.

डीडब्लूआरएफबी 58

61.9

14.7

39.4

37.7

पोषक तत्वों का विश्लेषण

छिलका रहित जौ आधारित उत्पाद पोषण सम्बन्धी विकारों को पूरा करके मानव कोशिका, रक्त, ऊतकों एवं अंगों को क्षति पंहुचाने वाले अवशेषों को शरीर से हटाकर ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसका ग्लासिन इंडेक्स 25-30 है जो अन्य फसलों जैसे- गेहूँ (65), बाजरा (57), चावल (69), मक्का (59) एवं ज्वार (77) आदि से कम होने के कारण मधुमेह के मरीजों के लिए छिलका रहित जौ का सेवन लाभकारी माना जाता है।  

कार्बोहाइड्रेट

हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत कार्बोहाइड्रेट है। जौ में मुख्य कार्बोहाइड्रेट स्टार्च के रूप में होता है। आमतौर पर छिलका रहित जौ में लगभग 63.2-65.3  (दाने के शुष्क पदार्थ का) स्टार्च होता है। जौ की अधिकतर किस्मों के स्टार्च में 70-80  एमाइलोपेक्टिन एवं 20-30  एमाइलोज होता है।

एमाइलोज एक बहुत महत्वपूर्ण अणु है, जो उच्च फाइबर के साथ कम ग्लाइसेमिक सूचकांक प्रदान करता है। छिलका रहित जौ की कुछ जीनोटाईप में स्टार्च की मात्रा को तालिका-1 में दर्शाया गया है।

भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में उपरोक्त जीनोटाईप को उपयोग करके जौ की उच्च उपज एवं गुणवत्तायुक्त किस्में विकसित करने की दिशा में शोध चल रहा है।

प्रोटीन

शाकाहारी भोजन में छिलका रहित जौ को प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। छिलका रहित जौ के साबुत दाने में प्रोटीन की मात्रा लगभग 12-16  तक होती है। तालिका-1 में दर्शाए गए विभिन्न जीनोटाइप में प्रोटीन की मात्रा 12-15.6  तक दर्ज की गई। सबसे अधिक प्रोटीन की मात्रा विदेशी जीनोटाईप अटाहुल्पा (15.6 ) तथा इसके बाद पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अनुमोदित किस्म डोलमा (15.5 ) में पाई गई। जबकि सबसे कम प्रोटीन की मात्रा डीडब्लूआरएनबी 14 (12 ) में दर्ज की गई।

बीटा-ग्लुकन

आजकल की भाग-दौड़ एवं तनाव भरी ज़िंदगी होने के कारण मनुष्य की दिन चर्या काफी प्रभावित हुई है। जिसके कारण  बहुत से लोग मधुमेह एवं ह्रदय संबंधित रोगों के शिकार होते जा रहे हैं, जिनके नियंत्रण में बीटा-ग्लुकन बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है। बीटा-ग्लुकन एक घुलनशील आहार रेशा होता है, जो मोटे अनाजों, फलों, सब्ज़ियों, सूखे मेवों एवं हरी फ़लियों में प्रमुखता से पाया जाता है।

छिलका रहित जौ बीटा ग्लूकन का एक प्रमुख स्रोत है, जिसमें लगभग 8.7   बीटा-ग्लुकन पाया जाता है। बीटा-ग्लुकन की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए, भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने छिलका रहित जौ मे सुधार के लिए विभिन्न शोध कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं, जो निम्नवत हैं।

Ø  इकार्डा से प्राप्त छिलका रहित जौ की विदेशी जननद्रव्य लाइन का भारतीय परिस्थितियों में मूल्यांकन किया गया जिसमें कुछ लाईनों में बीटा-ग्लुकन की मात्रा बहुत अच्छी पाई गई।

Ø  छिलका रहित जौ की स्वदेशी जननद्रव्य लाईन बीसीयू 8028 मे बीटा-ग्लुकन की मात्रा 7.0  पाई गई। वर्ष 2012 में इस जननद्रव्य लाइन को लेह लद्दाख से एकत्रित किया गया।

