Nutritional benefits and medicinal uses of chilli
मिर्च के फलों के आकार, रंग, स्वाद और तीखेपन में काफी भिन्नता है. यह भिन्नता मिर्च के पोषण सरंचना में भी पायी जाती है जो मिर्च के प्रजातियों पर, किस्मों पर, फसल उगाने के तरीके पर और फलों के परिपक्वता पर निर्भर करता है. साथ ही साथ पोषण तत्वों की भिन्नता तुड़ाई उपरान्त रखरखाव और उसके भण्डारण पर भी निर्भर करता है.
यह पाया गया है की विटामिन ए, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा फलों के परिपक्वता के साथ ही सभी प्रजातियों और किस्मों में बढ़ जाती है. लाल मिर्च में विटामिन बी 6 हरी मिर्च की तुलना में काफी ज्यादा होता है.
विटामिन ए
कई लोगों के लिए दुनिया में गाजर विटामिन ए का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है. हालाकि मिर्च में विटामिन ए अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं है परन्तु अल्फा, बीटा और गामा कैरोटीन प्रस्तुत है जिसे मनुष्यों का जिगर विटामिन ए के रूप में तब्दील कर देता है.
एक व्यस्क की दैनिक विटामिन ए की आवशयकता को सिर्फ ३-४ ग्राम (लगभग आधा चम्मच) पीसी लाल मिर्च द्वारा पूरा किया जा सकता है. विटामिन ए और प्रोटीन की कमी दुनिया में सबसे ज्यादा विख्यात है. महामारी विज्ञानं के अध्यन से यह संकेत प्राप्त होता है की विटामिन ए के उच्च सेवन से कर्क रोग का खतरा कम हो सकता है.
विटामिन सी
मिर्च में विटामिन सी की मात्रा सबसे अधिक है. विटामिन सी वास्तव में पहली बार हंगरी के बायोकेमिस्ट अल्बर्ट सजेंट-ग्यॉर्गी द्वारा मिर्च से शुद्ध किया गया था जिसके लिए उन्हें चिकित्सा विज्ञानं के क्षेत्र में नोबेल पुरुस्कार से नवाज़ा गया था. एक मिर्च के फली में एक नारंगी की तुलना में छह गुना ज्यादा विटामिन सी होता है.
एक मिर्च के फल में हरे रंग से लाल रंग की अवस्था तक पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होता है जो प्रत्येक व्यस्क मनुष्य के लिए बताये गए विटामिन सी की आवश्यक मात्रा से कहीं अधिक होता है.ताजे हरी मिर्च में लगभग ३४० mg प्रति १०० ग्राम फल में विटामिन सी हो सकता है.
औषधीय उपयोग:
कोलंबस के कार्यकाल से पहले मिर्च को एक औषधीय पौधों की तरह इस्तेमाल किया गया है. आज मिर्च सबसे व्यापक रूप से सभी प्राकृतिक उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है. एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है की मिर्च के ारकों का कई संभावित माइक्रोबियल मूल के रोगों के हर्बल उपचार में प्रयोग किया जाता है. मिर्च के १० मुख्य चिकित्सा का उपयोग:
१. सूजन में
२. सर्दी लगने पर मिर्च के कई विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है
३. विटामिन सी की कमी से स्कर्वी, एनएमईआ, त्वचा के नीचे खून बहना और मसूड़ों की भयानक समस्या हो सकती है. मिर्च में प्रस्तुत विटामिन सी इन समस्यायों का उत्पीड़न करता है.
४. विटामिन ए की कमी से भारत जैसे विकासशील देशों में आम बात है. इसकी कमी से रात में देखने की परेशानी होती है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता को भी कमजोर करता है. हरी मिर्च विटामिन ए का बहुत ही अच्छा स्रोत है.
५. कर्क रोग: जैसे की उल्लेखनीय है मिर्च में कई एंटीऑक्सीडेंट है. कुछ अनुसन्धान से यह जानकारी प्राप्त हुई है की मिर्च में कैप्साइसिन नामक एक रासायनिक पदार्थ है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है और मिर्च के तीखेपन के लिए भी जिम्मेवार है. चूहों पर किये गए अध्यन से यह वास्तव में प्रमाणित हुआ है की यह पदार्थ कारगर है. मिर्च में एक और एंटीऑक्सीडेंट जिसका नाम लायकोपीन है मूत्राशय और गर्भाशय के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सहायता करता है.
६. मोटापा: हरी मिर्च खाने से शरीर की पाचनक्रिया को लगभग २० मिनट के लिए बढ़ा देता है जिससे वजन घाटता है.
७. बहती या बंद नाक: यह सर्दी या एलर्जी से बहती या बंद नाक की समस्या भी दूर करता है.
८. सिरदर्द: माइग्रेन से हो रहे दर्द में अगर नाक में मिर्च के आरक से बने स्प्रे को डाला जाय तो काफी राहत मिलती है.
९. तंत्रिका का दर्द जो नसों के ऑपरेशन के बाद या मधुमेह के कारन हो रही झुनझुनी या पैरों में दर्द के इलाज़ में भी कारगर है.
१०. सोरिएसिस के इलाज़ में भी मिर्च का काफी प्रयोग होता है.
निष्कर्ष:
आज के समय में मिर्च भोजन में, चिकित्सा में और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में मत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. मिर्च की खपत दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, नए प्रयोग करने के तरीकों की खोज की जा रही है और इसके साथ साथ आम जनता की रूचि इस फल की तरफ बढ़ती जा रही है.
Authors:
अर्पिता श्रीवास्तव और मनीषा मंगल
शाकीय विज्ञान संभाग, भारतीय कृषि अनुसन्धान संसथान, पूसा, नयी दिल्ली
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