गर्मीयों में पशुओं का प्रबंधन

गर्मीयों में पशुओं का प्रबंधन

Management of animals in summer

गर्मी के मौसम में पशुओं की देखभाल के लिए, उन्हें लू से बचाना और उनकी आहार और आवास व्यवस्था को ठीक करना ज़रूरी है। पशुओं को लू से बचाने के लिए शेड या छायादार जगह में रखना, और गर्म होने पर उन्हें पानी से नहलाना या गीले कपड़े से साफ करना चाहिए।

गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए उचित आहार और आवास प्रबंधन के लिए, उनके आवास को ठंडा रखने के लिए छायादार जगह, पर्याप्त पानी की व्यवस्था, और संतुलित आहार में पौष्टिक तत्वों को शामिल करना चाहिए.

लू से बचाने के लिए पशुओं को दोपहर में छायादार वृक्षों के नीचे रखें और यदि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुँच जाये तो आवास गृह में गीले परदे लगाएं.  आहार के लिए, उन्हें पौष्टिक भोजन और पर्याप्त पानी देना चाहिए, और नमक, गुड़ या विटामिन मिश्रण भी शामिल करना चाहिए।

आवास प्रबंधन – सभी जीवित प्राणियों मे आवास का एक महत्वपूर्ण स्थान है ग्रीष्म ऋतु में डेयरी पशुओं में तापमान बढ़ने के कारण तनाव का होना स्वभाविक है ओर इसका निवारण पशु को बेहतर आवास देकर किया जा सकता है । पशु आवास आरामदायक होना चाहिए । पशुओं के आवास गृह में पर्याप्त जगह और हवादार व्यवस्था होनी चाहिए l

  • पशु आवास की ऊंचाई अधिक करने से पशुओं को गर्मी से राहत मिलती है। पशु आवास के अंदर आने वाली धूप  की मात्रा नियंत्रित करने के लिए दीवार के ऊपर वाले छत  के भाग को लगभग 1 मीटर तक बाहर निकाला जा सकता है।
  • आवास की लंबवत अक्ष पूर्व पश्चिम दिशा में रखने से आवास के अंदर कम धूप  कर पाती है।
  • आवास के चारों और छायादार वृक्ष लगाने से पशु आवास को आरामदायक रखने में मदद मिलती है। इसके साथ ही पशु आवास के आसपास का भूभाग हरा भरा रखने से परावर्तित होकर आवास में प्रवेश करने वाले ऊष्मीय विकिरणों को कम किया जा सकता है। 
  • सीधे तेज धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशुओं को रखे जाने वाले पशु आवास के सामने की ओर जूट के बोरे का पर्दा लटका देना चाहिये । इन पर्दो पर दिन के समय पानी छिड़कने से आवाज के अंदर की गर्मी को कम करने में मदद मिलती है।
  • पंखे, कूलर, फव्वारे, फोगर, को पशु आवास के अंदर लगाकर पशुओं को गर्मी से निजात दिलाने में मदद मिलती है। फव्वारों के साथ- साथ पंखे चलाने पर पशुओं का अधिक आराम मिलता है। सूर्यास्त के बाद पशुओं को स्नान करवाएं, यदि पानी की व्यवस्था हो l पशुओं को तालाब में भी नहलाया जा सकता है। लेकिन यदि दिन के समय तालाब के पानी का तापमान बढ़ जाता है तो फिर यह उपाय ठीक नहीं है। 
  • लू लगने पर पशु को ठण्डे स्थान पर बांधे जिससे पशु को तुरन्त आराम मिले । पशुशाला में पानी की व्यवस्था होने पर ठंडी पानी का छिड़काव करें l पशुशाला में आवश्यकता से अधिक पशुओं को नहीं बांधे और रात्रि में पशुओं को खुले स्थान पर वांधे l     
  • पशुपालकों को पशु आवास हेतु पक्के निर्मित मकानों की छत पर सूखी घास या कडबी रखें ताकि छत को गर्म होने से रोका जा सके । पशु आवास के अभाव में पशुओं को छायाकार पेड़ों के नीचे बांधे ।

गर्मी ऋतु मे आहार प्रबंधन –

गर्मी के दिनों में काफी तनाव बढ़ने से पशुओं के आहार ग्रहण करने की क्षमता  घट जाती है। परिणाम स्वरूप पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है। इस प्रकार आहार ग्रहण क्षमता को बेहतर करने वाले उपायों को अपनाकर पशुओं के दुग्ध उत्पादन में होने वाली कमी को रोका जा सकता है। 

  • पशुओं को पौष्टिक आहार दें जिसमें प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज और विटामिन शामिल हों। पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चहिये।
  • पीने के पानी को छाया में रखना चाहिये । पशुओं से दूध निकालने के बाद उन्हें यदि संभव हो सके तो ठंडा पानी पिलाना चाहिये ।पशुओं को दिन में 4-5 बार ठंडा और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराएं । पशुओं को दिन में 2 बार गुड़ और नमक के पानी का घोल पिलाएं l
  • पशुओं के खाने-पीने की नांद को नियमित अंतराल से धोना चाहिए l पशुओं को संतुलित आहार दें जिसमें हरा चारा, दाना, खनिज लवण और नमक शामिल हों.पशुओं के संतुलित आहार में दाना एवं चारे का अनुपात 40 और 60 का रखना चहिये ।
  • गर्मी के दिनों में हमें हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष भर चारा उत्पादन की योजना बनाकर चारा उगाना चाहिए। अदलहनी चारों के स्थान पर दलहनी फसलों को स्थान देना चाहिए और इसके लिए मार्च के महीने में बरसीम को सुखाकर संग्रहित किया जा सकता है पशु आहार में क्षेत्र विशेष खनिज लवण मिश्रण तथा नमक को अवश्य शामिल करना चाहिए पशुओ में तनाव कम करने वाली मिनरल मिक्सचर और मल्टीविटामिन या अन्य खाद्य योजको को भी देना चाहिए ।           

प्रजनन प्रबंधन –

गर्मी के तनाव के कारण प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए मौसमी ब्याने को प्राथमिकता देनी चाहिए l

अस्वस्थ पशु:

पशुओं के अस्वस्थ होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क


Authors

 डॉ विनय कुमार डॉ रोहिताश कुमार डॉ संदीप कुमार

Rajasthan University of Veterinary & Animal Sciences, Bikaner

Email: vinaymeel123@gmail.com

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