बी.टी. कपास के प्रमुख कीटों की पहचान व इसका प्रबंधन

बी.टी. कपास के प्रमुख कीटों की पहचान व इसका प्रबंधन

Identification and management of major pests of BT Cotton

कपास भारतवर्ष की एक  प्रमुख फसल है। औद्योगिक एवं निर्यात की दृष्टि से कपास भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है। भारत में कपास का उत्पादन 36. 5 मिलियन गांठ एवं क्षैत्रफल 13.3 मिलियन हैक्टेयर से 2019-20 मे हुई है। बी. टी. कपास से भारत में उत्पादन लक्ष्य व  वास्तविक उत्पादन के अंतर को काफी हद तक कम किया है। कपास उत्पादन में  प्रमुख राज्य क्रमशः गुजरात, महाराष्ट्र ,तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब , मध्य प्रदेश , और राजस्थान है।

प्रदेश में कपास के रकबा में धीरे-धीरे बढोत्तरी हो रही है। लेकिन बी.टी. कपास के  बावजूद , आज  भी कपास के कम पैदावर होने का मुख्य कारण जैविक व भौतिक कारण उत्तरदायी हैं।

बी. टी. कपास के कारण , कपास के टिण्डों को भेदने वाले एवं पत्तियों को खाने वाले कीटों से होने वाले नुकसान में कमी हुई है। लेकिन दूसरे कीटों जैसे रस चुसने वाले कीटः हरा तेला, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, माइट व मिली बग व तम्बाकु की लट के साथ स्टैनेर्स कीट इत्यादि का प्रकोप बना रहता  हैं।

कीट का आर्थिक क्षति स्तर

कीट का नाम आर्थिक क्षति स्तर कीट का नाम आर्थिक क्षति स्तर
जैसिड(फुदका)   2 वयस्क/ शिशु कीट(निम्फ) प्रति पत्ती। चैंपा(एफिड) 10 प्रतिशत प्रभावित पौधे।
सफेद मक्खी 6-8 वयस्क /पत्ती। थ्रिप्स 5-10 थ्रिप्स/पत्ती

.  रस चुसक कीट

1. जैसिडफुदका

यह एक रस चुसक कीट है जोकि फसल के 1-50 दिनों की अवस्था में ज्यादा प्रकोप देखा गया है। वयस्क कीट लगभग 3 मि.मी. लंबे, हरा पीला तथा पंखों पर पीछे की ओर दो काले धब्बे होते है। शिशु व वयस्क कीट पत्ती की निचली सतह से रस चुसकर फसल को हानि पहुचाते हैं। इनके प्रकोप से पत्तियाँ सिकुड़़कर नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं और लाल होकर अंततः सूखकर गिर जाती है।

रस चुसक कीटसे ग्रसित बी टी कपास

2. सफेद मक्खी:

ये कीट कपास की वानस्पतिक वृद्धि के समय से टिण्डे बनने तक फसल को ग्रसित करता हैं तथा पत्तों में मरोड़िया रोग को भी फैलाता है। इस कीट के शिशु व वयस्क दोनों ही कली पत्तियों एवं शाखाओं से रस चुसकर फसल को नुकसान पहुँचाते हैं।

ग्रसित पत्तियाँ उपर की ओर मुड़ जाती हैं एवं पौधों पर मधु श्राव करते है, जिससे कि पत्तीयाँ पर काली फफूंदी आने लगती है और पौधो में भोजन बनने की क्षमता कम हो जाती  है।  पत्ते कभी-कभी झड़ भी जाते है। यह मक्खी पत्ती मोड़क विषाणु रोग को फैलाता है।

फसल की बुवाई अगेती  करें। रासायनिक नियंत्रण हेतु आर्थिक क्षति स्तर के आधार पर निम्न कीटनाशक में से कोई एक का छिड़काव करें ।

5 प्रतिशत नीम बीज गिरी निचोड (एन.एस.के.ई) या बाजार में उपलब्ध नीम से निर्मित कीटनाशक    की 750-1000 मि.ली/है. या इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. 0.3 मि.ली./लीटर पानी या एसिटामिप्रिड 20 एस.पी. 0.4 मि.ग्रा./लीटर पानी में की दर छिडकाव करना चाहिए।