Ø  संकरण द्धारा उत्पादित छिलका रहित जौ की अग्रिम अभिजनक लाइनें डीडब्लूआरएफबी 40 एवं डीडब्लूआरएफबी 58 पादप प्रजनन के वंशावली चयन विधि के द्वारा विकसित की गईं। इन दोनों लाईनों का अध्ययन करने पर पाया गया कि डीडब्लूआरएफबी 40 और डीडब्लूआरएफबी 58 मे बीटा-ग्लुकन की मात्रा क्रमशः 6 एवं 5.6  है।

Ø  छिलका रहित जौ की अनुमोदित किस्मों को बीटा-ग्लुकन ( डीबी) के लिए मूल्यांकन किया गया। छिलका रहित जौ बीएचएस 352 (7.7 ) में सबसे अधिक बीटा-ग्लुकन की मात्रा पाई गई, इसके बाद एचबीएल 276 (7.0 ), डोलमा (6.4 ), पीएल 891 (6.0 ), एनडीबी 943 (5.6 ), करन 16 (5.6 ) एवं गीतांजलि (5.2 ) में  दर्ज की गई ।

सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता

छिलका रहित जौ जस्ता, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, विटामिन बी-कॉम्पलेक्स एवं कई तरह के एंटीऑक्सीडेन्ट का भरपूर स्रोत होने के कारण एक लाभदायक अनाज के रूप में जाना जाता है। उपरोक्त संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि जौ उत्पादों को अपने दैनिक आहार में शामिल करके अनेकों स्वास्थ्य लाभ लिए जा सकते हैं। अनुमोदिम किस्मों में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्वों को तालिका-1 में दर्शाया गया है।

जौ के सेवन का स्वास्थ्य लाभ

  • जौ खनिज लवण एवं विटामिन का एक समृद्ध स्रोत है, जो अनावश्यक विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें विद्यमान बीटा-ग्लूकन हृदय संबन्धी रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक है।
  • इसमें उपस्थित फॉस्फोरस, कैल्शियम, ताम्बा, मैग्नीशियम एवं जस्ता हड्डियों की संरचना को मजबूती प्रदान करता है।
  • प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ इसमें विटामिन बी, जिंक, लोहा एवं सेलेनियम जैसे खनिज तत्व भी मौजूद होते हैं, जो सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते है।
  • जौ उत्पादों में उपस्थित रेशा एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो पाचन एवं कब्ज जैसी एवं अन्य उदर विकारों में जौ का सेवन लाभदायक है।
  • जौ में उपलब्ध सेलेनियम खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कैंसर की बीमारी से ग्रसित रोगियों में कैंसर की कोशिकाओं को शरीर में बढ़ने से रोकने में सहायक हो सकता है।
  • जौ में कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व होने के कारण हीमोग्लोबिन के उत्पादन में सुधार करता है, जिससे एनीमिया/खून की कमी जैसी बीमारियों की सम्भावनाओं को कम करने में मदद करता है।
  • जौ के दानों का उपयोग जौ का पानी बनाने के लिए भी किया जाता है, जिसका सेवन गुर्दे की पथरी और मूत्र मार्ग के संक्रमण से पीड़ित रोगियों को दिया जाता हैं। शोध बताते हैं कि जौ का पानी हमारे शरीर को क्षारीय बनाकर पीएच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और गुर्दे की पथरी के बनने की प्रक्रिया को प्रतिबंधित करता है।

निष्कर्ष

छिलका रहित जौ पोषक तत्वों से भरपूर अनाज है। इस अनाज का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। बीटा-ग्लूकन, प्रोटीन, स्टार्च, आयरन एवं जिंक की उच्च मात्रा के स्रोत भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के द्वारा खोजे गए हैं। इन वांछित लक्षणों का उपयोग करते हुए छिलका रहित जौ की उच्च गुणवत्ता पोषक तत्वो से युक्त, उच्च उपज वाली रोगरोधी किस्में विकसित करने के लिए संस्थान द्वारा नई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।


Authors:

जोगेन्द्र सिंह, ओमवीर सिंह, दिनेश कुमार, सेवा राम, चुनिलाल, लोकेन्द्र कुमार, रेखा मलिक, मंगल सिंह, अनुज कुमार एवं ज्ञानेन्द्र सिंह

भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा

Email: msiiwbr@gmail.com

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