3.मिली बग

यह एक सर्वभक्षी कीट है जोकि वनस्पतिक अवस्था से लेकर फूल  व टिण्डे लगने तक ग्रसित करता है। इसके प्रकोप से पौधे में विकृत, सिकुड़न एवं झाड़ जेसे दिखते है एवं पौधों में विकास रुक जाता है। गंभीर रुप से संक्रमण होने पर पौध पूरी तरह से नष्ट हो जाते है। ये कीट पौधें  के पृष्ठीय भाग पर होने के कारण इन पर कीटनाशकों  का कम प्रभाव पड़ता है।

4. थ्रिप्स (पत्ती के किनारे का मुड़ना)

यह कीट मई से सितंबर तक सक्रिय रहते है। व्यस्क कीट बेलनाकार पीले-भुरे व 1मिलीमीटर लंबे के होते है। पैट की अंतिम शिरा घुमावदार एवं पेट पर खंडों के गहरे भूरे रंग की रेखाओं के साथ बांधा रहता है। व्यस्क नर कीट पंख विहिन परन्तु मादा कीट फीते के जैसे लंबे सिकुड़े पंख होते है जिस पर झालेदार बाल होते है। निम्फ छोटे आकार के व काले रंग के होते है।

मादा कीट  पत्ती के उत्तकों के छिद्र में अंडे देती है। अंडों से 5 दिन के बाद शिशु कीट (निम्फ) निकलते है व निम्फ का समय 5 दिन एवं प्यूपा 4 से 6 दिन एवं व्यस्क कीट 2-4 सप्ताह तक जिवित रहते है। निम्फ व व्यस्क कीट पत्तीयों के पिछली सतह से रस चुसतें है एवं  पत्ते के उपर मल रिसाव करते है जिससे ग्रसित पत्तों पर सिल्वर रंग जैसा सफेद हो जाता है। पत्ते में झुरियों व सिकुड़न आ जाते है व अंत में मर जाते है।

रस चुसक कीट का समेकित प्रबंधन

  • पिछेती बुवाई से बचे।
  • परजीवी के गतिविधि को बढ़ावा देवें। जैसेंकि-( Thripoctenus briu, Triphleps tantilus and mite Campsid sp.)
  • खेतों मे नत्रजन उर्वरक का उपयोग आवश्यकता अनुसार ही करें।
  • खेत से खरपतवार को नष्ट कर दें।
  • फसल चक्र को अपनायें।
  • कीट प्रतिरोधक किस्मों की बुवाई करें।
  • फसल के चारों तरफ टमाटर व अरण्डी के पौधे लगाए जो कि सफेद मक्खी को आकर्षित करता हो एवं फिर उसे उखाड़ कर नष्ट कर दें।
  • फसल की ऊँचाई के बराबर पीले पान स्टीक ट्रैप का प्रयोग करें।
  • परभक्षी कीटों जैसे कि कोसिनिलीडस या क्रायसोपा आदिको छोड़ना चाहिए।

रासायनिक नियंत्रण हेतु आर्थिक क्षति स्तर के आधार पर

  • नीम आधरित कीटनाशी का प्रयोग पहले 60-70 दिन की अवस्था में छिडकाव करना चाहिए जैसे 5 प्रतिशत नीम बीज गिरी निचोड (एन.एस.के.ई) या
  • नीम से निर्मित कीटनाशक (एजेडायरेक्टीन15 या 0.03 प्रतिशत) का 2.5-5.0 मि.ली/ली. पानी के धोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए।
  • इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. 0.3 मि.ली./लीटर या इमिडाक्लोप्रिड8 एस.एल. 0.5 मि.ली./लीटर या ऐसिफेट 70 एस.पी. 2.0 मि.ली./लीटर या एसिटामिप्रिड 20 एस.पी. 0.4मि.ग्रा./लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • एक ही खेत में लगातार कपास की फसल न लें।
  • मिली बग की रोकथाम के लिए चीटिंयों का नियंत्रण करना चाहिए क्योंकि मिलीबग चीटिंयों की सहायता से एक खेत से दुसरे खेत में फैलती है। इसके लिए खेत के चारों तरफ घेरा बनायें और फिर क्यूनालफाॅस डस्ट का प्रयोग करें।
  • मिली बग से ग्रसित खेत में काम मे लिए गयें औजारों की सफाई करके ही अन्य खेत में लेकर जाए।

स्टैनेर्स कीट

रेड काटन बगकपास का धूसर कीट

5. रेड काटन बग

वेसे तो यह कीट सालों भर सक्रिय रहते है परन्तु प्रायः सितंबर व अक्टूबर माह में ज्यादा सक्रिय रहते है। यह कीट 1.5-2.0 मि.मी.लंबे बेलनाकार सिन्दुरी लाल एवं पेट पर सफेद धारी होती है।मादा कीट नर कीट से बड़ी होती है। मादा कीट नम मिट्टी या मिट्टी के दरारों में अंडे देती है।

7-8 दिनों के बाद अंडे से नारंगी लाल रंग के शिशु कीट/ लार्वा निकलते है जो कि 5-7 दिनों तक रहता है। एक जीवन चक्र 50- 90 दिनों में पुरा हो जाता है।

व्यस्क व निम्फ पत्ते व हरे बाॅल से रस चुसते है, अपने मल व शरीर के रस से  कपास  को मटमैला कर देते है जिस पर जिवाणु व फफूंद का विकास होने जगता है। इसे बदबू कीड़ा भी कहते है क्योकि दुर्गंध का उत्सर्जन करते है।                  

6. कपास का धूसर कीटडस्की काटन बग:

वयस्क 4-5 मि.मी. लंबे राख के रंग के या भूरे रंग व मटमैले सफेद पंखों वाले होते हैं। निम्फ छोटे व पंख रहित होते हैं। शिशु व वयस्क दोनों  ही कच्चे  बीजों से रस चूसते हैं जिससे वे पकते नहीं तथा वजन में हल्के रह जाते हैं। जिनिंग के समय कीटों के पिचक कर मरने से रुई की गुणवत्ता प्रभावित होती है तथा बाजार भाव कम हो जाता है।

स्टैनेर्स कीट का समेकित प्रबंधन

  • खेतो की गहरी जुताई करें। जिससे अंडे व प्यूपा मिट्टी से बाहर आ जाते है।
  • वैकल्पिक होस्ट पौधो को उखाड़ कर नष्ट कर दें।
  • वयस्क कीट को हाथ से पकड़ कर जमा कर नष्ट कर दें जिससे इसके जनसंख्या कम हो जाएगें।
  • पानी व केरोसिन मिश्रित घोल मे रस्सी को भिंगो कर कपास के पौधे के उपर बांध दे जिससे बग विस्थापित हो जाएगें।
  • कपास की तुड़ाई तुरन्त कर लें जैसे ही बाॅल खुल जाते है।
  • रिड्यूविड बग (Reduvid bug- Harpoctor costalis and Antilochus coequeberti) का संरक्षण करे जो कि व्यस्क बग कीट को खाता है। रासायनिक नियंत्रण हेतु आर्थिक क्षति स्तर के आधार पर निम्न कीटनाशकों में से कोई एक का छिड़काव करें
  • 500 मिली लीटर फासफेमिडान 100 ई.सी. या 700- 1000 मिली लीटर डायमेथोएट 30 ई.सी. प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।

Authors:

डा. सुनील कुमार1, बजरंग लाल ओला1, डा सुशील कुमार शर्मा2  डा अरबिन्द कुमार वर्मा1,   एवं डा. पी के राय3

1 विषय वस्तु विषेशज्ञ (पौध संरक्षण, शस्य विज्ञान एवं  पशुपालन विशेषज्ञ), कृषि विज्ञान केन्द्र,गूंता-बानसूर, अलवर(राजस्थान)-301402

2 वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष( मृदा विज्ञान ) कृषि विज्ञान केन्द्र,गूंता-बानसूर,अलवर(राजस्थान)-301402

3 निदेशक, भाकृअनुप- सरसों अनुसंधान निदेशालय, सेवर, भरतपुर(राजस्थान)-321303

Email: sunilphd09@gmail.com

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